पाकिस्तान के पंजाब एवं बलुचिस्तान प्रांत की जेलों में बुधवार को सात सजायाफ्ता कैदियों को फांसी दी गई। लाहौर जेल में दो कैदियों को फांसी दी गई। 'जियो न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, कैदी अब्दुल खलीक को एक महिला की हत्या का दोषी ठहराया गया था, वहीं दूसरा कैदी शहजाद भी हत्या का दोषी था। गुजरात जिले में दो कैदियों को जेल में फांसी दी गई। नसीर अहमद को 2002 में एक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया था। फैसल महमूद को 1999 में एक की हत्या के अपराध में मौत की सजा सुनाई गई थी। विहाड़ी जिले की जेल में भी दो कैदियों को फांसी दी गई।
अब्दुल सत्तार 1997 में एक 13 वर्षीया बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी था। वहीं, कैदी सनाउल्ला को भी 2001 में एक 11 वर्षीया बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी ठहराया गया था। बलुचिस्तान के मच जेल में खान मोहम्मद नाम के कैदी को फांसी दी गई। वह 2004 में अपने भाई और भतीजे की हत्या का दोषी ठहराया गया था। पाकिस्तान ने 10 मार्च को देश में मृत्युदंड पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था।
पिछले साल 16 दिसंबर को पेशावर के आर्मी स्कूल में तालिबान आतंकवादियों के हमले के बाद शुरुआत में सिर्फ आतंकवाद संबंधी संबंधित मामलों के लिए ही मृत्युदंड पर से रोक हटाई गई थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने 10 मार्च को सभी आपराधिक मामलों के लिए मृत्युदंड पर रोक हटा लिया। पेशावर हमले में 140 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे।
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