पटना। आश्वानसन की घुंटी पीने वाले विघुतकर्मी परेशान हैं। बिजली रानी को घर-घर तक पहुंचाने वाले सात सूत्री मांग को लेकर संघर्षरत हैं। 19 सितम्बर 2013 को सरकार,प्रबंधन और यूनियन के बीच में त्रिपक्षीय लिखित समझौता की गयी। इसके पश्चात समझौते को 17 फरवरी 2014 को पुनःनवीकृत भी की गयी।समझौते को 17 फरवरी 2015 तक लागू ही नहीं किया। थकहार कर विघुतकर्मी संयुक्त संघर्ष मोर्चा,बिहार के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर 18 फरवरी को सुबह 6 बजे से जाने को बाध्य हो गए हैं।
बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एसोसिएशन के सचिव संजीव शर्मा और बिहार पावर वर्कस यूनियन के महामंत्री महेश प्रसाद सिन्हा ने संयुक्त रूप से बताया कि प्रबंधन एवं सरकार के द्वारा संविदा कर्मियों तथा मानव बल को छलने का कार्य किया गया है। 3 साल से हम संविदाकर्मी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। सात सूत्री मांगों में है। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों,पदाधिकारियों एवं अभियंताओं की सेवा अभिलम्ब वर्तमान वेतनमान पर नियमित की जाय। मानव बलों को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी एजेंसी से हटाकर सीधे अपने अनुबंध पर रखे, ताकि हो रही दुर्घटनाओं में कमी आ सके। एजेंसी के द्वारा बहाल मानव बलों को तत्काल मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जाय। साप्ताहिक अवकाश, आकस्मिक , ई0पी0एफ0 एवं ई0एस0आई0सी0 का लाभ दिया जाय। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी का कार्य करते हुए दुर्घटनाग्रस्त मानव बमों का इलाज का संपूर्ण खर्च कम्पनी के द्वारा देय किया जाय। कम्पनी का कार्य करते समय कर्मियों की मृत्यु पर क्षतिपूर्ति लाभ दी जाय। अंत में मृत मानव बलों के आश्रितों की नियुक्ति कम्पनी में की जाने की व्यवस्था की जाय। इन मांगों को लेकर 10 एवं 11 दिसम्बर 2014 को सरकार और प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए दो दिवसीय सांकेतिक भूख हड़ताल पर रहे। राज्य के 6 जिला पदाधिकारियों के समक्ष आंदोलन किया गया।
इस बीच विघुतकर्मी संयुक्त संघर्ष मोर्चा,बिहार के द्वारा घोषित आंदोलन के आलोक में काॅन्ट्रेक्ट विघुतकर्मियों की हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए सोमवार की सुबह सचिवालय स्थित लेबर कमिश्नर परवेज आलम की पहल पर वार्ता शुरू हुई। लेकिन, बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी जीएम एचआर राजीव रंजन सिन्हा,बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी के जीएम एचआर आरएन सहाय द्वारा ठोस आश्वासन नहीं दिए जाने के कारण वार्ता विफल हो गई। इस मौके पर बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एसोसिएशन सचिव संजीव शर्मा,बिहार पावर वकर्स यूनियन के महामंत्री महेश प्रसाद सिन्हा एवं मानव बल के संयोजक संजय पांडेय उपस्थित थें।
मानव बल के लोगों का कहना है कि बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के द्वारा मानदेय के रूप में 5 हजार रूपए दिए जाते है। इसमें ठेकेदार और कनीय अभियंता बंदरबांट करके 4 हजार रूपए मानदेय देते हैं। विरोध करने पर मानव बल से हटा देने की धमकी देते हैं। वहीं मानव बलों को कनीय अभियंताओं के द्वारा हड़काना शुरू कर दिया गया है। अगर कल से होने वाली हड़ताल में शामिल होंगे तो तलवान की नौंक पर नौकरी होगी। मौका मिलते ही नौकरी से हटा दिए जाओंगे।
वहीं उपभोक्ता भी परेशान होने लगे हैं। अगर बिजली नहीं आपूर्ति होगी तो जीना मुहाल हो जाएगा। क्रिकेट लवभर भी हलकान होने लगे हैं। वल्र्ड कप मैच नहीं देख पाएंगे। राजनीति से तालुकात रखने वाले को मझधार में मांझी की नाव डूबने और ऊपलाने की खबर देख और सुन नहीं सकेंगे।
आलोक कुमार
बिहार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें