झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और और झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में संयुक्त पगतिशील गठबंधन यदि एकजुट होकर चुनाव लड़ता तो भाजपा गठबंधन की सरकार नहीं बनता. श्री सोरेन ने आज यहां संवाददाताों से कहा कि राज्य की जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने के झांसे में आ गयी और प्रदेश में भाजपा गठबंधन की सरकार बन गयी। उन्होंने कहा कि यूपीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का झामुमो ने जो निर्णय लिया. वह एक माह पूर्व हो गया रहता तो पार्टी को कम से कम 30 सीटों पर सफलता मिलती. उन्होंने कहा कि झामुमो ने अकेले चुनाव लड़कर 19 विधानसभा सीटों पर जीत र्दज की है जबकि 21 सीटों पर पार्टी दूसरे स्थान पर रही है ।
उन्होंने कहा कि दुमका विधानसभा चुनाव में उनकी हार का कारण यह रहा कि वहां चुनाव प्रचार के लिए बहुत कम समय वह दे पाए। उन्होंने कहा कि बरहेट विधानसभा सीट से वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे और वहां उन्होंने चुनाव प्रचार करने के लिए काफी समय दिया। राज्य में गैर आदिवासी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए जाने के मामले पर उन्होंने कहा कि सरकार कानून और नियमों से चलती ही है लेकिन लोक लिहाज और परंपरा से भी चलती है । इसलिए इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए था कि इस प्रदेश में सबसे अधिक आदिवासी हैं और आदिवासियों के संघर्ष के कारण ही इस राज्य का निर्माण हुआ है ।
श्री सोरेन ने कहा कि इस बारे में चुनाव में विकास के मुद्दे पर वोट नहीं पड़ा और यदि विकास के नाम पर वोट पड़ता तो वह दुमका में चुनाव नहीं हारते 1 उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि राज्य की नयी सरकार उनके द्वारा महिलाों. पिछड़ों दलितों और अल्पसंख्यकों के विकास के किये गये काया6 को आगे बढ़ायेगी.
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