अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई को लेकर बढ़ते विवाद के बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के मद्देनजर मसरत और उसके समर्थकों की निगरानी सुनिश्चित करेंगे। राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में अपने एक बयान में कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार ने मसरत आलम की रिहाई मामले में समय पर कारवाई नहीं की। मसरत पर 27 केस चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को आलम पर एडवाइजरी जारी की है और उसके खिलाफ सभी केसों को गंभीरता से चलाने के लिए कहा है। राज्य सरकार की ओर भेजे गए रिपोर्ट से गृह मंत्रालय नाखुश है। मंत्रालय ने राज्य सरकार से फिर रिपोर्ट मांगी है। मसरत की रिहाई को लेकर अब हमें तीसरी रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने मसरत की रिहाई को लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार को जिम्मेवार ठहराया। सिंह ने यह भी कहा कि, जम्मू कश्मीर सरकार ने केंद्र से कहा है कि मसरत आलम को फिर से हिरासत में लेने के लिए कोई आधार नहीं है।
गौर हो कि मसरत आलम की विवादित रिहाई के मुद्दे पर केंद्र को बुधवार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। भाजपा की ओर से अपने गठबंधन सहयोगी पीडीपी को कड़ा संदेश दिए जाने के एक दिन बाद राज्य सरकार ने यह रिपोर्ट दी है। राज्य के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हां, हमने (स्पष्टीकरण के साथ) गृह मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उससे एक उचित स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा था कि वह आलम की रिहाई पर राज्य के गृह विभाग की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। गृह मंत्री ने जोर देकर कहा था कि राजग सरकार की शीर्ष प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा है, न कि राज्य सरकार को बचाए रखना।
श्रीनगर में 2008-10 में हुई पत्थरबाजी की घटना के मास्टरमाइंड आलम की रिहाई पर देश भर में भारी हंगामा मचा था और कई तबकों से उसे फिर गिरफ्तार करने की भी मांग उठी है।
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