यूपी की पूर्व सीएम मायावती की अध्यता वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में दो सीटें और छह फीसदी वोट पाने में नाकाम रहने के बाद राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होना तय हो गया है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद यहां बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव में सीट और प्राप्त मतों का लक्ष्य हासिल करने में नाकाम रही बीएसपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिल्ली की शिकस्त के बाद खत्म होना तय है.
बीएसपी को अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म करने के मामले में नोटिस दी जाएगी और इसके लिए चलने वाली प्रक्रिया आगले मार्च तक पूरी होगी. बीएसपी ने दिल्ली की सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. बीएसपी प्रमुख मायावती ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में जोरदार प्रचार किया, लेकिन बीएसपी का भी कांग्रेस की तरह खाता नहीं खुला. इतना ही नहीं उसे 1.4 प्रतिशत मत ही मिले, जबकि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखने के लिए उसे कम से कम छह फीसद मत चाहिए थे.
बीएसपी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन जाने के बाद उसे मिलने वाली कई तरह की सहूलियतों पर विराम लग सकता है. मसलन चुनाव में प्रचार के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन से मुफ्त में समय नहीं मिलेगा और न ही उसका चुनाव चिन्ह हाथी बरकरार रह पाएगा. इससे पहले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को दो सीटें ही मिल सकी थीं. पार्टी ने एक सीट झारखंड और एक सीट हरियाणा में जीती थी.
बीएसपी को अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिये झारखंड और जम्मू एवं कश्मीर में तीन-तीन सीट और महाराष्ट्र और झारखंड में एक-एक सीट जीतना जरूरी था. बीएसपी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में भी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. पार्टी को हरियाणा में 4.4 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 2.2 प्रतिशत मत मिले.
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग ने बीएसपी को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया जाए. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने की पहली शर्त चार राज्यों में राज्य पार्टी का दर्जा मिलना आवश्यक है.
बीएसपी को अभी तीन राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में ही राज्य पार्टी का दर्जा हासिल है. बीएसपी को 1997 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था, लेकिन यूपी में 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से उसके प्रदर्शन में हर चुनाव में गिरावट देखने को मिली. पिछले लोकसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली, जबकि उसने 300 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. बीएसपी को लोकसभा चुनाव में 4.19 फीसद मत ही मिले थे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें