मसरत विवाद पर राजनाथ सिंह संसद में देंगे बयान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 मार्च 2015

मसरत विवाद पर राजनाथ सिंह संसद में देंगे बयान

रिपोर्ट के अंदर कहा गया है कि रिहाई न्याय प्रक्रिया के तहत की गई है. आज संसद में भी मसरत आलम की रिहाई पर हंगामा होने के आसार है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी आज मुफ्ती सरकार की रिपोर्ट और मसरत आलम की रिहाई पर अपनी बात संसद में रखेंगे. सूत्रों के अनुसार मुफ्ती सरकार एक और कैदी आसिफ हुसैन फक्तू की रिहाई पर भी विचार कर रही है. वहीं कांग्रेस ने मसरत आलम रिहाई मामले पर संसद के दोनों सदनों में स्थगन प्रस्ताव पेश कर दिया है.

जम्मू कश्मीर में बीजेपी पीडीपी का विवाद बढता जा रहा है. मुफ्ती के फैसलों से नाराज विश्व हिंदू परिषद ने मुफ्ती मोहम्मद सईद से माफी मांगने की मांग की है. प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि अगर मुफ्ती पाकिस्तान परस्ती नहीं छोड़ते तो फिर उन्हें कान पकड़कर हटा देना चाहिए. वीएचपी की ओर से मांग तो उठी ही है. बीजेपी विधायक रवींद्र रैना ने भी साफ कहा है कि भारत मां के लिए एक नहीं हजार सरकार कुर्बान करने को तैयार हैं.

जम्मू में बीजेपी विधायकों और बड़े नेताओं की बीच कल बैठक भी हुई. बैठक में मुफ्ती के फैसलों और विवादित बयानों को लेकर चर्चा की गई. बीजेपी ने कहा ऐसे फैसलों से गठबंधन को खतरा है. कांग्रेस ने पीएम से जवाब मांगा है. हफ्ते भर में ही बात अब गठबंधन टूटने तक पर आ गई है. बीजेपी ने साफ कहा है कि मसरत के मुद्दे पर पार्टी को अंधेरे में रखा गया. विवाद की शुरुआत तो पहले ही दिन हो गई थी . लेकिन यहां तक बात तब पहुंची जब मुफ्ती ने बीजेपी की बात सुननी ही बंद कर दी. पार्टी ने विरोध जताया था फिर भी अलगाववादी नेता मसरत आलम को जेल से रिहा कर दिया गया.

घाटी में मसरत आलम की पहचान देश विरोधी कट्टरपंथी नेता की है. मसरत मुस्लिम लीग का नेता है जो बारामूला की जेल में बंद था. मसरत पर 2010 में भारत विरोधी आंदोलन चलाने का आरोप था जिसकी वजह से गिरॆफ्तारी हुई थी. 11 जून 2010 से शुरू हुई पत्थरबाजी की घटना सितंबर महीने तक चली थी. जिसमें सौ से ज्यादा लोगों की जान गई थी और इस घटना के पीछे मसरत का हाथ माना जाता है. मसरत की रिहाई को लेकर कांग्रेस पीएम से जवाब मांग रही है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए ट्विटर पर अपनी राय रखी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बीजेपी-पीडीपी सरकार ने श्रीनगर में मसर्रत आलम को रिहा किया, जम्मू में भाजपा ने विरोध जताया, दिल्ली में सवालों से बचने वाले मिस्टर प्रधानमंत्री बताइये..वह राजनीतिक बंदी है या आतंकवादी?’’ युवा कांग्रेस के पूर्व प्रमुख और पार्टी सांसद राजीव सातव ने भी सरकार पर निशाना साधा.

मसरत के मुद्दे पर बाहर से लेकर घर के अंदर तक बीजेपी घिर गई है.  आरएसएस के मुखपत्र में पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह ने लेख लिखा है कि बीजेपी मुफ्ती मोहम्मद से पूछे कि वो भारतीय हैं या नहीं. कुल मिलाकर अभी हालत ये है कि बीजेपी को न तो मुफ्ती निगलते बन रहे हैं और ना ही उगलते . जम्मू में जो बैठक हुई है उसमें सरकार में शामिल कई पार्टी के कई मंत्री मौजूद नहीं थे . ऐसे में सवाल ये है कि क्या अगली बैठक के बाद वाकई में बीजेपी मुफ्ती को बाय बाय कर देगी ? या फिर ऐसे ही चलता रहेगा .

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