भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर जमी बर्फ को एक बार फिर पिघलाने की तैयारी शुरू हो गई है. विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द होने के सात महीने बाद विदेश सचिव एस. जयशंकर बुधवार को इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं. पाकिस्तान जयशंकर के दौरे में भरोसा बढ़ाने के उपायों की पेशकश कर सकता है. इस दौरान 2003 के युद्धविराम की बहाली हो सकती है.
सचिव स्तर की यह बातचीत ऐसे समय में भी हो रही है, जब सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन बड़ा मुद्दा है. बीते कुछ महीनों में सीमा पर तनाव बढ़ा है. पाकिस्तान इसे खत्म करने की पहल कर सकता है. जयशंकर इस्लामाबाद के बाद अफगानिस्तान जाएंगे. पाकिस्तान के पूर्व राजदूत यूएस हुसैन हक्कानी ने कहा कि भारत-पाकिस्तान की वार्ता एक आशा के साथ शुरू हुई थी, लेकिन निराशा के साथ बंद हुई. हक्कानी ने कहा, 'दोनों देश पहले एक दूसरे को दोस्त समझें तभी वार्ता का मकसद हल होगा.
भारत के साथ सचिव स्तर की इस बातचीत से ठीक पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ ने भारत को चेतावनी दी है. चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को सीजफायर उल्लघंन का जवाब देना होगा. जनरल राहिल शरीफ ने कहा कि एलओसी पर किसी तरह के उकसावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सियासी पंडित उनके बयान का 'असली मतलब' निकालने में जुटे हैं.
पाकिस्तान ने 27 फरवरी को कहा कि वह भारतीय विदेश सचिव सुब्रमण्यम जयशंकर के साथ सभी विवादों पर चर्चा करेगा. जयशंकर 3 और 4 मार्च को पाकिस्तान के दौरे पर रहेंगे. पाकिस्तानी समाचार पत्र 'डॉन' के मुताबिक, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता तसनीम असलम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कश्मीर, सियाचिन, सरक्रीक और अन्य मुद्दों पर भारतीय विदेश सचिव के साथ बातचीत की जाएगी. उन्होंने कहा, 'हम भारत की इस पहल का स्वागत करते हैं.' पाकिस्तान और भारत ने पिछले साल अक्टूबर में गोलीबारी में हुई वृद्धि के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण किया.' गौरतलब है कि अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी पिछले महीने दोनों देशों से वार्ता बहाल करने की अपील की थी और कहा था कि वाशिंगटन कश्मीर में सीमा पर हिंसा में वृद्धि को लेकर चिंतित है.
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