भारत ने राष्ट्रपति मुखर्जी के बयान को लेकर स्वीडिश दैनिक के समक्ष विरोध जताया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 27 मई 2015

भारत ने राष्ट्रपति मुखर्जी के बयान को लेकर स्वीडिश दैनिक के समक्ष विरोध जताया

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा एक साक्षात्कार के दौरान अनायास मुंह से निकली बात को मना किए जाने के बावजूद साक्षात्कार में शामिल करने को लेकर भारत ने स्वीडिश दैनिक ‘दाजेन नेतर’ के समक्ष बुधवार को कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह ‘सामने वाले को नीचा दिखाने ’के लिए की गयी ‘गैर पेशेवर और अनैतिक’कार्रवाई है।

स्वीडन में भारतीय राजदूत बनश्री बोस हैरिसन ने दैनिक के मुख्य संपादक पीटर वोलोदारस्की को लिखे एक पत्र में कहा है कि मुझसे कहा गया है कि जिस तरीके से साक्षात्कार को पेश किया गया, उस पर मैं ‘दिल्ली में हमारे प्रशासन की निराशा’ से अवगत कराऊं।

उन्होंने पत्र में लिखा, ‘राष्ट्रपति द्वारा साक्षात्कार समाप्त होने के बाद साक्षात्कार के दौरान अनायास मुंह से निकली बात के संबंध में कराये गए आफ दी रिकार्ड सुधार को आपकी ओर से रिपोर्ट में शामिल करना गैर पेशेवर होने के साथ ही अनैतिक है।’राजदूत ने लिखा, ‘मुझे बताया गया कि उस समय आपने राष्ट्रपति के समक्ष सहानुभूति दर्शायी थी और कहा था कि ऐसा किसी से भी हो सकता है। उसके बाद जिस तरीके से आपकी ओर से दूसरे को नीचा दिखाने की मंशा से उस बात को रिपोर्ट में शामिल किया गया, उसकी एक उच्च मानदंडों वाले प्रमुख समाचारपत्र या पेशेवर पत्रकार से सामान्य तौर पर अपेक्षा नहीं की जाती।’ उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति मुखर्जी के प्रति वह ‘शिष्टाचार और सम्मान’प्रदर्शित नहीं किया गया जिसके बतौर एक राष्ट्राध्यक्ष वह हकदार हैं।

राजदूत ने इस बात को भी रेखांकित किया कि बोफोर्स संबंधी सवाल तीसरे नंबर पर था लेकिन इसे ऐसे दिखाया गया कि यह पहला सवाल था। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं स्पष्ट शब्दों में यह कहूं कि यह पत्रकार का लाइसेंस लेकर लोगों को गुमराह करने जैसी बात है तो मैं उम्मीद करती हूं आप मुझे माफ करेंगे।’ राजदूत ने पत्र में लिखा, ‘यह अपने आप में और भी न समझ आने वाली बात है क्योंकि आपने मुझे बताया था कि बोफोर्स में आपके पाठकों की रुचि नहीं है।’ इस बीच, दैनिक ने अपने ई संस्करण में दावा किया है कि लेख के प्रकाशन से पूर्व डीएन (दैनिक का नाम) के साथ फोन पर हुई बातचीत में राजदूत ने सीधे अपील की थी कि दैनिक को साक्षात्कार का वह हिस्सा हटाना होगा जिसमें बोफोर्स का जिक्र है।

दैनिक ने यह भी दावा किया है कि राजदूत ने राष्ट्रपति की प्रस्तावित स्वीडन यात्रा के रद्द होने की आशंका संबंधी चेतावनी दी थी। वोलोदारस्की ने कहा, ‘यह हैरान करने वाली बात है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई व्यक्ति यह सब तय करने का प्रयास कर रहा है कि हमें एक राष्ट्राध्यक्ष से क्या सवाल करने चाहिए और कौन से जवाब प्रकाशित किए जाने चाहिए।’ प्रधान संपादक ने लिखा, ‘मैंने राजदूत को बताया कि हम उनकी मांगों को स्वीकार नहीं कर सकते। इस सवाल को पूछे जाने के क्रम में कि आज हम भ्रष्टाचार से कैसे बच सकते हैं, बोफोर्स का जिक्र आया और राष्ट्रपति इस पर परेशान हो गए। जाहिर सी बात है कि हमें अपने पाठकों को उनकी प्रतिक्रिया से अवगत कराना था।’

उन्होंने राजदूत की प्रतिक्रिया को ‘खेदजनक’ करार दिया है। स्वीडन की अपनी यात्रा से पूर्व साक्षात्कार के दौरान मुखर्जी ने कहा था कि बोफोर्स एक स्कैंडल नहीं था बल्कि वह प्रचार की भेंट चढ़ा मुद्दा (मीडिया ट्रायल) था। 155 एमएम की होवाइत्जर बोफोर्स तोपों की खरीद से जुड़े स्कैंडल के चलते 1980 के दशक के उत्तरार्ध में राजीव गांधी की सरकार को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था और 1989 के आम चुनाव में यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को हार का सामना करना पड़ा।

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