वित्त मंत्री अरण जेटली कच्चे तेल के आयात पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क फिर से लगाने पर विचार कर सकते हैं जिससे सरकार को तीन अरब डालर का अतिरिक्त राजस्व मिलने के साथ और घरेलू उत्पादकों के लिए परिचालन में बराबरी का अवसर मिलेगा. भी कच्चे तेल के आयात पर कोई शुल्क नहीं है जबकि देश में उत्पादित कच्चे तेल पर दो प्रतिशत का केंद्रीय बिक्री कर लगता है जबकि आयातित कच्चे तेल को इससे छूट है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह स्थिति घरेलू उत्पादकों के विपरीत है.
कच्चे तेल की खपत का 20 प्रतिशत हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा होता है जिस पर कर लगता है आयातित 80 प्रतिशत हिस्सा अभी कर मुक्त है. सूत्रों ने कहा कि जेटली 28 फरवरी को पेश किए जा रहे अपने पहले पूर्ण बजट में इस विसंगति को दूर करने के उपाय कर सकते हैं.
वित्त मंत्रालय के सामने जो विकल्प हैं उनमें घरेलू कच्चे तेल पर लगा केंद्रीय बिक्री कर हटाया जाना जाना शामिल हो सकता है ताकि घरेलू उत्खनन कंपनियों को प्रोत्साहन मिले. वैकल्पिक तौर पर कच्चे तेल की कीमत में मौजूदा नरमी का फायदा उठाकर सरकार कच्चे तेल पर सीमा-शुल्क का फिर से लागू कर सकती है.
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