दुनिया में अभी 12 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं और शिक्षा के लिए हर साल 22 अरब डालर बजट की कमी है तथा केवल एक तिहाई देशों ने ही अब तक सबको शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त किया है। जहां तक शिक्षा में लैंगिक समानता का सवाल है, एक तिहाई देशों में लडके एवं लड़कियों की प्राथमिक शिक्षा में समानता नही है जबकि माध्यमिक शिक्षा में दुनिया के आधे देशों में लैंगिक समानता नहीं है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की सबको शिक्षा की विश्व निगरानी रिपोर्ट में यह तथ्य सामन आये हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज यह रिपोर्ट जारी की । रिपोर्ट में कहा गया है कि सबको शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में भारत ने काफी प्रगति की है और अब केवल दस प्रतिशत छात्र ही स्कूली शिक्षा से वंचित हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के केवल 47 प्रतिशत देशों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में सौ प्रतिशत दाखिला हो पाया है जबकि भारत समेत 8 प्रतिशत देश जल्द ही यह लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे। 20 प्रतिशत देश इस लक्ष्य से काफी दूर है। इस तरह 1999 की तुलना में अब दुनिया के दो तिहाई बच्चे प्री-प्राइमरी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने में गरीबी अभी भी समस्या बनी हुई है और यही कारण है कि अगर दुनिया का एक अमीर बच्चा स्कूल में पढ़ता है तो चार गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित है। अगर दुनिया का 100 अमीर बच्चा स्कूल की पढ़ाई पूरी करता है तो गरीब बच्चों में से केवल बीस ही अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं। रिपोर्ट में पाठ्यक्रमों में लैंगिक, पूर्वाग्रह,स्कूलों में लड़कियों के साथ यौन हिंसा तथा मिहला टीचरों की कमी पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गयी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 78 करोड 10 लाख निरक्षर प्रौढ़ लोगों में से दो तिहाई महिलाएं है। सब सहारा अफ्रीकी देशों की आधी महिलाएं भी निरक्षर है।
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