नीतीश सरकार का चुनावी बजट उनके वित्तमंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने पेश किया जिसमें सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया गया है. बिहार में जीतनराम मांझी के बाद बनी नीतीश की सरकार राजनीतिक रूप से इस समय दो मोर्चे पर जूझ रही है. एक तरफ खम ठोकते उन्हीं के पुराने सहयोगी जीतनराम मांझी हैं तो दूसरी तरफ, भाजपा है.
नीतीश ने अपने बजट को चुनाव के लिये तुरुप के पत्ते के तौर पर इस्तमाल किया है. बजट में स्वास्थ्य के लिये 4,971 करोड़ रुपये का प्रावदान किया गया है तो शिक्षा के लिये भी 22,027 करोड़ रुपये का बजट पेशकर नवयुवकों को आकर्षित करने का प्रयास किया गया है. कुल मिलाकर, नीतीश कुमार का बजट पूरी तरह से अगले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
बिहार विधानसभा में गुरुवार को राज्य के वित्तमंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया. इस बजट में कुल 1,20,685 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. सबसे अधिक जोर शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और कल्याण पर दिया गया है. वित्तमंत्री ने योजना आकार में 57,425 करोड़ रुपये तथा गैर योजना मद में 63,260 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.उन्होंने बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में विकास का दावा करते हुए कहा कि इस वर्ष 810 विद्यालयों का दर्जा बढ़ाकर उच्च विद्यालय किया जाएगा तथा राज्य के सभी विद्यालयों में शौचालय निर्माण कराने का प्रस्ताव किया गया है.
यादव ने कहा कि बजट में शिक्षा के क्षेत्र में करीब 22,027 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है. मंत्री ने बजट में स्वास्थ्य विभाग के लिए 4,971 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है. अपने बजट भाषण में उन्होंने नालंदा में 100 बेड वाले आधुनिक अस्पताल खोलने का प्रस्ताव रखा. राज्य में ऊर्जा विभाग के लिए 8,436 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखते हुए मंत्री ने कहा कि बिहार में अभी करीब 2800 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है. उन्होंने कहा कि राज्य के सभी गांवों में बिजली पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है.
पिछले बजट की तुलना में पथ निर्माण विभाग के बजट में मामूली इजाफा करते हुए 5,795 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा, जबकि कल्याण विभाग के लिए 7,951 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है. बजट में कृषि विभाग के लिए 2,833 करोड़ रुपये तथा पंचायती राज विभाग के लिए 4,364 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में माना कि पिछले वित्तवर्ष में विकास दर में मामूली कमी दर्ज की गई है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है. उन्होंने आशा व्यक्त की है कि आने वाले वर्ष में विकास दर एक बार फिर बढ़ेगी. बजट में किसी प्रकार के कर में बढ़ोतरी नहीं की गई है. यादव ने कहा कि बजट में बाजारवाद को नहीं, बल्कि ‘रोजगारवाद’ को बढ़ावा दिया गया है.
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