बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर आज प्रहार करते हुए कहा कि वह भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ एक दिन का सांकेतिक उपवास रखने की अपील करते हैं. पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जदयू कार्यकर्ताओं की राज्यव्यापी रैली को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर प्रहार करते हुए बीजेपी के बारे में कहा कि उस पार्टी का सिद्धांत है कि चुनाव में वादे निभाने के लिए नहीं तोडने के लिए किए जाते हैं.
केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने पर लोकसभा चुनाव पूर्व बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी तथा योग गुरू बाबा रामदेव के द्वारा किए गए वादे से जुडे आडियो टेप सुनाते हुए नीतीश ने कहा कि कालेधन को सौ दिनों के भीतर वापस लाने तथा उसके वापस आने से 15-20 लाख हर गरीब को यूं ही मिल जाने तथा करदाता वेतनभोगी को 5-10 प्रतिशत मिल जाने वादा किया गया था. उन्होंने कहा कि इसी लुभावने वादे के कारण गरीब और नौकरी पेशा लोगों को उक्त राशि मिलने का भरोसा था पर प्रधानमंत्री अब कह रहे हैं उनकी सरकार को पता ही नहीं कि विदेशों में कितना कालाधन जमा है तो चुनाव में यह बात कही क्यों की.
नीतीश ने आरोप लगाया कि बीजेपी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उसे चुनावी भाषण और ‘जुमला’ बता रहे हैं और यह कह रहे हैं कि यह सबको पता था ऐसा किया जाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा ‘जनता तो झांसे में आ गयी. सबके मन में लड्डू फूट रहे थे कि कमल :बीजेपी का चुनाव चिन्ह: का बटन 15 से 20 लाख रूपये पा लो, अब सभी ढूंढ रहे हैं.’
नीतीश ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी के लोग कालेधन से मिलने वाली राशि को लोगों तक पहुंचा देने और मिल जाने की बात किया करते थे, पर अब वे भविष्य की बात कर रहे हैं इसके लिए कानून बनाएंगे और सजा दिलवाएंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी ऐसा जरूर करे पर उसने जो वादे किए उसे वे चुनावी ‘जुमला’ बताकर बचकर नहीं निकल सकते क्योंकि उनके द्वारा जो भी वादे किए गए हैं उस पर कोई यकीन नहीं करेगा.
नीतीश ने आरोप लगाया कि जिस ‘जनधन’ योजना के तहत 12.5 करोड खाता खुलने का दावा किया जा रहा है उसमें से अधिकांश में राशि है ही नहीं. 15 से 20 लाख रूपये गरीबों को देने में समय लगता है तो कम से कम गरीबों के बैंक खातों में 10-15 हजार रूपये भी जमा करके ‘बोहनी’ कर देते. उन्होंने इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौरान भी बीजेपी द्वारा न जाने क्या-क्या वादे किए जाएंगे.
नीतीश ने कहा कि इसी प्रकार से लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं ने किसानों को उनकी फसल के लागत मूल्य का डेढ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का वादा किया था पर इस साल मुश्किल से इसमें तीन प्रतिशत की वृद्धि की गयी जो कि पूर्व की तुलना में उससे भी कम है तथा जिन राज्यों ने किसानों को बोनस देने का एलान किया उन्हें हतोत्साहित करने का फरमान जारी किया गया. उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण बिल को ‘काला कानून’ बताते हुए कहा कि संसद की बैठक का भी इंतजार नहीं किया और अध्यादेश ले आए जो किसानों के साथ अन्याय है.
