भू अधिग्रहण अध्यादेश निरस्त करो - भू अधिग्रहण नहीं, भू अधिकार चाहिए | - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

भू अधिग्रहण अध्यादेश निरस्त करो - भू अधिग्रहण नहीं, भू अधिकार चाहिए |

  • 19 फरवरी को कलेक्ट्रेट में भू अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में सभा|

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टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र सरकार दवारा लाए गए भू अधिग्रहण अध्यादेश को निरस्त करने की मांग को लेकर संसद के समक्ष 23  - 24 फरवरी 2015 को आयोजित रैली में किसानो से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि अब तक देश भर के जन संगठन एवं राजनयिक दल अलग - अलग भू अधिग्राहण के खिलाफ संघर्ष करे रहे है लेकिन पहली बार सभी ने मिलकर एक साथ इस मुद्दे पर संघर्ष करने का फैसला किया है । जन आंदोलनों के राष्ट्रिय समन्वय, अखिल भारतीय वन श्रम जीवी मंच, राष्ट्रिय किसान मजदूर संगठन, एकता परिषद, युवा क्रांति, जन संघर्ष समन्वय समिति, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, जन पहल, भरष्टाचार विरोधी जन आंदोलन, किसान संघर्ष समिति, संयुक्त किसान संघर्ष समिति, इंसाफ, दिल्ली समर्थक समूह, घर बचाओ - घर बनाओ आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान मंच,  टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा दवारा यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन संयुकत रूप से किया जाएगा ।

इस कार्यक्रम में श्री अन्ना हज़ारे, डॉ. सुब्बाराव, सुश्री मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम, रघुवंश प्रसाद सिंह, देवब्रत विस्वाश, हनानमुल्ला, अतुल अंजान, राजगोपाल, राजेंद्र सिंह, अखिल गोगई, अमरनाथ भाई, विश्वम्भर चौधरी, अक्षय कुमार , राकेश रफीक, कर्नल नयन, कमांडर यशवंत, सूफी गिलानी, विनोद सिंह, ऋषिपाल अमबावत, मनवीर भाटी, अशोक चौधरी सहित देशभर के हजारो किसान सम्मिलित होंगे ।

जन आंदोलनों के राष्ट्रिय समन्वय दवारा अंग्रेजो के दवारा बनाये गए भू अधिग्रहण कानून 1894  को रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में संघर्ष करने के साथ -साथ संसद पर कई धरने प्रदर्शन किए गए थे । जन संघर्ष समन्वय समिति एवं अखिल भारतीय वन श्रम जीवी मंच दवारा भी लगातार संसद पर प्रदर्शन किए गए । देशभर के किसान संगठनो के संघर्ष के चलते तथा अनेक किसानो के शहीद होने के बाद संप्रग सरकार को मज़बूरी में भू अधिग्रहण कानून 2013  बनाना पड़ा । यह कानून वर्तमान लोकसभा अध्क्षय सुमित्रा महाजन की अध्क्ष्यता में बनी संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर सभी पार्टियो की सहमति - समर्थन से संसद में पारित किया गया था । हालाँकि इस कानून में जन संगठनो की मांग के अनुसार कृषि भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने तथा ग्राम सभा - मोहल्ला सभा की सहमति के बिना अधिग्रहण न करने के प्रावधान नहीं थे लेकिन जान संगठनो के तमाम सुझाओ को संप्रग सरकार ने स्वीकार किया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दवारा तत्काल 60  हजार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण करने तथा आगामी 2  वर्षो में डी. एम. आई. सी जैसी तमाम परियोजनाओं के लिए 3 लाख 70 हजार हेक्टेयर जमींन  का अधिग्रहण करने की आड़ में भू अधिग्रहण अध्यादेश 2014 "संसद" को दरकिनार कर लाया गया है,  जिसे निरस्त करने के लिए संसद पर किसानो की महारैली का आयोजन 23 -24  फरवरी को जंतर -मंतर पर किया गया है । 

श्री तिवारी ने बताया है की दिल्ली रैली में सामिल होने हेतु 22 फरवरी को सीधी से जत्था रवाना होगा तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाये गये किसान विरोधी भू- अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में कलेक्ट्रेट सीधी में 19 फरवरी को 12 बजे से एक सभा की जाएगी | सभा को समाजवादी बिचारों वाले राजनीतिक दल तथा जन आंदोलनों के साथी संबोधित करेगे |

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