सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और ऑयल इंडिया (ओआईएल) पर अमेरिकी प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिकी प्रशासन ने इन तीनों को दुनिया की उन पांच कंपनियों की सूची में रखा है, जिनके ईरान के साथ ऊर्जा संबंध रहे है। इनमें चीन की सीएनपीसी और सिनोपेक के साथ उक्त तीनों भारतीय कंपनियां शुमार हैं। ये आठ नवंबर, 2013 और एक दिसंबर, 2014 के बीच ईरान के ऊर्जा क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों में लिप्त रहीं। अमेरिकी ईरान प्रतिबंध अधिनियम में इस बाबत कड़े प्रावधान हैं।
अमेरिकी सरकार के जवाबदेही कार्यालय (यूएसजीएओ) ने '8 नवंबर 2013 और 1 दिसंबर, 2014 के बीच ईरान के उर्जा क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिवधियों में संलिप्त विदेशी कंपनियों' में ओएनजीसी, इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) तथा आयल इंडिया लिमिटेड के साथ साथ चीन की सीएनपीसी तथा सिनोपेक को रखा है।
अमेरिका के ईरान प्रतिबंध कानून के तहत वह विदेशी फर्मों सहित उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है जिन्होंने ईरान के उर्जा क्षेत्र में 12 महीने की अवधि में दो करोड़ डालर से अधिक का निवेश किया है। एक रिर्पोट के अनुसार ब्लॉक परियोजना में इसकी 40 प्रतिशत साझेदारी है। ओएनजीसी की भी इस ब्लॉक में इतनी ही साझेदारी है। जबकि इंडिया ऑयल की इसमें 20 प्रतिशत साझेदारी है। तीनों फर्मो ने जवाबदेही कार्यालय को एक जैसा जवाब दिया है। उनका कहना है कि फारसी ब्लॉक के लिए खोज अनुबंध 2009 में समाप्त हो चुका है। उन्होंने 2007 से ब्लॉक में कोई गतिविधि नहीं की है।
ओएनजीसी की विदेशी निवेश इकाई ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) का नाम ईरान के साथ काम करने वाली कंपनियों की सूची से 2014 में हटा लिया गया था। यूएस जीएओ ने पिछले साल की रपट में ओएनजीसी तथा आयल इंडिया को अपनी रिर्पोट में शामिल किया था लेकिन आईओसी को 'अपर्याप्त सूचना उपलब्ध' होने के कारण अलग रखा था।
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