मध्य प्रदेश : किसानों के साथ धोखा किया प्रदेश सरकार ने, - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

मध्य प्रदेश : किसानों के साथ धोखा किया प्रदेश सरकार ने,

  • प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे किसानों को दिया जा रहा आधा ऋण, कांग्रेस नेता जोकचन्द्र का आरोप 

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पिपलिया स्टेशन (निप्र)। प्रदेश की किसान विरोधी भाजपा सरकार ने किसानों को सोसायटियों के माध्यम से मिलने वाले ऋण में रबी व खरीब की फसल का एक साथ ऋण न देकर अन्नदाताओं की कमर ही तोड़ दी है, सरकार ने ऋण वसूली तो पूरी कर ली, लेकिन वापस ऋण देने में आधा पैसा ही दिया जा रहा है, यह अन्नदाताओं के साथ धोखा है। 31 मार्च तक बैंकों ने येन-केन प्रकारेण ऋण की अदायगी कर ली अब बैंक पुनः ऋण देने से मुकर गई है, जिससे किसानों की आर्थिक हालात और भी खराब हो गई है। कांग्रेस नेता श्यामलाल जोकचंद्र ने बताया पूर्व में सोसायटियों के माध्यम से किसानों को प्रति हेक्टेयर ऋण मिलता था, जिसमंे सोयाबीन की फसल पर 24 हजार व गेंहू की फसल पर 33 हजार की राशि मिलती थी व 25 प्रतिशत खाद बीज के रूप में एकसाथ मिलती थी, जो एक वर्ष में 31 मार्च तक बैंक को पुनः जमा करनी पड़ती थी, इस वर्ष बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई, फिर भी किसानों से सोसायटियों ने पठानी वसूली कर राशि जमा करवाई, 

कुल प्रति हेक्टेयर 43 हजार की राशि जमा करने के बाद किसान अब वापिस ऋण लेंने गए तो बैंक ने मात्र आधी राशि का ही ऋण दिया, बाकी कहा की सरकार का नया प्रावधान है कि अब बाकि का ऋण 6 महीने बाद मिलेगा, जोकचंद्र आगे बताया अन्नदाता यह धोखा बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है, प्राकृतिक आपदा के बावजूद बमुश्किल से किसानों ने बैंक की ऋण अदायगी की, अब बैंक ऋण नहीं दे रही तो अन्नदाता कहां जाए, जोकचंद्र ने बताया प्रदेश के मुख्यमंत्री किसान हितेषी होने का नाटक करते है, गत दिनों ओलावृष्टि हुई, मल्हारगढ़ विधान सभा के गांव हरसोल में मुख्यमंत्री ने आकर किसानों को फसलों का मुआवजा देने, फसल बीमा देने व बैंकांे की वसूलियां स्थगित करने जैसी बातंे बड़ी जोर-शोर से की, नोटंकी करने वाले मुख्यमंत्री ने यहाँ तक कह दिया था की ओले किसानों के खेत में नही मुख्यमंत्री की छाती पर गिरे है। परन्तु भोपाल जाते ही किसानों के ऋण को आधे से भी कम कर दिया, आज तक ऐसी असंवेदनशील सरकार कही न देखी, जोकचंद्र ने बताया  अन्नदाताओं का रोज अपमान हो रहा है, वह सरकार का जुल्म सह रहा है, कोई सुनने वाला नहीं है, एसी सरकार के खिलाफ बड़े जन आंदोलन की जरुरत है।

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