मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय से वह मामला वापस ले लिया, जो उन्होंने खुद को जेल भेजने वाले निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर किया था. अदालत ने यह फैसला केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा दर्ज करायी गयी मानहानि की शिकायत के मामले में सुनाया था.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को यह मामला वापस लेने की अनुमति दे दी. केजरीवाल के वकील ने अदालत से कहा था कि वह इस मामले को आगे नहीं ले जाना चाहते. पीठ ने कहा, याचिका वापस लेने का अनुरोध स्वीकार किया जाता है. केजरीवाल के वकील रिषिकेश कुमार ने पीठ के समक्ष यह बात अदालत द्वारा पहले पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही. अदालत ने पूछा था कि क्या अभी भी केजरीवाल इस मामले को आगे बढ़ाना चाहते हैं?
केजरीवाल के वकील ने अदालत को बताया, मैं मौजूदा याचिका वापस लेना चाहता हूं. सड़क परिवहन मंत्री गडकरी की ओर से पेश हुए वकील बालेंदु शेखर केजरीवाल के वकील के कथन से सहमत हो गये और कहा कि उन्हें अनुरोध पर कोई आपत्ति नहीं है. 27 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने उच्च न्यायालय से कहा था कि मामले को आगे ले जाने या न ले जाने पर अभी उन्होंने फैसला नहीं किया है. उन्होंने मामले पर फैसला करने के लिए समय मांगा था.
17 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मानहानि के दो मामलों में केजरीवाल के अभियोजन पर रोक लगा दी थी. इनमें से एक मामला गडकरी द्वारा दायर किया गया था. न्यायालय ने दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री की याचिका पर केंद्र से जवाब भी मांगा था.
उच्च न्यायालय ने 23 फरवरी को केजरीवाल से पूछा था, क्या आप अभी भी मामले को आगे ले जाना चाहते हैं? हमें लगता है कि अब इसमें कुछ बचा नहीं है. मामले में केजरीवाल द्वारा पहले ही जमानत मुचलका भर दिये जाने पर गौर करते हुए पीठ ने आगे कहा था कि यह याचिका निष्फल है.
अदालत की ओर से ये टिप्पणियां केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान आयी थीं. इस याचिका में पूछा गया था कि क्या उन लोगों से जमानत मुचलकों और जमानत की मांग करना उचित है, जिन्हें आपराधिक मानहानि जैसे मामलों में दायर शिकायतों पर अदालत द्वारा समन भेजे गये हैं.
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