भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने रेल बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि संसद में रेलमंत्री द्वारा 2015-16 का पेष बजट कार्य योजना विहीन और मँहगाई बढा़ने वाला निराषाजनक बजट है। रेल बजट में बिहार जैसे पिछडे़ राज्य की घोर उपेक्षा की गयी है।
आज यहाँ जारी अपने बयान में राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि यह रेल बजट जनविरोधी है क्योंकि इस बजट का देष की आम जनता पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को नजरअंदाज किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में हुई भारी गिरावट का लाभ आम जनता को नहीं मिला है। रेल यात्रीयों को आषा थी कि नये रेल बजट में यात्री किराया में कमी की जायेगी लेकिन बजट में यात्री किराये में कोई रियायत नहीं दी गई है। बजट में माल भाडे़ में वृद्धि करके रेलमंत्री ने आम जनता पर मँहगाई का अतिरिक्त भार डाल दिया है। माल ढ़ुलाई के भाडे़ में वृद्धि करने से खाद्यान्न, रसोई गैस, भवन निर्माण में इस्तेमाल होने वाला यूरिया, किरासन, कोयला, सीमेंट जैसी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में भारी इजाफा हो जायेगा। नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आते ही माल ढु़लाई के भाडा़ में भारी वृद्धि की गई थी। और एक साल के अंदर ही यह दोबारा वृद्धि की जा रही है।
बयान में कहा गया है कि नये रेल बजट से बिहार वासियों को भारी निराषा हुई है। बिहार जैसे पिछडे़ राज्यों को बजट में प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी लेकिन रेलमंत्री ने बिहार की घोर उपेक्षा की है। बिहार में न तो कोई नयी ट्रेन दी गई है और न ही ट्रेनों का विस्तार किया गया है। बिहार की लम्बित 23 रेल परियोजनाआंे की चर्चा तक बजट में नहीं की गई है और न उनके लिए धन की ही व्यवस्था की गई है। इसका मतलब है कि इन रेल परियोजनाओं को आगे भी बहुत दिनों तक लम्बित रहना पडे़गा।
श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया है कि रेल बजट में रेलकर्मचारियों के लिए कोई चर्चा नहीं है। बजट में स्टेषनों की सफाई, सेफ्टी आदि की बातें तो बहुत की गई है लेकिन उन कार्यों को सुचारू रूप से अंजाम देने के लिए पर्याप्त संख्या मं नये कर्मचारियों की नियुक्ति की कोई कार्य योजना नहीं है। बजट भाषण में रेलमंत्री ने अपने बडे़-बडे़ इरादे तो व्यक्त किये हैं लेकिन उन इरादों को अमली जामा पहनाने के लिए बजट में कोई कार्य योजना नहीं है।
श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने रेलवे स्टेषनों के नाम कंपनियों के नाम पर रखे जाने का भी विरोध किया है। श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने यह आषंका जताई है कि सरकार रेल का निजीकरण करने की दिषा में आगे बढ़ रही है, जो एक घातक कदम होगा।
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