उत्तराखंड की विस्तृत खबर (08 अप्रैल) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 8 अप्रैल 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (08 अप्रैल)

जमीनी हकीकत से कोसों दूर चारधाम यात्रा तैयारियों के दावे, भगवान भरोसे ही यात्रा करेंगे श्रद्धालु
  • यात्रा मार्ग की अधिकांश सड़कें बेहद खस्ता हाल, प्री-फैब्रिक शौचालय के दावों में नहीं कोई सच्चाई
  • ट्रामा सेंटरों में भी नहीं हो सकीं पूरी व्यवस्थाएं, जीएमवीएन की तैयारियों को भी नहीं गया परखा

देहरादून 8 अप्रैल । सरकार के पर्यटन मंत्री और अफसर देहरादून में बैठकर चारधाम यात्रा की तैयारियों के चाक-चैबंद होने के दावे कर रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं अलग है। यात्रा मार्गों की हालत बेहद खस्ता है और अन्य जरूरी सुविधाएं भी महज कागजों में पूरी कर ली गईं लगती है। अगर अब भी सरकारी सिस्टम नहीं चेता तो इस बार यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान के भरोसे ही अपनी यात्रा पूरी करनी होगी। चारधाम यात्रा सीजन शुरू होने में अब चंद रोज ही बाकी है। सरकार की ओर से तमाम व्यवस्थाएं चाक-चैबंद होने के लगातार दावे किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि सबकुछ दुरुस्त कर लिया गया है। इस बार यात्रियों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। न्यूज वेट ने सरकार के इन दावों की पड़ताल कराई तो पता चला कि सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है। सरकार का पूरा फोकस केवल केदारधाम और कुछ हद तक बदरीनाथ धाम पर ही है। गंगोत्री और युमनोत्री धाम की ओर अभी तक किसी की तव्वजो नहीं गई है। पहले बात खस्ताहाल सड़कों की। केदारनाथ धाम की सड़क को ऋषिकेश से देवप्रयाग तक ही ठीक कहा जा सकता है। इससे आगे की सड़क जगह-जगह अभी भी क्षतिग्रस्त है। कहीं गढ्डे हैं तो कई सड़क टूटी है। कई स्थानों पर अभी भी मलबा पड़ा हुआ है। रुद्रप्रयाग के कलियासौंण के बीच की सड़क बेहद खराब है। केदारनाथ धाम के रास्ते में आने वाले पैणी, हैलंग, गौरीकुंड और सोनप्रयाग में सड़क की स्थिति को ठीक नहीं कहा जा सकता है। बदरीनाथ धाम के लिए जाने वाली सड़क गौचर, कर्णप्रयाग और नंदप्रयाग में खस्ता हाल है। हनुमान चट्टी के पास सड़क आपदा के वक्त टूटी थी। इसे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। यमुनोत्री धाम की बात करें तो इसकी सड़क को देहरादून से यमुना पुल तक ही ठीक कहा जा सकता है। इससे आगे डामरा, नौगांव से यमुनोत्री तक रास्ता बेहद खराब है। इस धाम का पांच किलोमीटर लंबे पैदल ट्रैक की भी किसी ने सुध नहीं ली है। गंगोत्री धाम की बात करें तो यह मार्ग बड़कोट और धरासू बैंड तक ही ठीक है। इसके आगे ब्रह्मखाल, भटवाड़ी,गंगानानी,हर्षिल तक सड़क बेहद ही खराब है। सरकार की ओर से यात्रा मार्गों पर प्री-फैब्रिक शौचालय की बात की जा रही है। जमीनी हकीकत बता रही है कि यह काम अभी तक सरकारी फाइलों में ही चल रहा है। जगह-जगह पीने के पानी की व्यवस्था का दावा भी हवाई ही साबित हो रहा है। गढ़वाल मंडल विकास निगम या फिर पर्यटन विभाग के पास इस बात का कोई डाटा नहीं है कि यात्रा मार्ग पर एक समय में अधिकतम कितने यात्रियों के कहां-कहां ठहरने का इंतजाम हो सकता है। रास्ते के अस्पतालों में बने ट्राम सेंटरों की व्यवस्थाओं को अब तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है। जाहिर है कि सरकारी तंत्र के दावों और जमीनी हकीकत में कोई समानता नहीं है। सरकार भले ही देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तमाम व्यवस्थाएं करने की बात प्रचारित कर रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि इस बार भी यात्रा भगवान के भरोसे ही होगी।

