जेडी(यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर जीतन राम मांझी के चयन को अपनी भूल मानने की बात पर मांझी ने शुक्रवार को कहा कि यह उनकी भूल नहीं बल्कि महाभूल थी। मांझी ने यहां कहा, 'मैंने राजीनति में 34 साल बिताए और मंत्री, विधायक के रूप में कई पदों पर काम किया। उन्होंने यह मानकर भारी भूल की कि मैं उनकी कठपुतली की तरह काम करूंगा।'
नीतीश कुमार पर कोई टिप्पणी करने से अब तक बच रहे मुख्यमंत्री मांझी ने कहा, 'यह सच है कि पिछले साल मई में मुख्यमंत्री बनने के बाद एक-दो महीने तक मुझे उनसे जो भी निर्देश मिलते थे मैं उस पर अमल करता था, लेकिन इस पर लोगों ने मुझे रबड़ स्टैंप मुख्यमंत्री और कुमार द्वारा रिमोट से चलाए जाने वाला मुख्यमंत्री कहना शुरू कर दिया।' उन्होंने कहा, 'लेकिन शीघ्र ही मेरे आत्मसम्मान ने मेरे विवेक को झकझोरना शुरू कर दिया। मैंने गरीबों के अधिकारों के लिए आवाज उठाना शुरू किया जो उन्हें और उनके आसपास के लोगों को पसंद नहीं आया।'
1980 में कांग्रेस विधायक से अपने चुनावी करियर की शुरुआत करने वाले मांझी ने कहा, 'मैं गरीब जरूर हूं पर स्वाभिमान रखता हूं।' उन्होंने कहा कि गरीबी की बात करके और उनके लिए कुछ कार्यक्रमों की घोषणा करके कुछ भी गलत नहीं किया। उन्होंने कहा, 'मैंने समाज के एक बहुत बड़े हिस्से (दलित और महादलित जिनका बिहार में 22 फीसदी से अधिक मत है) का वोट जेडी(यू) के प्रति एकजुट किया ताकि वे अब और इधर-उधर न जाएं बल्कि हमारे साथ रहें।'
मांझी ने कहा कि जब उन्होंने कई मंत्रालयों में बिचौलियों पर कार्रवाई की तब समस्या खड़ी होने लगी। दरअसल ये बिचौलिये विकास की रकम का एक बहुत बड़ा हिस्सा निगल जाते थे। उन्होंने कहा, 'पार्टी प्रवक्ता और कुछ मंत्रियों ने मेरे खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी की और जब मैंने उनसे पूछा कि क्या यह उनकी रजामंदी से ऐसा हो रहा है तो उन्होंने चुप्पी साध ली।' मांझी के साथ मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह भी थे।
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