रैयती जमीन से मोहभंग करके दीघा बिन्दटोली के लोग अन्य ठिकाना में चले जाए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 29 मई 2015

रैयती जमीन से मोहभंग करके दीघा बिन्दटोली के लोग अन्य ठिकाना में चले जाए

  • प्रशासन ने दिया 15 दिनों का अल्टीमेटम 

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पटना। दीघा बिन्दटोली के सामने संकट आ गया है। प्रशासन ने 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। प्रशासन ने दीघा बिन्दटोली के लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है। जो सेवा केन्द्र के सामने और उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत की गंग स्थली में है। यहाँ पर पनाह लेने वालों सदैव उजरने का भय बना रहेगा। माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर गंगा नदी को किनारे लाया जा रहा है। इसके बाद दीघा से दीदारगंज तक रोड निर्माण हो रहा है। उसके बाद ही बिन्दटोली के लोगों को बसाया जा रहा है। इसे यहाँ के लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसके खिलाफ कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक देने को सोच रहे हैं।

आखिर क्यों ?यहाँ के लोग परेशान होते हैं बारम्बारः काफी दिनों से गंग स्थली में दीघा बिन्दटोली के लोग रहते हैं।प्रारंभ में हरेक साल गंगा और सोन नदी के कटाव से परेशान होते थे।जब गंगा और सोन नदी दूर चली गयी, तो ईंट भट्टे के मालिक परेशान करने लगे। प्राकृतिक और भौतिक तौर पर असर बिन्टटोली पर पड़ा। जमीन का कटाव होने से जमीन कम पर गया। इसके बाद अब पूर्व मध्य रेलवे के रिंग बांध बनने से बिन्दटोली के लोगों को हटाया जा रहा है। 

वार्ड नम्बर 14 के पंच ने कहा कि हमलोग रैयती जमीन पर रहते हैंः नकटा दियारा ग्राम पंचायत के वार्ड नम्बर 14 के पंच जुगेश्वर महतो कहते हैं कि सिंहासन महतो और गोर्वधन महतो के पास 9 कट्टा और 6 धूर रैयती जमीन है। दीघा बिन्दटोली का रकवा 7 बीघा है। इसमें 5 बीघा रैयती जमीन है। 2 बीघा जमीन पर रहने वालों को परचा निर्गत किया गया है। यहाँ पर 250 घर है। मगर आवेदन 186 परिवार के लोगों ने दिया है। जब हमलोगों की रैयती जमीन है। तो प्रशासन मुआवजा दें। भूमि अधिग्रहण 2013 के अनुसार रैयती जमीन का मुआवजा दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो दीघा में ही रैयती जमीन खरीदकर जमीन के बदले जमीन दें। 

जान दे देंगे परन्तु जमीन नहीं देंगेः अगर ऐसा नहीं होगा तो हमलोग जान दे देंगे परन्तु जमीन नहीं देंगे। हजारों लोग आंदोलन में कूद पड़ेगे। यह विचार हो रहा है कि प्रशासन के द्वारा जबर्दस्ती जमीन से हटाने की धमकी के खिलाफ माननीय पटना उच्च न्यायालय के दरवाजा पर दस्तक देंगे। यहाँ के धर्मेंन्द्र महतो का कहना है कि प्रशासन शक्ति का प्रदर्शन नहीं करें। ऐसा करने से गरीब लोग खुदकुशी करने का कठोर कदम भी उठा लेंगे।

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