बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि वह यहां (दिल्ली) केंद्रीय मंत्रियों से मिलने आए हैं, बीजेपी नेताओं से नहीं। मांझी ने यह भी कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे, ऐसी उनकी मंशा नहीं है।
मांझी ने कहा कि अगर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना होता तो काफी पहले ही ऐसा हो जाता। उन्होंने कहा कि हमारी ऐसी भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक अभी भी घबरा रहे हैं। मांझी ने 118 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा करते हुए कहा कि 20 फरवरी को बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मेरी सरकार को समर्थन देने का फैसला अब बीजेपी को लेना है।
इससे पहले, मांझी ने यहां राज्य के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। मांझी के निकट के सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल से उनकी मुलाकात शिष्टाचार वश थी क्योंकि दोनों दिल्ली में थे, जबकि सिंह से वह बिहार में नक्सलवाद की समस्या के संदर्भ में उनके आवास पर मिले। मांझी विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले कैबिनेट का विस्तार करना चाहते थे और सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इस मुद्दे को त्रिपाठी के समक्ष उठाया लेकिन राज्यपाल की ओर से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
जदयू का मांझी धड़ा और भाजपा पर्दे के पीछे से बातचीत कर रहे हैं ताकि विश्वास मत पर मतदान के दौरान भाजपा उनकी सरकार का समर्थन कर दे। बहरहाल, भजापा ने कहा है कि वह सदन के पटल पर ही आखिरी फैसला करेगी। उधर, बिहार में जनता दल (युनाइटेड) के दो खेमों (नीतीश और मांझी) के बीच सत्ता संघर्ष की लड़ाई के बीच जहां सभी की निगाहें अब सदन पर टिकी हुई हैं, वहीं 20 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र से पहले बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
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