एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को केजरीवाल की सरकार अहम जिम्मेदारी दे सकती है. इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के संजीव चतुर्वेदी को मोदी सरकार ने विवादों के बीच पद से हटाया था और कहा था कि फॉरेस्ट सर्विस के होने के कारण वो पद के योग्य नहीं थे. दिल्ली सरकार से खबर ये है कि केजरीवाल सरकार चतुर्वेदी को दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो का चीफ बना सकती है.
आप नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि, ''हमें दिल्ली में एंटी करप्शन ब्यूरो को बहुत मजबूत करना है, पिछली बार भी हमने यह किया था. चाहें जितने साधन और अधिकारी देने पड़ें. एसीबी को मजबूत करने से भ्रष्टाचार और रिश्वत का बहुत पैसा बचेगा. हमारी पूरी कोशिश है कि इसके लिए हम ईमानदार अधिकारियों को लेकर आएं. '' मनीष ने कहा, ''इसके साथ ही हम जल्दी से जल्दी भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन को भी शुरु करेंगे. हम कोशिश करेंगे कि संजीव चतुर्वेदी को लाएं, उन जैसे ईमानदार अधिकारी को लाकर दिल्ली को बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे.''
मनीष सिसोदिया ने संजीव चतुर्वेदी को लाने पर केंद्र के साथ टकराव की बात से इनकार करते हुए कहा कि, ''केंद्र सरकार के उन्हें हटाने की वजह अलग हैं. उनको दिल्ली में लाने से केंद्र के साथ कोई टकराव नहीं होगा. वह एक ईमानदार अफसर हैं, उन्होंने हरियाणा में बहुत अच्छा काम किया है. आम आदमी पार्टी की सरकार संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो का प्रमुख बनाना चाहती है. केंद्र सरकार से करेगी बात. संजीव चतुर्वेदी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अधिकारी हैं. एम्स के सीवीओ पद से हटाए जाने को लेकर चर्चा में रहे थे.
मोदी सरकार द्वारा एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर को हटाये जाने पर आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल ने उस वक्त सवाल उठाए थे.पद से हटाये जाने की खबर मिलने के बाद संजीव चतुर्वेदी छुट्टी पर चले गए हैं. जून दो हजार बारह में संजीव की नियुक्ति एम्स में चीफ विजिलेंस ऑफिसर के पद पर हुई थी. उनका कार्यकार चार साल तक दो हजार सोलह तक था लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें पद से हटा दिया गया.
एम्स के जिन चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी को हटाया गया है वो एक इमानदार अधिकारी माने जाते हैं और कई मौकों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई है. एम्स में भी उन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था. 3750 करोड़ की लागत से एम्स के विस्तार की योजना में धांधली, सिक्योरिटी एजेंसी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने की कोशिश को उन्होंने उजागर किया था. इसके अलावा एम्स परिसर में दवा स्टोर को लेकर फर्जीवाड़े के खिलाफ भी उन्होंने कार्रवाई की थी. एम्स में फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ती पर भी संजीव चतुर्वेदी ने सवाल उठाए थे. एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर बनने से पहले संजीव चतुर्वेदी हरियाणा में तैनात थे. हरियाणा में भी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें