बिहार : अंडे के फंडे से लाखों की आमद... - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

बिहार : अंडे के फंडे से लाखों की आमद...

  • - एक छोटे से पाॅल्ट्री फार्म की षुरूआत कर मो असरफ अली ने फिलवक्त अंडा व्यवसाय के वृहत स्वरूप को साकार किया है
  • - इस सफलता के मद्देनजर सूबाई सरकार ने उन्हें वर्श 13 में सूबे का बेस्ट पाॅल्ट्री फार्मर अवार्ड से नवाजा था

egg-farming-madhubani-bihar
कुमार गौरव, झंझारपुर (मधुबनी): संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे...अंडे के इस फंडे को व्यवसाय का रूप देकर अर्थ संग्रह के वृहत रूप को सच कर दिखाया है मधुबनी जिलान्तर्गत झंझारपुर निवासी मो असरफ अली ने। महज नौ माह के छोटे अंतराल में इस उद्यमी न सिर्फ आमद की बेहद वृहत तस्वीर उभारी है बल्कि मधुबनी जैसे कस्बाई क्षेत्र के लोगों को मार्गदर्शन भी दिया है कि यदि जज्बा और कुछ करने की जिद हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता। तमाम रूकावटों के बावजूद मो असरफ ने फार्मिंग (पाॅल्ट्री) के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया है और तकरीबन सौ लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए। एक छोटे से पाॅल्ट्री फार्म की षुरूआत कर मो असरफ अली ने फिलवक्त अंडा व्यवसाय के वृहत स्वरूप को साकार किया है। इस सफलता के मद्देनजर सूबाई सरकार ने उन्हें वर्श 13 में सूबे का बेस्ट पाॅल्ट्री फार्मर अवार्ड से नवाजा था। अब क्षेत्र के लोगों को स्थानीय तौर पर ही अंडे की वृहत सप्लाई हो रही है। विषेश बातचीत के क्रम में मो असरफ अली ने बताया कि फिलहाल साढ़े बारह हजार अंडों की सप्लाई प्रतिदिन झंझारपुर स्थित उनके फार्म से ही हो रही है। जबकि पूर्व में इसी अंडे की सप्लाई पटना व हाजीपुर से होती थी जो दुकानदारों के लिए न सिर्फ महंगा साबित होता था बल्कि उन्हें ससमय नहीं मिल पाने के कारण उनका व्यवसाय भी बाधित होता था। मो अली कहते हैं कि उनका यह कारवां आगे नहीं बढ़ पाता यदि उनके इस कदम की षुरूआत एम्स (दिल्ली) के डाॅक्टर व स्थानीय निवासी डाॅ राजेष मिश्रा ने नहीं करायी होती। उन्होंने कहा कि डाॅक्टर साहब के सफल मार्गदर्षन व सतत मदद की वजह से ही उन्हें चंडीगढ़ व दिल्ली स्थित बड़े फार्म हाउस से प्रषिक्षण प्राप्त हुआ और इसी तजुर्बे को झंझारपुर जैसे कस्बाई क्षेत्र में अमलीजामा पहनाया गया। उन्होंने कहा कि षुरूआती दिनों उनके इस मुहिम का विरोध उनके घर में ही हुआ लेकिन तमाम रूकावटों को दरकिनार कर उन्होंने सफल युवा उद्यमी बन समाज के सामने एक मिसाल कायम की और आज उनका यह व्यवसाय लाखों रूपये की आमद दे रहा है। हाल ही में सहरसा से झंझारपुर गए पाॅल्ट्री फार्म से संबंधित युवा उद्यमियों की टीम ने यहां आकर मो अली से पाॅल्ट्री फार्म से जुड़े बारीकियों पर चर्चा की और कोसी क्षेत्र में भी अंडा व्यवसाय को बढ़ावा देने की बात कही। पिछले चार सालों से पाॅल्ट्री क्षेत्र से जुड़े साबंत कुमार कहते हैं कि इतने बड़े स्तर पर अंडे का कारोबार सचमुच कोसी व मिथिलांचल क्षेत्र के लिए नई बात है और जल्द ही इसे कोसी क्षेत्र में भी अमलीजामा पहनाया जाएगा ताकि यहां के लोगों को भी कम कीमत पर अंडे व पाॅल्ट्री से जुड़े फायदे मिल सके। वहीं निलेंदु कुमार झा व पप्पू कुमार कहते हैं कि ऐसे पाॅल्ट्री फार्म से अंडों के अलावे बायो फर्टिलाइजर, बायो गैस व बिजली उत्पादन के अवसर सृजित किए जा सकते हैं। वहीं एम्स (दिल्ली) के डाॅक्टर राजेष मिश्रा कहते हैं कि सरकारी मदद के बिना भी सूबे के उद्यमी इस दिषा में आगे बढ़ सकते हैं और इस दिषा में उन्हें किसी की भी मदद से कोई गुरेज नहीं। 

बायो फर्टिलाइजर की भी होती है सप्लाई: मो असरफ अली कहते हैं कि मुर्गियों के बीट से तैयार बायो फर्टिलाइजर की सप्लाई भी बाजार में कम कीमत पर की जा रही है। प्राकृतिक तौर पर तैयार किए जा रहे इस फर्टिलाइजर की मांग किसानों के बीच काफी प्रचलित हो रही है और इसे खेतों में एक बार छिड़काव करने के बाद किसानों को तकरीबन दो सालों तक खेतों में ,खाद डालने की जरूरत नहीं होती है और उन्हें फसलों की अच्छी पैदावार भी नसीब होती है। मो असरफ कहते हैं कि उनके विभिन्न पाॅल्ट्री फार्म से प्रतिमाह दो-तीन टन बायो फर्टिलाइजर तैयार किए जाते हैं और स्थानीय तौर पर इस खाद की अधिक मांग होने के कारण उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है और स्थानीय किसान ही इसकी खरीदारी कर लेते हैं। पाॅल्ट्री फार्म के अलावे उन्हें बायो फर्टिलाइजर से भी अच्छी खासी आमद हो जाती है। लिहाजा उन्होंने इसे आगामी दिनों और अधिक विस्तार देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यदि सबकुछ ठीक ठाक रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बायो फर्टिलाइजर के अलावे अब बायो गैस व उर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया जाएगा ताकि लोगों को महंगाई की मार से थोड़ी राहत मिल सके। 

कोई टिप्पणी नहीं: