वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. अध्यक्ष अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति की कथित हत्या के मामले में तत्कालीन केंद्र सरकार के निर्देश पर फंसाया गया था और उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं थे और यह बात आज साबित हो गयी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने श्री शाह को इस मामले में आज आरोपमुक्त कर दिया। श्री जेटली ने इस पर विस्तृत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह शुरू से ही इस मामले से जुडे रहे हैं और आज अदालत के फैसले से सापं हो गया है कि श्री शाह के खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं थे। वित्त मंत्री ने कहा कि इस मामले में श्री शाह ने खुद को आरोपमुक्त करने के लिए अदालत में आग्रह किया था जिसका सीबीआई और सोहराबुद्दीन के भाई ने विरोध किया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और माना कि श्री शाह पर लगाए गए आरोप निराधार थे। इस मामले में सीबीआई ने अपना दुरुपयोग होने दिया जो चिंता की बात है।
श्री जेटली ने राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे अपने पत्रों को भी जारी किया जिसमें उन्होंने श्री शाह के खिलाफ सीबीआई के दुरुपयोग की बात कही थी। वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस मामले में खुद कथित साक्ष्यों का आकलन किया था और वह पिछले तीन साल से लगातार कहते आ रहे हैं कि श्री शाह के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। मीडिया ने भी तथ्यों की पडताल किए बिना सीबीआई के बयानों के आधार पर रिपोर्टिंग की। मीडिया के लिए सीबीआई की फाइल पर की गयी यह टिप्पणी कोई खबर नहीं थी कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में फंसाने के लिए अमित शाह को फंसाना जरूरी था। श्री जेटली ने कहा कि वह इस बात से राहत महसूस कर रहे हैं कि भारत में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक व्यवस्था है। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने श्री शाह को फंसाने के लिए राजनीतिक षडयंत्र रचा था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।
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