भगवान पुर उप चुनावः ममता राकेश की जीत को पक्की मानकर लड़ रही कांग्रेस, बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा सियायी संग्राम
  • कांग्रेस संगठन ने झोंक दी अपनी पूरी ताकत, मुख्यमंत्री हरीश खुद भी जुटे चुनाव प्रचार में

देहरादून 8 अप्रैल । भगवानपुर विधानसभा सीट के लिए चल रही चुनाव प्रक्रिया का भले ही ज्यादा शोर नहीं राजधानी तक सुनाई नहीं दे रहा है। अलबत्ता सियासी गलियारों में यह उप चुनाव चर्चा का विषय बना हुआ है। एक तरफ कांग्रेस को सहानुभूति लहर के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की आस है तो भाजपा सरकार की खामियां गिनाकर उप चुनाव में खाता खोलने की तैयारी कर रही है। काबीना मंत्री सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद रिक्त हुई इस सीट के लिए 11 अप्रैल को मतदान होना है। ऐसे में चुनाव प्रचार गुरुवार शाम पांच बजे से थम जाएगा। कांग्रेस इस चुनाव में अपनी प्रत्याशी ममता राकेश की जीत तय मानकर चल रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लग रहा है कि स्व. सुरेंद्र की मृत्यु से उनकी पत्नी ममता के लिए लोगों के दिलों में सहानुभूति और इसकी के चलते कांग्रेस के चुनाव चिन्ह वाला बटन खूब दबेगा। इसके बाद भी कांग्रेस कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भगवनापुर में ही अपनी टीम के साथ डेरा जमा लिया। इंदिरा ह्रदयेश समेत कई मंत्रियों के भी दौरे हो चुके हैं। अब खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुनाव प्रचार का समय समाप्त होने तक वहीं जमे रहने का फैसला लिया। कांग्रेस की ओर से इस चुनाव में काबीना मंत्री के तौर पर स्व. सुरेंद्र राकेश की ओर से कराए गए कामों के साथ ही राज्य सरकार के कामों का भी जिक्र किया जा रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस को लग रहा है कि इस उप चुनाव में भी उसकी जीत का सिलसिला जारी रहेगा। दूसरी तरफ भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा के कई दिग्गज नेता भगवानपुर इलाके में राज्य सरकार की नाकामियों का जिक्र करके पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। शुरुआती दौर में बेहद कमजोर बताए जा रहे भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस अब हल्के में नहीं ले रही है। माना जा रहा है कि भाजपा नेताओं की मेहनत से पार्टी प्रत्याशी अब कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले में आ गए हैं। अहम बात यह है कि भाजपा राज्य में अब तक हुए तीन उप चुनाव में से एक में भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है। भाजपा नेता इस उप चुनाव में अपनी हार के इस मिथक को तोड़ना चाहती है।

भाजपा की ओर से निशंक मोर्चे पर
पिछले उप चुनाव में डोईवाला सीट पर हुई भाजपा की हार के बाद पार्टी के ही कुछ नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार के मौजूदा सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर अंगुलियां उठाई थी। इस बार निशंक किसी को कोई मौका ही नहीं देनाचा चाहते हैं। निशंक अपनी टीम और समर्थकों के साथ इस उप चुनाव के मैदान में डटे हुए हैं। इसमें कोई राय नहीं है कि अगर इस उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत होती है, इसका अधिकांश श्रेय निशंक के खाते में ही जाएगा। इससे हाईकमान की नजरों में भी निशंक का कद बढ़ेगा और आने वाले समय में निशंक को इसका सियासी लाभ भी मिल सकता है। यह वजह है कि निशंक पूरी दम-खम के साथ भगवानपुर में डटे हुए हैं।

