सलमान खान को 16 साल पुराने एक मामले में जोधपुर कोर्ट से थोड़ी राहत मिल गई है. अवैध हथियार रखने के केस में सलमान पर फैसला बुधवार को टल गया, जोधपुर कोर्ट अब मामले की सुनवाई 3 मार्च को करेगी. सलमान पर आर्म्स एक्ट के तहत गैर लाइसेंसी हथियारों से 1998 में दो काले हिरणों के शिकार का आरोप है. अगर आरोप साबित होता है तो सलमान को 7 साल तक की सजा हो सकती है.
गौरतलब है कि 16 साल पहले 15 अक्टूबर 1998 को सलमान खान के खिलाफ जोधपुर में फॉरेस्ट विभाग ने आर्म्स एक्ट के तहत दो काले हिरणों के शिकार का मामला दर्ज किया था. केस की आखरी सुनवाई 5 फरवरी को खत्म हुई थी. सलमान खान पर आरोप है कि जिस बंदूक से जोधपुर के कांकनी गांव में शिकार किया गया उसका लाइसेंस भी खत्म हो चुका था. इसलिए सलमान पर लुनी पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत केस लगाया.
इस मामले में सलमान खान को पहले भी लोअर कोर्ट से 5 साल की सजा मिल चुकी है. इस सजा पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी दखल से इनकार करते हुए लोअर कोर्ट को दोबारा सुनवाई के लिए भेज दिया था. हम आपको ये भी बता दें कि इसी मामले में पहले भी सलमान खान 1998 और 2007 में कुछ दिनों के लिए जोधपुर जेल में सजा काट चुके हैं, लेकिन अब फिर से इस केस में फैसले की घड़ी बेहद करीब आने से यकीनन सलमान की धड़कने तेज हो गई होंगी.
सलमान खान ने वैसे तो बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्मों का तोहफा दिया है लेकिन कई कानूनी वजहों से सुर्खियों में भी रहे हैं. 1998 में जोधपुर का काला हिरण शिकार का मामला हो या फिर 2002 में मुंबई में हिट एंड रन का केस. 16 साल पुराने काला हिरण शिकार मामले से ही जुड़े आर्म्स एक्ट केस में जोधपुर कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाने वाली है. एक फिल्म की शूटिंग के लिए सलमान जोधपुर में थे और उसी दौरान 1 और 2 अक्टूबर के बीच की रात उनपर जोधपुर के पास कांकनी गांव में 2 काले हिरण के शिकार का आरोप लगा. जांच के दौरान पता चला कि शिकार के लिए जिस S एंड W 32 बोर रिवॉल्वर और 22 बोर राइफल का इस्तेमाल किया गया था उनका लाइसेंस खत्म हो चुका है यानी सलमान ने गैरकानूनी हथियारों से 2 काले हिरणों का शिकार किया. वन विभाग की शिकायत के बाद लूनी पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत सलमान खान के खिलाफ गैर कानूनी हथियार रखने और इस्तेमाल करने का केस दर्ज किया.
2 फरवरी 2006 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने के बाद लोअर कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई लेकिन अगले 7 सालों तक केस कोर्ट में रुका रहा और आखिरकार मई 2014 में फिर से सुनवाई शुरू हुई, जिसमें आखिरी बहस 5 फरवरी को खत्म हुई. इस पूरे मामले में 16 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं.
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