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शुक्रवार, 29 मई 2015

विशेष : बीबीसी हिंदी किये हुआ 75 साल

bbc hindi 75 years
बीबीसी हिंदी ने पचहत्तर साल पहले खरखराते और भारी-भरकम शॉर्ट वेव रेडियो सेट मई मास में हिंदुस्तानी का प्रसारण शुरू हुआ था। अपनी जवाबदेही और पारदर्शिता के चलते आज बीबीसी हिंदी आम लोगों की पंसद है।  वर्तमान में बीबीसी हिंदी रेडियो शॉर्ट वेव के अलावा मोबाइल फोन ,डिजिटल प्लैटफॉर्म,  टीवी और एफएम पर हैं। इन दशकों में बीबीसी की विश्वसनीयता वह बारीक और मजबूत डोर है जिसने इस पूरे सफर में हमें और ऑडियेंस को जोड़े रखा।

बीबीसी के ग्लोबल न्यूजगैदरिंग ऑपरेशन के तहत, भारत की खबरें दुनिया तक पहुँचाकर नाम कमाया है। आज, हिंदी के बहुत बड़े होते जाते मीडिया संसार में बीबीसी हिंदी की हमेशा कोशिश होगी कि हम बीबीसी के अहम सिद्धांतो पर चलते हुए सवालों को संतुलित और निष्पक्ष तरीके से उठाएँ,  जिनकी बुनियाद हमेशा तथ्यों पर टिकी हो, और ये भी कि उन खबरों और घटनाक्रमों की पेचीदगियों को जितना बन पड़े, आसान कर सकें। लोकप्रियता की होड़ और ध्यान खींचने के शोर में बीबीसी हिंदी ने पत्रकारिता के बुनियादी उसूलों के साथ समझौता कभी नही किया ।  बीबीसी के डायरेक्टर न्यूज जेम्स हार्डिंग ने अपने दस्तावेज ‘फ्यूचर ऑफ न्यूज’ में कहा है,  इंटरनेट के दौर में बीबीसी का काम गुणवत्ता के साथ पत्रकारिता करना है,  कवरेज में ये बताना है कि असल में चल क्या रहा है,  असल में उसका महत्व क्यों है,  असल में उसका मतलब क्या है ?

मोबाइल से जुड़े हुए युवाओं को भारत और दुनिया के बारे में अपडेटिड रखने के लिए हम  सोशल मीडिया और चैट एप्स का इस्तेमाल करते हैं. बीबीसी हिंदी के फेसबुक पेज के 33 लाख फॉलोअर्स हैं.  हिंदी में हम खुद को संवाद के सूत्रधार की तरह देखते रहेंगे. उन सवालों के साथ जिनका पूछा जाना जरूरी है और जिनका जवाब ढूँढने की ईमानदार कोशिश करना भी.

राजनीति हिंदी समाचार संसार का बहुत बड़ा हिस्सा है,  पर हमारे लिए और भी पक्ष महत्वपूर्ण हैं,  जिन पर हम ध्यान देते रहेंगे, चाहे वह स्त्री विमर्श हो, या विकास के विषय, या फिर कतार के आखिर में खड़े लोग पिछले चुनाव में हम करगिल युद्ध के दौरान बमबारी की चपेट में आए एक गांव और नियमगिरी के पहाड़ों से आदिवासी लोगों का सच आपके सामने लाये थे. हाल में हमने भारत की गरीब बच्चियों और औरतों के लिए जरूरी सैनिटरी नैपकिन्स पर खबरें की थीं. एक ग्लोबलाइज्ड दुनिया का क्या असर है पर्यावरण पर, लोगों पर, अर्थव्यवस्था पर,  हम लगातार उन्हें जगह देते रहेंगे.

ऑडियेंस के परामर्श, शिकायतें, सवाल बेहतर काम करने में हमेशा हमारे मददगार रहे हैं और हम इन्हें बहुत गंभीरता से लेते हैं.  दरअसल इस 75 साल के सफरनामे की सार्थकता और अहमियत बीबीसी हिंदी के श्रोताओं, पाठकों और दर्शकों के कारण है, जो न सिर्फ हमें सुनतेध् देखते पढ़ते रहे हैं, बल्कि सजगता के साथ सुझाव देते हैं और सवाल भी खड़े करते हैं. हमें भरोसा है कि ये भागीदारी आगे भी देखने को मिलेगी।

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