भारत के सहारा समूह के साथ वाक-युद्ध जारी रखते हुये अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी मिराक कैपिटल ने कहा है कि वह सहारा के खिलाफ अनुबंध तोड़ने के आरोप में कानूनी कार्रवाई करेगी। मिराक ने यह भी कहा है कि वह अपने खिलाफ निराधार दुष्प्रचार को खत्म करने के लिए भारत के उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल करेगी।
मिराक ने कल एक बयान में कहा, वह सहारा के खिलाफ अनुबंध तोड़ने, चरित्र हनन करने और उसके साथ कर्ज के सौदे से जुड़ी समस्याओं को लेकर कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। बयान के अनुसार मिराक समूह सौदे के संबंध में भारत के उच्च न्यायालय में औपचारिक हलफनामा पेश करने की तैयारी में भी है।
सुब्रत राय के नेतृत्व वाले सहारा समूह ने आरोप लगाया है कि मिराक कैपिटल ने उसके साथ 2.05 अरब डॉलर के ऋण सौदे में धोखाधडी और जालसाजी की है। सहारा ने कहा कि उसने मिराक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। मिराक कैपिटल के भारतीय मूल के कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सारांश शर्मा ने कहा कि सहारा की ओर से लगाये जा रहे आरोप तुच्छ हैं और समय बर्बाद करने वाले हैं जबकि सौदे का समय 20 फरवरी को पूरा होने वाला है। उन्होंने कहा कि मुकदमे में अदालत का समय बर्बाद करने से पहले तथ्यों की सामान्य जांच और साक्ष्यों की समीक्षा से जारी दस्तावेज की बात निराधार साबित होगी।
मिराक कैपिटल ने कहा है, मिराक कैपिटल समूह निराधार और बहुप्रचारित दुष्प्रचार को खत्म करने के लिए इस समय सहारा समूह के साथ सौदे के संबंध में एक औपचारिक तथ्यात्मक शपथपत्र तैयार कर रहा है, जो भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और उसके साथ साक्ष्य भी रखे जाएंगे।
अमेरिकी कंपनी ने कहा है कि उसके अधिकारियों को सहारा द्वारा हाल में उठाये गये कानूनी कदमों की जानकारी है। उसने कहा है कि सहारा ऐसा करके सिर्फ समय टालने के लिए हाथ-पैर मार रहा है। मिराक ने सहारा प्रमुख राय पर, खेल खेलने का आरोप लगाते हुये कहा है कि यह अड़गा खड़ा करने की उसकी नयी चाल है। मिराक ने कहा है कि उसके अधिकारियों का मानना है कि यह सौदा पूरा करने के लिए सबसे पहला अवसर उन्हें मिलना चाहिए। मिराक ने सहारा की संपत्तियों की बिक्री की संभावना तलाशने के सुझाव के लिए भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय की सराहना भी की है।
बयान में कहा गया है कि सहारा आज दावा कर रहा है कि उसके पास ऋण जुटाने के लिए और भी विकल्प हैं, जबकि उसकी ओर से इस तरह के 28 प्रयास पहले विफल हो चके हैं। अब मिराक उसकी अड़गेबाजी, दूसरों पर दोषारोपण और अहंकारपूर्ण अनिच्छा का नया शिकार है। मिराक ने कहा है कि इसके बावजूद उसके निवेशक संबंधित संपत्तियों को खरीदने के इच्छुक और उसके लिए समर्थ हैं बशर्ते अदालत उसमें हस्तक्षेप करे।
मिराक कैपिटल ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को जमानत पर छुड़ाने के समूह के प्रयासों में मदद करने की पेशकश की थी। न्यायालय ने सहारा-मिराक सौदे के लिए 20 फरवरी तक का समय दिया है। लेकिन यह करार टूट गया है क्योंकि बीच में बैंक आफ अमेरिका ने यह रहस्योदघाटन किया कि वह मिराक और सहारा के सौदे में किसी प्रकार से संबद्ध नहीं है, जबकि न्यायालय को बताया गया था कि धन का लेन-देन बैंक के जरिये किया जाना है।
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