अमेरिका में रह रहे तीन भारतीय नागरिकों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया है। अब ये तीनों एक सिख अधिकार संगठन एसएफजे के साथ मिलकर आरएसएस को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए मुकदमा दायर करने जा रहे हैं। यह संगठन पहले से ही संघ को आतंकी संगठन घोषित करवाने की कोशिशों में जुटा है।
सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) ने कहा कि उनके साथ आए तीनों लोग भारत में आरएसएस के 'घर वापसी' अभियान के शिकार हुए हैं। याचिका से जुड़ने वालों के नाम माइकल मसीह (ईसाई), हाशिम अली (मुस्लिम) और कुलविंदर सिंह (सिख) हैं। अब वे SFJ के साथ मिलकर आरएसएस को आतंकी संगठन घोषित करवाना चाहते हैं।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से इसकी मातृ संस्था RSS उनके परिवारों को जबरन हिंदू बनाने की कोशिश कर रही है। जज लॉर टेलर स्वैन के कोर्ट में फाइल की गई शिकायत में यूएस कमिशन ऑन इंटरनैशनल रिलीजस फ्रीडम (USCIRF) की 2015 में आई रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया था 2014 में हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों ने 4000 ईसाई और 1000 मुस्लिम परिवारों को 'घर वापसी' कार्यक्रम के तहत फिर से हिंदू धर्म में लाने का ऐलान किया था।
एसएफजे के लीगल अडवाइज़र गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा, 'याचिका में हमने इंटरनैशनल रिलीजस फ्रीडम ऐक्ट 1998 का सहारा लिया है, जिसके तहत अमेरिका विदेशों में धार्मिक स्वतंत्रता के हनन पर ऐक्शन ले सकता है।' उन्होंने कहा कि हाल ही की घटनाओं और USCIRF की रिपोर्ट के आधार पर ओबामा प्रशासन तहत RSS जैसे संगठनों आतंकी संगठन घोषित करने के लिए बाध्य है।
अप्रैल में अमेरिका ने फेडरल कोर्ट से कहा था कि वह SFJ द्वारा यूएस स्टेट सेक्रेटरी जॉन केरी के खिलाफ डाले गए मुकदमे को खारिज करे। एसएफजे आरएसएस को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करवाना चाहता था। अमेरिका ने कहा था कि संगठन के पास केरी को इस तरह का ऐलान करने के लिए बाध्य करने का कोई अधिकार नहीं है।
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