बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने 16 दिसंबर 2012 को हुए गैंग रेप के मामले में बचाव पक्ष के दो वकीलों को कथित रूप से महिला विरोधी आपत्तिजनक टिप्पणियां करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किए। बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा, 'हमने एम एल शर्मा और ए पी सिंह को बीबीसी की डॉक्युमेंटरी में कथित टिप्पणियां करने के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।' बीसीआई ने अपनी कार्यकारिणी समिति की बैठक के बाद करीब आधी रात को यह फैसला लिया।
समिति ने पाया कि प्रथम दृष्ट्या यह इन वकीलों के खिलाफ पेशेवर कदाचार का मामला है। वकीलों को अधिवक्ता अधिनियम के प्रावधान के तहत नोटिस जारी किए गए हैं और यदि बीसीआई उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं होती है तो वकालत करने के उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं। बीबीसी की विवादास्पद डॉक्युमेंट्री में शर्मा ने कथित रूप से कहा था कि यदि लड़कियां उपयुक्त सुरक्षा के बिना बाहर निकलती हैं तो उनके साथ ऐसी घटनाएं होगी ही। आरोप है कि दोनों वकीलों ने डॉक्युमेंट्री में महिलाओं के लिबास, शाम के बाद बाहर जाने, बॉयफ्रेंड के साथ जाने जैसी बातें का जिक्र कर कहा है कि इन कारणों से भी महिलाओं की सुरक्षा खतरे में पड़ती है।
बीबीसी की डॉक्युमेंट्री में इन वकीलों के इंटरव्यू को आपत्तिजनक मान कर चौतरफा तौर पर कड़ी आलोचना हुई है। कार्रवाई करने की मांग उठने पर बार काउंसिल ने बैठक बुलाई। दोनों वकीलों ने अपनी सफाई में दिए मीडिया में दिए बयान में कहा है कि उन्होंने तो महिला सुरक्षा के तरीके सुझाए हैं और निर्भया केस के बारे में कुछ नहीं कहा है। शर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने किसी से कुछ भी गलत नहीं कहा है।
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