मानव चिकित्सक से अधिक महत्वपूर्ण पशु चिकित्सक : मांझी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 29 दिसंबर 2014

मानव चिकित्सक से अधिक महत्वपूर्ण पशु चिकित्सक : मांझी

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बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पशु चिकित्सकों को मानव चिकित्सकों से अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए आज कहा कि पशु चिकित्सक वैसे बेजुबान पशुों का इलाज करते हैं जो अपनी तक लीफ नहीं कह सकते। श्री मांझी ने मुख्यमंत्री सचिवालय में आयोजित पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अन्तर्गत 140 नवनियुक्त पशु चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करते हुए पशु चिकित्सकों से पशु धन को समृद्ध करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सक जनसेवा के आलोक में इस प्रकार काम करना चाहिए ताकि बिहार का पशुधन समृद्ध हो। उन्होंने कहा कि ये चिकित्सक पशु स्वास्थ्य के लिए पशुपालकों को उपाय बताना. उनको  निर्देशन देने का काम करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य पशु चिकित्सकों. अन्य पदाधिकारियों एवं र्कमियों की कमी का दंश झेल रहा हैं।कमी के बावजूद भी बिहार को बुलंदी एवं उन्नति पर पहुंचाने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सकों के लिए पद स्वीकृत किये गये हैं। आने वाले दिनों में बिहार सेवा लोक आयोग के माध्यम से सभी विभागों के लिए अधिक से अधिक नियुक्तियां इस वित्तीय वर्षा में की जायेगी जिसके लिए आयोग को विशेष  निर्देश दिये गये हैं। 

 श्री मांझी ने कहा कि पशु चिकित्सकों की नियुक्ति से मवेशियों की बीमारी के साथशसाथ कम दूध देने की समस्या को दूर करने में भी सहायता मिलेगी। नवनियुक्त चिकित्सकों को प्रोत्साहित करते हुये उन्होंने कहा कि मानव महत्व से ज्यादा महत्वपूर्ण पशु चिकित्सा है. ये अपने आप में आपके  लिए एक महानता होगी। पूरे मनोयोग से काम करें। बिहार कृष्ि प्रधान राज्य है एवं पशुधन हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूध. खेती में उपयोग. बकरी पालन. मुर्गी पालन. भ्ोड़ पालन. मत्स्य पालन आदि द्वारा किसान एवं गरीब तबके के लोग उनसे अपनी समृद्धि लाते हैं। कृष्ि में अब मशीन. ट्रैक्टर आदि का उपयोग किया जा रहा है. फिर भी कम जोत वाले भूमि के लिए पशुधन खेती के लिए अभी भी कारगर है। इससे गरीबों की स्थिति को बेहतर करने में सहायता प्राप्त होती है। श्री मांझी ने कहा कि पशुधन की चिकित्सा एवं देखभाल ढंग से करेंगे तो गरीब तबके के लोग ठीक से खेती कर सकेंगे और अपनी जीवन को बेहतर बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि नौकरियां सीमित हैं जिस कारण कृषि क्षेत्र पर ही अधिक बल दिये जाने की जरूरत हैं। कृषि में पशुधन भी शामिल हैं। वनरोपण. पशुपालन. मत्स्यपालन. मुर्गीपालन. बकरी पालन आदि के द्वारा स्वरोजगार की काफी संभावनायें है

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