पुलिस महानिदेशक ने निवर्तमान मुख्य सचिव की साख पर उठाए सवाल, झूठा था सुभाष का एफिडेविट !
  • मनमाने अंदाज में काम कर रहे डीजीपी बीएस सिद्धू, दरोगा ने हिम्मत दिखाई तो सिखा दिया करारा सबक

देहरादून 8 अप्रैल । पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू भले ही कई आरोपों में घिरे हों। लेकिन मनमानी वाला उनका अंदाज बदलता नहीं दिख रहा है। एक दारोगा को करारा सबक सिखाने वाले डीजीपी ने इस बार तो सूबे की नौकरशाही के पूर्व प्रमुख सुभाष कुमार की साख पर ही सवाल उठा दिए हैं। अब सरकार है कि सब कुछ जानकर भी अंजान सी बनी हुई है। डीजीपी सिद्धू एक जमीन खरीदने के मामले में आरोपों के घेरे में हैं। इस जमीन के विवादित साबित होने के बाद डीजीपी ने रजिस्ट्री रद्द करवा ली और स्टांप शुल्क वापसी के लिए विभाग को खत लिखा। इसी बीच जमीन से पेड़ कटवाने का मामला तूल पकड़ गया। इसकी सुनवाई अब ग्रीन ट्रब्यूनल में हो रही है। इस मामले में भी डीजीपी अपने अंदाज में काम कर रहे हैं। ग्रीन ट्रब्यूनल ने गवाही के लिए मामले की जांच करने वाले दारोगा निर्विकार को तलब किया। पुलिस महकमे ने उन्हें ट्रब्यूलन में जाने की अनुमति ही नहीं दी। अब ट्रब्यूनल ने दारोगा के साथ ही रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक को भी तलब किया है। ग्रीन ट्रब्यूनल में फंसने की आशंका के मद्देनजर डीजीपी ने अब सूबे के पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की साख पर ही सवाल उठा दिए हैं। दरअसल, तत्कालीन मुख्य सचिव ने ग्रीन ट्रब्यूनल के आदेश पर अपनी ओर से एक एफिडेविट दाखिल किया है। सूत्रों का कहना है कि इस एफिडेविट में डीजीपी के खिलाफ कई साक्ष्य दिए गए हैं। ग्रीन ट्रब्यूनल इसी एफिडेविट के आधार पर अपनी जांच आगे बढ़ा रहा है। इस बार डीजीपी ने इस शपथपत्र पर ही सवाल उठा दिए हैं। बताया जा रहा है कि डीजीपी ने सरकार को एक पत्र दिया है। इसमें कहा गया है कि पूर्व मुख्य सचिव की ओर से दिए गए शपथपत्र में कई खामियां हैं। इसमें संशोधन करते हुए नया शपथपत्र दाखिल किया जाना चाहिए। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की ओर से दिए गए शपथपत्र में झूठे तथ्यों का समावेश किया गया है। अगर यकीनी तौर पर ऐसा है तो यह सवाल भी बाजिब है कि सुभाष कुमार ने आखिर ऐसा क्यों किया। क्या उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं रहा होगा कि झूठा शपथपत्र देने के आरोप में उनके खिलाफ भी कोई एक्शन हो सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर डीजीपी के लग रहा है कि तत्कालीन मुख्य सचिव ने गलत शपथपत्र दिया है तो उन्हें ग्रीन ट्रब्यूनल में ही इसे चेलैंज करना चाहिए था। कहा जा रहा है कि अगर सरकार की ओर से कोई संशोधित शपथपत्र दिया जाता है तो इसकी आंच पूर्व मुख्य सचिव तक आएगी। बहरहाल, नौकरशाही के मुखिया के रूप में तत्कालीन मुख्य सचिव की ओर से दिए गए शपथपत्र पर सवाल उठाकर डीजीपी ने एक बार फिर साफ कर दिया है उनके काम करने के अंदाज में कोई बदलाव नहीं आया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार का इस मामले में क्या रुख रहता है।

