कांग्रेस और जनता दल.यू. ने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए मोदी सरकार द्वारा अध्यादेश लाए जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है । ये दोनों पार्टियां इस अध्यादेश का संसद के आगामी.सत्र में विरोध भी करेंगी 1 जद.यू. ने इस अध्यादेश के खिलाफ देश भर में आन्दोलन करने का भी फैसला किया है । कांग्रेस ने कहा है कि तीन साल के गहन विचार विर्मश के बाद यह कानून बनाया गया था और इसमें सभी पहलुों को ध्यान में रखा गया था। अब मोदी सरकार ने इसमें संशोधन करने के लिए अध्यादेश लायी है । हम उसका संसद में विरोध करेंगे. जद.यू. ने कहा है कि यह नया अध्यादेश कारपोरेट तथा औद्योगिक घरानों एवं बिल्डरों के हितों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है । पार्टी प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा है कि सरकार ने इस तरह किसानों के हितों की अनदेखी की है । इतना ही नहीं उसने संसद का भी अपमान किया है और उसकी उपेक्षा की है क्योंकि कुछ दिन पहले ही संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हुआ है और सरकार इसे संसद में संशोधित विधेयक लाने की बजाय अध्यादेश लायी. श्री त्यागी ने कहा कि अगर सरकार ने यह अध्यादेश वापस नहीं किया तो जनता दल परिवार उसके खिलाफ देश भर में आन्दोलन छोड़ेगा.
श्री जेटली ने बताया कि इस कानून की धारा 105 ए. के तहत कानून के दायरे से बाहर तेरह .क्षेत्रों के लिए एक वर्ष के भीतर यानी 31 दिसंबर 2014 से पहले अधिसूचना जारी होने वाली थी पर यह अधिसूचना जारी नहीं हो पायी थी।उन्होंने बताया कि रेलवे और रक्षा जैसे तेरह क्षेत्रों को भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे से बाहर रखा गया था। भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए उन्होंने बताया कि अध्यादेश लाते समय किसानों के हितों और समाज की जरूरतों को देखते हुए विकास के संतुलन को भी ध्यान में रखा गया है।उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों के लिए उच्च मुआवजे का जो प्रावधान था उसमें किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। अलबत्ता यह उच्च मुआवजा उन .13. तेरह क्षेत्रों में भूमिअधिग्रहण के दौरान भी जारी रहेगा जो इस कानून के दायरे में नहीं आते। उन्होंने कहा कि किसानों को भूमि अधिग्रहण के दौरान मिलने वाला पुनर्वास पैकेज भी जारी रहेगा।
श्री जेटली ने बताया कि भूमिअधिग्रहण कानून 2013 की धारा।0ए में 5 नए उद्देश्य भी जोडे गए है।उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा उत्पादन.विद्युतीकरण आदि के लिए ग्रामीण आधार भूत संरचना.सस्ते आवासों के निर्माण औद्योगिक गलियारे बनाने एवं पीपीपी मॉडल पर सामाजिक उद्देश्य के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने वास्ते भी जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में भी भूमि अधिग्रहण के लिए उच्च मुआवजा जारी रहेगा।उन्होंने यह भी बताया कि जमीन की मिल्कियत सरकार के पास रहेगी। उन्होंने बताया कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में कुछ और गडबडियां और गलतियां रह गयी थीं। उन्हें भी दूर किया गया है। जैसे .कम्पनी.की जगह इकाई शब्द का प्रयोग किया गया है।
श्री जेटली ने कहा कि गांवों के ढांचागत विकास के लिए ही इस कानून में संशोधन किए गए हैं ताकि लोगों को सस्ते घर बनाकर दिए जा सके क्योंकि 65 प्रतिशत लोगों के पास घर नहीं है। भूमि अधिग्रहण से ही.स्मार्ट शहर.बनेंगे। और कच्चे घरों में रहने वालों को पक्के मकान मिल सकेंगे। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि सस्ते घर राज्यों की नीतियों के अनुरूप बनेंगे। यह भूमि अधिग्रहण बडे मकानों के लिए नहीं होगा। उससे लोगों के जनजीवन की अच्छी सुविधा मिलेगी।यह पूछे जाने पर कि सरकार जल्दबाजी में अध्यदेश क्यों लायी है. जेटली ने कहा कि इस कानून के दायरे में बाहर तेरह क्षेत्रों के लिए अधिसूचना की अंतिम तारीख 31 दिसंबर को समाप्त हो रही थी।
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