बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में बुधवार को विश्वास मत हासिल कर लिया। सूत्रों के अनुसार विधायकी जाने के डर से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थकों ने भी नीतीश के पक्ष में वोटिंग की। हालांकि वोटिंग के दौरान विधानसभा से जीतन अनुपस्थित रहे। विश्वासमत प्रस्ताव पर नीतीश कुमार के भाषण के बीच विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि हमारा सवाल आपसे यह था कि आपने मांझी को हटाने का फैसला क्यों किया। लेकिन इस मुद्दे पर आपकी सफाई से हम संतुष्ट नहीं है। इसके बाद भाजपा के सदस्य सदन का बहिष्कार करके चले गए।
विश्वास प्रस्ताव हासिल करने के लिए जदयू ने अपने सभी विधायकों के सदन में मौजूद रहने को लेकर व्हिप जारी किया था। व्हिप में कहा गया कि विश्वास मत हासिल करने तक जदयू के सभी विधायक विधानसभा में मौजूद रहेंगे। सात सर्कुलर रोड पर मंगलवार को हुई बैठक में पार्टी विधायकों को सदन में सुबह 10 बजे पहुंच जाने की हिदायत दी गई। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार आयोजित विधानमंडल दल की बैठक में नीतीश कुमार का स्वागत किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने भाजपा पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा पार्टी तोड़ने का षड्यंत्र कर रही थी, लेकिन जदयू विधायकों की एकजूटता से इसे नाकाम कर दिया गया। उन्होंने विधायकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि भाजपा कहती थी कि जदयू के पचास से अधिक विधायक उनके संपर्क में हैं, लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ।
विधायक दल की बैठक के बाद राजद,कांग्रेस के विधायक भी मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे जहां बुधवार को सदन में विश्वास मत हासिल करने को लेकर रणनीति पर मुहर लगी। जदयू विधानमंडल दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके समर्थक विधायक और विधान पार्षदों को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे नहीं आए। संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि दल के सभी विधायकों पर व्हिप लागू होगा। सभी 110 विधायकों को व्हिप की प्रति भेज दी गई है।
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