मुख्यमन्त्री पर लगाया झूठ बोलने का आरोप, भूमि उपलब्ध कराना राज्य सरकार के अधिकार में 
  • भाजपा ने आपदा राहतकोश पर ष्वेत पत्र जारी करने की उठाई मांग

देहरादून 8 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमन्त्री और क्षेत्रीय विधायक हरीश रावत पर सफेद झूठ बोलने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि पुर्नवास के मामले में मुख्यमन्त्री झूठ बोलकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की जुगत में है। मुख्यमन्त्री 2013 की आपदा में जमा हुई आपदा राहतकोष के खर्च पर श्वेत पत्र अभी तक जारी नहीं कर पाये। राहतकोष से आपदा प्रभावितों के दुख-दर्द दूर करने की जगह कोष का गलत उपयोग किया गया है। भाजपा जिला प्रवक्ता तथा ब्लाक प्रभारी जगत मर्तोलिया ने प्रेस को बयान जारी कर मुख्यमन्त्री द्वारा मंगलवार को आपदा प्रभावितों के पुर्नवास के मामले में दिये गये बयान पर प्रतिक्रिया जारी की। उन्होंने कहा कि पुर्नवास करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। आपदा राहत कोष में अरबों रूपये जमा हुये। इस धन से आपदा प्रभावितों को राहत और पुर्नवास का पैकेज दिया जाना था। राज्य सरकार ने इस धन को अन्य मदों में खर्च कर दिया है। राज्य में हो रहे धन की बर्बादी के कारण आज राज्य आर्थिक संकट के मुहाने पर है। सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि वह आपदा राहतकोष से किये गये खर्च पर जनता के बीच श्वेत पत्र जारी करें। लेकिन सरकार इससे बच रही है। क्योंकि सरकार ने आपदा प्रभावितों को सहायता देने के नाम पर जमा हुये धन को अपने ऐशो आराम में खर्च कर दिया है। उन्होंने कहा कि सिविल भूमि पर राज्य सरकार आपदा प्रभावितों को बसा सकती थी। तराई भाबर में खुरपिया फार्म की लीज समाप्त हो चुकी है। इस फार्म पर आपदा प्रभावितों को बसाने की जगह कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता को कोडि़यों के दाम लीज देने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों को जमीन देने और पुर्नवास करने की जिम्मेदारी में विफल हो चुकी कांग्रेस सरकार अब 22 महिनें के बाद केन्द्र सरकार के पाले में बात डाल रही है।  उन्होंने कहा कि आपदाग्रस्त राज्यों में राज्य सरकार द्वारा ही पुर्नवास किये जाने का प्राविधान है। मर्तोलिया ने कहा कि भाजपा चाहती है कि पात्र आपदा प्रभावितों को मुआवजा व पुर्नवास मिले। जबकि सोबला के चार कांग्रेसी परिवारों को अविवाहित युवकों को परिवार मानकर फर्जी तरीके से मुआवजा और पुर्नवास पैकेज दिया गया है। जबकि आज भी धारचूला और मुनस्यारी के अधिकांश पात्र आपदा प्रभावितों को मुआवजा तक नहीं मिल पाया है। 

धारचूला- भाजपा नेता जगत मर्तोलिया ने कहा कि सीमान्त की 156 जातियों को केन्द्रीय आरक्षण नहीं मिलने की पीछे राज्य सरकार द्वारा की गयी कानूनी भूल मुख्य कारण है। उप चुनाव में मुख्यमन्त्री के लिए वोट छल से हासिल करने के लिए जल्दबाजी में उक्त आरक्षण दिया गया। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सत्ता आने के बाद इस कानूनी भूल को ठीक किया जायेगा। उसके बाद केन्द्रीय आरक्षण का रास्ता साफ होगा। उन्होंने कहा कि धौलीगंगा फेज -2 तथा गोरीगंगा फेज-1 के निर्माण के लिए मोदी सरकार ने धौली निकेतन धारचूला में एनएसपीसी का न्यू प्रोजेक्ट स्थापित कर दिया है। डीपीआर बनने के बाद केन्द्र सरकार दोनों परियोजनाओं को शुरू करेगी। इसके लिए क्षेत्रीय सांसद अजय टम्टा विशेष रूचि से कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि 10 वर्षो तक केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही। हरीश रावत को इसका हिसाब जनता को देना चाहिए।