नीतीश ने कहा कि 2013 में कानून बना, संशोधन हुआ और संशोधन कर मुआवजे को बढाया गया था पर बीजेपी उसका श्रेय स्वयं ले रही थी और अब सत्ता में आने पर उसे बदलने के लिए तुरंत अध्यादेश ले आयी. नीतीश ने कहा कि कानून में प्रावधान किया गया था कि जब तक 80 प्रतिशत किसानों की सहमति नहीं होगी भूअधिग्रहण नहीं किया जाएगा. जमीन का मुआवजा तो दिया ही जाएगा सामाजिक प्रभाव का आंकलन किया जाएगा. उन्होंने बीजेपी पर वोट लिया और सत्ता में आने के बाद किसानों से किए वादे को भूल जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब निजी कापरेरेट घरानों, कल-कारखानों और निजी संस्थानों के लिए जमीन का अधिग्रहण होगा जिसके लिए किसान से सहमति की जरूरत नहीं है और न ही सामाजिक प्रभाव के आंकलन की व्यवस्था की गयी है.
नीतीश ने इस अध्यादेश के खिलाफ तथा फसल के लागत मूल्य का डेढ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का वादे होने के खिलाफ पूरे बिहार में एक दिन का सांकेतिक उपवास रखे जाने की अपील करते हुए कहा कि जदयू के किसान प्रकोष्ठ ग्रामीण अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के बारे में जनसंपर्क और जनजागरण अभियान चलाएं. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से बेरोजगार युवाओं से चुनाव के समय वादे किए गए थे पर रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं और जो नियुक्तियां होनी थीं उस पर भी रोक लगा दी गयी है.
नीतीश ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के मद्देनजर बिहार को हो रहे पांच साल में 50 से 60 हजार रूपये के तुलनात्मक घाटे को उन्हें केंद्र के समक्ष उठाया है. उन्होंने कहा कि वित्त आयोग की अनुशंसा के कारण एक वर्ष में 2014-15 की तुलना में वर्ष 2015-16 में करीब 15 हजार करोड रूपये का घाटा होने वाला है पर बीजेपी लोगों के बीच में खूब मिला-खूब मिला का प्रचार कर रही है. नीतीश ने कहा कि सरकार में होने के कारण हमारा दायित्व बनता है और हमने इसको लेकर सर्वदलीय बैठक की पहल का प्रस्ताव दिया है.
नीतीश ने दावा किया कि जेटली ने बिहार की राशि में कटौती का विरोध करने पर केंद्र ने आंध्र प्रदेश के तर्ज पर बिहार को विशेष सहायता देने की घोषणा की है. मगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की उनकी मांग अभी भी अपनी जगह कायम है और जब तक निवेशकों को छूट नहीं मिलेगी तब तक यह लडाई जारी रहेगी. लोकसभा में कल पेश किए गए आम बजट का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि इसमें आम आदमी, किसान और गरीबों की नहीं बल्कि कापरेरेट घरानों की चिंता की गयी है जबकि लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी का नारा था अच्छे दिन आएंगे. लोग पूछते हैं, ‘‘कब आएंगे, मैं कहता हूं कि जिनकी :पूंजीपतियों: सरकार है उनके लिए अच्छे दिन आ गए तथा जिनके नहीं आए वे चेत जायें.’
नीतीश ने कहा कि पिछले नौ महीनों में भारत के 10-12 खरबपतियों की संपत्तियों में 82460 हजार करोड रूपये का इजाफा हुआ है जिसमें एक की संपत्ति में तो 16740 करोड रूपये का इजाफा हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का ‘गेम प्लान’ था कि मांझी सरकार गलतियां करती रहे और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में वह बाजी मार जाएं.
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की आज सरकार बनने पर उन्हें शुभकामना देते हुए नीतीश ने आरोप लगाया कि वहां के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता (नरेंद्र मोदी) ने कश्मीर के लोगों से कहा था कि कब तक बाप-बेटे (फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला) और बाप-बेटी (मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती) के चक्कर में रहने के बजाय बीजेपी को वोट दें और आज उन्हीं के साथ आज सरकार बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी ऐसी ही बातंे की जाएंगी पर लोगों को उनके झांसे में नहीं आना है.
रैली को संबोधित करते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने आम बजट में गरीबों, किसानों और आमजनों की अनदेखी करने तथा उसमें पूंजीपतियों का बताया. रैली को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह तथा बिहार के कई अन्य मंत्रियों तथा पार्टी नेताओं ने भी संबोधित किया.
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