राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाने तथा उसके उद्देश्यों को और व्यापक बनाने संबंधी अध्यादेश को आज मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने संबंधित अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। भूमि अधिग्रहण कानून. 2013 में संशोधन लाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है। संसद के शीतकालीन सत्र में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक लाए जाने की चर्चा थी. पर सरकार यह विधेयक नहीं लाई।
संबंधित कानून की धारा 105 ए. के तहत कानून के दायरे से बाहर तेरह क्षेत्रों के लिए एक वर्ष के भीतर यानी 31 दिसंबर 2014 से पहले अधिसूचना जारी होने वाली थी. पर यह अधिसूचना जारी नहीं हो पायी थी। उन्होंने बताया कि रेलवे और रक्षा जैसे तेरह क्षेत्रों को भूमि अधिग्रहण कानून के दायरे से बाहर रखा गया था। भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों के लिए उच्च मुआवजे का जो प्रावधान था उसमें किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। अलबत्ता यह उच्च मुआवजा उन .13. तेरह क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के दौरान भी जारी रहेगा जो इस कानून के दायरे में नहीं आते। उन्होंने कहा कि किसानों को भूमि अधिग्रहण के दौरान मिलने वाला पुनर्वास पैकेज भी जारी रहेगा।
धारा।05(ए) में नए उद्देश्य भी जोडे़ गए हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा उत्पादन. विद्युतीकरण आदि के लिए ग्रामीण आधारभूत संरचना. सस्ते आवासों के निर्माण. औद्योगिक गलियारे बनाने एवं पीपीपी मॉडल पर सामाजिक उद्देश्य के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के वास्ते भी जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। इस क्षेत्र में भी भूमि अधिग्रहण के लिए उच्च मुआवजा जारी रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि जमीन की मिल्कियत सरकार के पास रहेगी। गांवों के ढांचागत विकास के लिए ही इस कानून में संशोधन किए गए हैं. ताकि लोगों को सस्ते घर बनाकर दिए जा सके क्योंकि 65 प्रतिशत लोगों के पास घर नहीं है। भूमि अधिग्रहण से ही.स्मार्ट शहर. बनेंगे और कच्चे घरों में रहने वालों को पक्के मकान मिल सकेंगे।
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