रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को लोकसभा में साल 2015-16 के लिए रेल बजट पेश किया. रेल बजट से लोगों की आशा बंधी होती है, हर तबके के लोग आशा बांधकर बैठे रहते हैं खासकर आम जनता. राज्यों को भी आशा रहती है कि उनके राज्यों के लिए कुछ न कुछ तो इस रेल बजट में अवश्य ही मिलेगा पर कल प्रभु ने अपना पहला रेल बजट पेश कर आम जनता खासकर किसानो की आशाओं पर पानी फेर दिया.
रेल किराया नहीं बढाया गया यह सुखद यात्रा का आभास दिलाने के लिए हमारे रेल मंत्री को काफी लगा और अगले वित्त वर्ष में 4,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए बड़े बड़े व्यापारियों की माल भाड़े को ज्यों का त्यों छोड़ यूरिया और खाद्यानों का माल भाडा 10 प्रतिशत बढ़ाकर अतिरिक्त बोझ किसनों और आम जनता पर डाल दिया . एक तरफ किसान अपनी जमीन बचाने के लिए सरकार की नीति के खिलाफ धरना पर बैठे हैं दूसरी तरफ सरकार उनपर अतिरिक्त बोझ डाल रही है, यह है हमारे सरकार की नीति जिसे आम जनता ने चुना है.
आश्वासन भरा इस बार के रेल बजट में प्रभु ने सुखद यात्रा का आश्वासन भर दिया. कई ऐसे रूट हैं जहाँ गाड़ियों की कमी भी है और जो हैं भी वे सप्ताह में एक या दो दिन ही जाती हैं. उन लोगों को बुलेट ट्रेन के आश्वासन से क्या ? अब आरक्षण 4 महीने पहले कराई जा सकती है.....जैसे तोहफा इसबार के रेल बजट में आया.
ऐसा लग रहा था मानो रेल मंत्री फ़ाइल उठाकर पढ़ रहे हों.... रेल विभाग क्या सब सुविधाएं दे सकती है. आश्वासन और समीक्षा से भरा 2015 - 2016 का बजट का असर और अतिरिक्त भार किसानो और आम जनता पर ही पड़ेगी.
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