बेमौसमी बारिष के चलते किसानों से राजस्व वसूली स्थगित, सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज  की भरपाई राज्य सरकार करेगी

uttrakhand news
देहरादून 8 अप्रैल । प्रदेश में बेमौसम की बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को हुए व्यापक नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किसानों से 6 माह की राजस्व व सिंचाई वसूली, सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज माफ करने के निर्देश दिए हैं। किसानों से 1 अप्रैल से 30 सितम्बर तक की उपरोक्त सभी वसूलियां माफ करने के निर्देश दिए गए हैं। सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज  की भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार को भी पत्र लिखकर किसानों पर केंद्र सरकार की संस्थाओं व वाणिज्यिक बैंकों के बकाया की वसूली को भी स्थगित करने का अनुरोध किया जाएगा। बुधवार को बीजापुर में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में किसानों को हुए नुकसान की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसानों को हुए नुकसान का आंकलन पूरी गम्भीरता से किया जाए और इसमें प्रदेशभर के किसानों को हुए वास्तविक नुकसान को शामिल किया जाए। मार्च में हुए नुकसान के साथ ही पिछले दो-तीन दिनों में बारीश से हुए नुकसान को भी शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से स्थानीय काश्तकारों से मिल रहे फीडबैक के अनुसार पिछले दो-तीन दिनों की बारिश से फसलों को बहुत क्षति हुई है। जहां खेतों में खड़ी फसलें व फलदार पेड़ों की बौर चैपट हो गई हैं वहीं अब अदरक सहित अन्य पौध भी नहीं बोई जा सकती है। किसानों को इससे भी नुकसान हुआ है। कृषि व हाॅर्टीकल्चर के अधिकारियों को वैकल्पिक प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए कि किसानों व काश्तकारों को मदद पहुंचाने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है।  मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को पौधरोपण की तैयारियों में अभी से जुट जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग की कार्यप्रणाली में तेजी लाए जाने की आवश्यकता है। 14 वें विŸा आयोग में वृक्षारोपण के लिए केंद्रीय सहायता समाप्त होने की बात कहे जाने पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अगस्त माह तक का प्रोजेक्शन प्रस्तुत करें। आवश्यक धनराशि राज्य योजना या अन्य स्त्रोत से उपलब्ध करवाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूकेलिप्टस के ऐसे पेड़, जो कि निर्धारित आयुसीमा को पार कर गए हैं और जो खराब हो गए हों या जिनसे नुकसान सम्भावित हो, को काटने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरा करने में तेजी लाई जाए। प्रदेश में वन विभाग की 40 डिवीजनों में चिन्हित स्थानों में  छोटे-छोटे जलाशय विकसित किए जाएं। वहां चीड़ के पेड़ों को चैड़ी पŸिायों के पेड़ों से प्रतिस्थापित किया जाएं। चीड़ से हमारे जंगलों की जैव विविधता समाप्त हो रही है और खाद्य-श्रंृखला टूटने से जंगली हिंसक जानवर गांवों व शहरों में घुस रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग को इनोवेटिव होने की जरूरत है। इको पर्यटन की योजना के समान ही अन्य नई योजनाएं बनाएं जिससे वन विभाग की आय भी बढ़े और स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो। बैठक में कृषि मंत्री डा.हरक सिंह रावत, वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव एन रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव कृषि एस रामास्वामी, प्रमुख सचिव वन डा.रणवीर सिंह, प्रभारी सचिव हाॅर्टीकल्चर निधि पाण्डे सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।  

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