नियुक्ति घोटाले में मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के एक दिन बाद केंद्र ने उनसे अपने पद से इस्तीफा देने के लिए कहा और उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मामले में राज्यपाल का नाम आने के बाद गह मंत्रालय ने इस संदर्भ में लिए गए अपने फैसले की जानकारी राज्यपाल को दे दी है। इसके साथ ही सूत्रों ने कहा कि प्राथमिकी के चलते पद के लिए उनकी स्थिति अरक्षणीय हो गयी है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार और राज्यपाल कार्यालय से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि संपर्क किए जाने पर भोपाल में राजभवन के प्रवक्ता ने कहा, दिल्ली से इस संदर्भ में कोई संवाद नहीं हुआ।
मध्यप्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल या व्यापमं के करोड़ों के घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच बल ने कल भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत यादव का नाम प्राथमिकी में दर्ज किया था। इन धाराओं में धोखाधड़ी के लिए धारा 420 भी शामिल है। यादव ने कथित तौर पर वन सुरक्षाकर्मियों के रूप में तैनाती के लिए पांच उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश परीक्षा का आयोजन करवाने वाले व्यापमं के शीर्ष अधिकारियों से की थी।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 20 फरवरी को इस मामले की हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एमए खानविलकर और न्यायाधीश आलोक अराधे ने कहा था कि एसटीएफ राज्यपाल के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए आजाद है, जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। व्यापमं घोटाला दाखिला और नियुक्ति में किया गया एक बड़ा घोटला है जिसमें राजनीतिज्ञों और राज्य के कुछ प्रभावशाली वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता है और इस मामले में राज्यपाल की भूमिका तब जांच के दायरे में आई जब उनके ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी धनराज यादव को व्यापमं की प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) मामले में गिरफ्तार किया गया था।
राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव का नाम जांच के दौरान सामने आया। एक आरोपी ने आरोप लगाया था कि उन्हें अनुबंध शिक्षकों की नियुक्ति के लिए धन दिया गया था। यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और उन्हें 2011 में कांग्रेस ने नियुक्त किया था और उनका कार्यकाल सितंबर 2016 तक है।
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