केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को यहां की एक अदालत को बताया कि तत्कालीन कोयला सचिव एच.सी.गुप्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से झारखंड के राझरा कस्बे में कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी मामले में तथ्य छुपा लिए। आरोप तय होने के सिलसिले में बहस को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ लोक अभियोजक वी.के.शर्मा ने विशेष न्यायाधीश भारत पराशर को बताया कि गुप्ता ने विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लि. (वीआईएसयूएल) सहित झारखंड के राझरा उत्तरी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में मनमोहन सिंह से तथ्य छुपाए। सीबीआई ने आरोप लगाया कि गुप्ता ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और अन्य के साथ मिलकर कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में वीआईएसयूएल को लाभ पहुंचाने के लिए आपराधिक साजिश रची।
शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वीआईएसयूएल के लिए नहीं, बल्कि राझरा उत्तर कोयला खदानों के लिए दो अन्य कंपनियों की सिफारिश भी की थी। उन्होंने कहा कि गुप्ता द्वारा मनमोहन सिंह को भेजी गई फाइल में इस बात की जानकारी नहीं दी गई थी। यहां तक कि इस्पात मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक के लिए वीआईएसयूएल के नाम की भी सिफारिश नहीं की। शुरुआत में इस्पात मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक के लिए वीआईएसयूएल के नाम की सिफारिश नहीं की, लेकिन बाद में झारखंड के पूर्व कोयला सचिव ए.के.बसु ने स्क्रीनिंग समिति की बैठक के समक्ष कंपनी के नाम पर जोर दिया।
अपने बचाव में गुप्ता ने अदालत को बताया कि कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए वीआईएसयूएल पूरी तरह से योग्य थी। बुधवार को गुप्ता ने कहा था कि ब्लॉक आवंटन पर आखिरी फैसला तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह ने लिया था। अदालत ने स्पष्टीकरण के लिए यह मामला 30 जून तक के लिए स्थगित कर दिया।
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