गया। सिर पर चढ़कर बोलने लगा है स्वच्छ भारत अभियान का असर। घर और गाँवघर में शौचालय निर्माण करन का संकल्प लिया गया है। स्वच्छ भारत अभियान के बारे में विस्तार से पीएम नरेन्द्र मोदी बातचीत करते हैं। पीएम कहते हैं कि विश्व बैंक के द्वारा आकड़ा पेश किया जाता है कि शौचालय नहीं रहने के कारण गरीब लोग एक साल में 7 हजार रूपए खर्च करते हैं। वहीं पवित्र नदियों को भी प्रदुर्षित करते हैं। हम भारत माता को गंदगी में नहीं रहने देना चाहते हैं।
देश में 48 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं है। वर्ष 2019 तक 11 करोड़ शौचालय निर्माण करना है। इसके लिए 18 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। सरकारी योजनाओं में शौचालय निर्माण करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। इंदिरा आवास योजना और राजीव आवास योजनान्तर्गत शहरी गरीबों के आवास को शामिल किया गया है।
इसमें कई दाता संस्थाओं ने भी भूमिका अदा करने लगे हैं। इसमें वाटर एड इंडिया और सुलभ शौचालय शामिल है। वाटर एड इंडिया ने गैर सरकारी संस्थाओं को सहयोग देने में झोली खोलकर रख दिए हैं। वहीं सुलभ शौचालय संस्थान ने 6 महिलाओं को सम्मानित किया है। जो शौचालय को लेकर घर में बगावत कर दिए। शौचालय नहीं रहने पर चैताली ने दूल्हा को चेतावनी दी। इस ओर ध्यान नहीं देने पर घर को टा-टा-बाई-बाई करके निकल गयी। सुलभ शौचालय संस्थान ने चैताली को 10 लाख रूपए देकर सम्मानित किया। इसी सिलसिले में अनीता को 5 लाख रूपए दिए। शौचालय नहीं बना सकने के कारण संगीता ने मंगल-सूत्र ही लौटा दी। अरवल जिले की स्वीटी कुमारी ने शौचालय निर्माण कर देने का अल्टीमेत्थम दे दी है। इन सभी को सुलभ शौचालय संस्थान के संस्थापक सांसद विन्देश्वरी पाठक ने उत्प्रेरक बना दिया है।
देश-प्रदेश की सभी जगहों पर इश्क पर नहीं शौचालय पर जोर है। वहीं इसको लेकर मंत्री से संतरी तक चिंतित हैं। तब क्यों न लड़की के पिता जी भी चिंतित नहीं हो? तभी न एक पिताश्री ने बेटी को दहेज में लगे हाथ रेडिमेंट शौचालय ही दे दिए। खबर महाराष्ट्रª की है। एक स्थायी नवीनतम प्रयोग में पिताजी ने यह कदम उठाया। ऐसा करने से लड़की के ससुराल में होने वाले संभावित तनाव खत्म हो गया। अखबारों की सुर्खियों में बलात्कार होने की खबरों से परेशान हो जाते हैं लोग। मजबूरी में घर में शौचालय नहीं रहने के कारण खुले आकाश में शौचक्रिया करते हैं। हद तो उस समय हो जाता है कि महिलाओं को भगवान भास्कर के आगमन और भगवान दिवाकर के विदा होने के बाद ही शौचक्रिया करते हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अन्य लोग भी दहेज के रूप में रेडिमेंट शौचालय लेने और देने पर सहमत हो गए हैं।
कैसे बनता है रेडिमेंट शौचालय ?ः अभी तक हमलोगों ने घर में निर्मित शौचालय के बारे में जानते हैं। किसी आयोजनों के अवसर पर शहरों में मोबाइल शौचालय देखा जा सकता है। अब रेडिमेंट शौचालय का उद्भव हुआ है। यह एक गुमटी की तरह है। इसकी जमीन को प्लास्टर करके शीट लगा दी गयी है। पाइप के सहारे मल को गड्ढे में लाया जा सकता है। बेसिंन में नल लगा रहता है। इसे अंदर और बाहर से बंद किया जा सकता है। जो निश्चित तौर पर सुरक्षित है। आप कभी भी शौचालय का उपयोग कर सकते हैं। अब शाम ढलने के बाद खुले में जाकर शौचक्रिया करने के दरम्यान बलात्कार से बचा जा सकता है।।
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