कथक के महारथी पंडित बिरजू महाराज को लखनऊ के कालका-बिंदादिन घराने की विरासत को आगे बढ़ाने और विश्व भर में कला की इस विधा का प्रसार करने के लिए हाल ही में उस्ताद चांद खान लाइफटाईम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
बिरजू महाराज ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘‘यह पुरस्कार मेरे लिए और भी अधिक खास है क्योंकि मुझे संगीत के विशेषज्ञों को सुनने और उनसे आशीर्वाद लेने का अवसर मिला. चूंकि हम सभी कला के क्षेत्र से हैं, मेरे पिता खान साहब के दोस्त थे. जब खान साहब 1944-45 के दौरान दिल्ली में थे ,तब मैं बच्चा था और कभी-कभी उस्ताम चांद खान के पास जाया करता था और उन्हें सुना करता था.’’
पंडित बिरजू महाराज को यह पुरस्कार दो दिवसीय संगीत मार्तंड उस्ताद चांद खान संगीत समारोह के अवसर पर दिया गया. इस दौरान भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई दिग्गजों ने विभिन्न रागों की शानदार प्रस्तुति दी. इन चर्चित कलाकारों में अजय चक्रवर्ती, राजन-साजन मिश्रा, शुभा मुदगल और उस्ताद इकबाल अहमद खान शामिल थे.
शुभा मुदगल ने अपनी प्रस्तुति दी . इसका समापन उन्होंने उत्तरप्रदेश और बिहार में चर्चित उप-शास्त्रीय गायन शैली ‘होरी’ के जरिए किया. वहीं पंडित अजय चक्रवर्ती ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की शैली खयाल और ठुमरी में गायन की प्रस्तुति की. राजन-साजन मिश्रा ने राग जयजयवंती और होरी के जरिए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. ठुमरी, दादरा, भजन और गजल शैलियों के गायन में भी सिद्धहस्त बिरजू महाराज ने कहा, ‘‘हम सबने अपना जीवन संगीत और भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न विधाओं को समर्पित कर दिया. यदि मुझे एक और जीवन मिलता है तो मैं उसे भी भारतीय शास्त्रीय कला को समर्पित कर देना चाहूंगा.’’
युवा पीढ़ी में भारतीय संगीत के प्रति रूचि का जिक्र करते हुए बिरजू महाराज ने कहा, ‘‘युवा पीढ़ी का रूझान भारतीय शास्त्रीय संगीत की ओर देखकर बहुत अच्छा लगता है. स्पिक मैके के जरिए, मैं कुछ स्कूलों और कॉलेजों में भी कथक को बढ़ावा देने के लिए जाता हूं तो देखता हूं कि छोटे बच्चे सीखने में रूचि रखते हैं. यह देखकर अच्छा लगता है.’’
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