छतरपुर (मध्यप्रदेश) की खबर (28 फ़रवरी) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 मार्च 2015

छतरपुर (मध्यप्रदेश) की खबर (28 फ़रवरी)

सीएसपी, सूबेदार सहित दो आरक्षकों पर मामला दर्ज
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छतरपुर 28 फरवरी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी जेएस श्रीवास्तव की अदालत ने छतरपुर सीएसपी डीएस परिहार, सुबेदार और दो आरक्षकों के खिलाफ एक छात्र के साथ मारपीट करने के मामले में संज्ञान लेकर आईपीसी की धारा 323, 294, 452, 506वी के तहत मामला दर्ज किया है। पीडि़त छात्र शनि साहू निवासी बेनीगंज मुहल्लाा ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके पिता का पन्ना रोड पर पूजा रेस्टोरेंट है। दिनांक 12 अक्टूबर 2013 को साढ़े 7 बजे सुबह करीब जब वह सटई रोड स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन कर रहा था तभी एक पुलिस वाहन में सीएसपी डीएस परिहार, सूबेदार रंजीत सिंह सिकरवार, आरक्षक राजू वर्मा और महेंद्र अहिरवार उर्फ राणा आए। पुलिस बालों ने शनि से कहा कि उसके पिता रमेश ने पुलिस के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है वह उनसे कहे कि इस याचिका को बापिस लें ले। शनि के मना करने पर पुलिस बालों ने उसकी लात-घूसों से मारपीट की और गाड़ी में बैठाकर ढावा ले गए जहां अश£ील गालियां देकर मारपीट की और पुन: शनि को गाड़ी में बैठाकर उसके निवास बेनीगंज मुहल्ला लाए। सीएसपी, सूबेदार और आरक्षक शनि के मकान के अंदर घुस गए। मकान में रखा सामान तोड़ दिया। घर की महिलाएं को भी गालियां दी और हाईकोट में दायर याचिका को बापिस लेने के लिए दबाव बनाने लगे। पुलिस ने घर में भी उसके साथ मारपीट की। पुलिस बाले उसे और उसके पिता को थाना सिविल लाइन ले गए जहां पर उसके पिता रमेश के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर दिया। जब इस घटना शिकायत शनि ने थाना सिविल लाइन में करने के लिए कहा तो पुलिस बालों ने उसे डरा-घमकाकर भगा दिया। परिवादी शनि साहू ने एसीजेएम जेएस श्रीवास्तव की अदालत में इस मामले के संबंध में इस्तगाशा पेश किया। शनि की ओर से एडवोकेट एसडी यादव ने अपनी सबूत पेश किए। न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए घटना को अंजाम देने वाले सीएसपी डीएस परिहार, सूबेदार रंजीत सिंह सिकरवार, आरक्षक राजू वर्मा और आरक्षक महेंद्र उर्फ राणा अहिरवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 294, 452, 506वी के तहत संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर दिया है। 

25 आरोपियों को 2 साल की कठोर कैद, 25 हजार का जुर्माना, अदालत के कर्मचारी को कार्यवाही करने में बांधा पहुंचाने का मामला 
बड़ामलहरा। न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी नीरज सोनी की अदालत ने अदालत के कर्मचारी को शासकीय कार्य में बांधा डालने वाले 25 आरोपियों को दोषी करार दिया। अदालत ने सभी आरोपियों को आईपीसी की धारा 353/34 में 2-2 साल की कठोर कैद के साथ 1-1 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई। एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि बिजावर अदालत में आदेशिका वाहन के पद पर पदस्थ देवीप्रसाद दिनांक 24 जून 2008 को एक मामले के संबंध में कब्जा बारंट की तामीलि कराने के लिए घुवारा गए हुए थे। देवीप्रसाद के साथ मौके पर पुलिसबल भी मौजूद था। देवीप्रसाद के द्वारा मौके पर जब कब्जा दिलाने की कार्यवाही की जा रही थी तभी रामसजीवन असाटी और उनके पुत्र दिनेश असाटी ने इस कार्यवाही के बारे में जानकारी दी गई और मकान का सारा सामान निकालकर बाहर रखवा दिया। करीब 4.45 बजे रामसजीवन और दिनेश असाटी करीब 200 लोगों को लेकर अदालत की शासकीय कार्यवाही में बांधा डालने लगे और रामगोपाल साहू और उनके साथियों ने बाहर रखा सामान मकान के अंदर रखने लगे। देवीप्रसाद और पुलिस द्वारा मना करने पर भी यह लोग नहीं माने और शासकीय कार्य में बांधा पहुंचाई। घटना की शिकायत भगवां थाने में करने पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर अदालत में पेश किया गया। शासन की ओर से एडीपीओ श्रीराम यादव ने पैरवी करते हुए अपना पक्ष रखा। न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी नीरज सोनी की अदालत में मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए आरोपी महेंद्र कुमार साहू, संतोष विश्वकर्मा, आनंदी साहू, जयराम असाटी, कोमल विश्वकर्मा, जगदीश राय, जनकराम उर्फ टाटा असाटी, रामगोपाल साहू, दिनेश असाटी, बिंदा पटेल, बिना साहू, निर्पत रैकवार, मोहन पटेल, रामसजीवन असाटी, भवनिया अहिरवार, राजेश सिरोतिया, लखन कुशवाहा, मगन अहिरवार, रमुआ पटेल, गोकुल कड़रिया, जगदीश घोषी, किशन साहू, चंद्रभान लोधी, पप्पू रैकवार, बंदू विश्वकर्मा सभी निवासी घुवारा को दोषी करार दिया। श्री सोनी की अदालत ने सभी 25 आरोपियों को आईपीसी की धारा 353/34 में दो-दो वर्ष की कठोर कैद के साथ 1-1 हजार की सजा सुनाई। 

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