केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा, ''नीतीश कुमार जो कहना चाहें, उसे कहने के लिए वह स्वतंत्र हैं, लेकिन जनता को गुमराह नहीं होना चाहिए. नीतीश कुमार जी चाहते थे कि मैं 24 या 48 घंटे के अंदर जीतनराम मांझी जी को हटा दूं लेकिन यह संविधान संवत नहीं होता.'' उन्होंने आगे कहा, ''मैंने कहा है कि जब 20 फरवरी को दोनों सदनों में राज्यपाल के भाषण के बाद जब विधानसभा अलग से बैठेगी तो सबसे पहले मुख्यमंत्री को अपने पक्ष में विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे और उस पर मतदान होगा.''
बिहार के राज्यपाल ने कहा, ''मैंने कानून केअनुरूप और सुप्रीम कोर्ट के सभी नियम कायदे पढ़कर 9 तारीख के बाद 11 को यह फैसला ले लिया है. इसलिए जल्दी में उतावलेपन ने इस तरह आरोप लगाने और राजनीतिक बयान देने की नीतीश कुमार जी को जरूरत नहीं राज्यपाल के इस बयान के पीछे की कहानी ये है कि कल नीतीश ने राज्यपाल पर आरोप लगाया था कि वो दिल्ली की लिखी स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं. नीतीश की नाराजगी ये है कि राज्यपाल ने मांझी को बहुमत साबित करने के लिए 20 फरवरी तक का समय दिया है. नीतीश 130 समर्थक विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड करा चुके हैं. आज मांझी ने सुबह 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है.
बिहार के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को 20 फरवरी को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा है. 20 फरवरी को गुप्त मतदान के जरिए बहुमत का फैसला हो सकता है. राज्यपाल के फैसले से नाराज नीतीश कुमार ने बीजेपी पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया है. नीतीश ने कल कहा, ‘‘ पहले राज्यपाल की ओर से फैसला करने में देरी और उसके बाद उन्हें (मांझी) अधिक समय देना यह प्रदर्शित करता है कि यह दिल्ली में लिखी गई पटकथा के अनुरूप किया गया है और खरीद-फरोख्त के लाइसेंस पर अमल करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है.’’
अपने चिर प्रतिद्वन्द्वी मोदी पर निशाना साधते हुए जदयू नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह फैसला उच्चतम स्तर पर किया गया. यह मांझी के प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शुरू हुई. राज्यपाल पहले सहमत थे कि शक्ति परीक्षण जल्द होना चाहिए. लेकिल मांझी की प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद चीजें बदल गई. यहां पटकथा लिखी गई.’’
बिहार का मुख्यमंत्री कौन ? जीतनराम मांझी या नीतीश कुमार ?
इस सवाल का जवाब 20 फरवरी को मिल सकता है. बिहार के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने माझी सरकार को इसी दिन अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा है. सूत्रों के मुताबिक बहुमत की परीक्षा के लिए गुप्त मतदान का तरीका अपनाया जा सकता है. नीतीश कुमार अपने साथ 130 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं जो मौजूदा बहुमत के आंकडे से 12 ज्यादा है.
जीतनराम मांझी के साथ फिलहाल जेडीयू के 12 विधायक हैं. उन्होंने बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी से सहयोग मांगा है. बीजेपी मांझी के बहाने नीतीश पर तो निशाना साध रही है लेकिन मांझी को समर्थन देने के मुद्दे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है.
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