तमिलनाडु स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-मद्रास में नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना वाला पर्चा बांटने वाले एक छात्र समूह पर संस्थान के प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को सफाई दी कि इस प्रकरण में उनके मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है, संस्थान ने कार्रवाई अपने नियम के तहत की है। स्मृति ने यह सफाई तब दी, जब मीडिया में खबर आई कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिकायत मिली कि छात्रों का एक समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहा है और इस संबंध में पर्चा बांट रहा है। इस पर मंत्रालय ने आईआईटी-मद्रास को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। छात्र समूह पर कार्रवाई की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
स्मृति का यह बयान आईआईटी-मद्रास से संबंधित उन खबरों के आलोक में आया है, जिसमें कहा गया है कि संस्थान ने विद्यार्थियों के एक स्टडी सर्किल 'अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल (एपीएससी)' के खिलाफ एक अज्ञात व्यक्ति की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की है। शिकायत में कहा गया था कि छात्र समूह संस्थान परिसर में विवादित पर्चे और पोस्टर बांटकर विद्यार्थियों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "आईआईटी-मद्रास ने अपने नियम-कानूनों के तहत कार्रवाई की है। मंत्रालय की इसमें कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय ने सिर्फ इसे मिली शिकायत को आईआईटी-मद्रास के निदेशक को उनकी टिप्पणी लेने के लिए अग्रसारित किया था।" बयान में कहा गया, "संस्थान ने अपने नियम-कानूनों के तहत कार्रवाई की है।"
इसमें आगे कहा गया है, "आईआईटी स्वायत्त संस्थान हैं। वे अपने नियम कानूनों के तहत मामलों को निपटाने में सक्षम हैं। इस मुद्दे पर आईआईटी-मद्रास ने बयान जारी कर स्पष्टीकरण दे दिया है।" मंत्रालय ने 15 मई को संस्थान को भेजे गए पत्र में कहा था कि उसे अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए पत्र में एपीएससी के पर्चे सहित छात्रों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मंत्रालय ने संस्थान से उसकी टिप्पणी मांगी थी। पत्र में कहा गया था कि कुछ विवादित पोस्टर और पर्चे संस्थान में हर कहीं चिपकाए और वितरित किए जा रहे हैं। बयान के मुताबिक, अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, "एक समूह अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल अनुसूचित जन जाति और अनुसूचित जाति के छात्रों को भटकाने की कोशिश कर रहा है और उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार का विरोध करने के लिए उकसा रहा है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदुओं के विरोध में नफरत फैलाने की भी कोशिश कर रहे हैं।" पत्र में कहा गया कि वे आईआईटी-मद्रास का उपयोग लोकप्रियता पाने के लिए कर रहे हैं।
आईआईटी-मद्रास के प्रवक्ता ने इस पर कहा है कि संस्थान छात्रों की अभिव्यक्ति सीमित नहीं करता है और छात्रों से उम्मीद करता है कि वह संस्थान की मर्यादा के तहत गतिविधियों को अंजाम दें। आआईटी मद्रास के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि परिसर में कई छात्र संगठन हैं। उनमें से कुछ संगठन छात्रसंघ का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका संचालयन, निर्वाचन खुद छात्र ही करते हैं। बयान में कहा गया, "कुछ छात्र संघ विद्यार्थियों के हित और कल्याण के लिए गठित हुए हैं। संस्थान के संसाधनों के इस्तेमाल के इच्छुक छात्र समूहों को पहले मान्यता प्राप्त करनी होती है और निर्वाचित छात्र प्रतिनिधियों वाले बोर्ड ऑफ स्टूडेंट द्वारा तय किए दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।" निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत कोई भी छात्र समूह संस्थान का नाम (आईआईटी-मद्रास) या इसकी आधिकारिक संस्थाओं का नाम अपनी गतिविधियों के प्रचार या समर्थन जुटाने के लिए बिना इजाजत इस्तेमाल नहीं कर सकता।
प्रवक्ता ने कहा, "एपीएससी ने अपनी बैठक में संस्थान के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। आमतौर पर दिशा-निर्देशों के उल्लंघन में उनकी मान्यता समाप्त कर दी जाती है और उन्हें छात्रों के बोर्ड के समक्ष अपना पक्ष पेश करना होता है। वर्तमान मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है।" इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "मोदी सरकार की आलोचना करने पर आईआईटी के छात्रों के एक समूह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब आगे किस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा?" उन्होंने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारा अधिकार है। हम विरोध और चर्चा को दबाने की किसी भी कोशिश के खिलाफ लड़ेंगे।" नेशनल स्टुडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने भी यहां स्मृति ईरानी के आवास के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया।
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