वर्ल्ड फुटबॉल की सबसे बड़ी गवर्निंग बॉडी और दुनिया की सबसे अमीर खेल संस्था माने जाने वाले FIFA के सात आला अधिकारियों को स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में गिरफ्तार किया गया है। अमेरिकी सरकार की दरख्वास्त पर बुधवार को यह कार्रवाई की गई। इन पर 950 करोड़ रुपए से ज्यादा की घूस लेने और वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप है।
गिरफ्तार लोगों में फीफा के मौजूदा वाइस प्रेसिडेंट और एग्जीक्यूटिव कमेटी के मेंबर जेफरी वेब भी शामिल हैं। इन अधिकारियों पर आरोप है कि वे अमेरिका में फुटबॉल टूर्नामेंट्स के आयोजन में धांधली कर रहे थे। खास बात यह है कि शुक्रवार को ही फीफा के नए प्रेसिडेंट का चुनाव होना है। उधर, फीफा के अध्यक्ष सेप ब्लैटर ने गिरफ्तारियों के बाद कहा है कि वह खेल में सभी प्रकार की गड़बड़ियों को दूर करने को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
फीफा पर भ्रष्टाचार से जुड़े दो मामलों की जांच चल रही है। पहला अमेरिका का है। इसमें 1991 से ही इस संगठन पर लगे भ्रष्टाचार के मामले हैं। अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन बीते तीन साल से इनकी जांच कर रही है। उसकी नजर 20 साल से भी ज्यादा पुराने मामलों पर भी है। गिरफ्तार सात अधिकारियों के अलावा सात अन्य को भी आरोपित किया गया है। अमेरिकी जांच के दायरे में 2010 में साउथ अफ्रीका में हुआ वर्ल्ड कप भी शामिल है। अमेरिकी जांच के मुताबिक, मामला 950 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितता का है। इससे पहले, फीफा की एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया कि अधिकारियों का 40 हजार डॉलर से भरे लिफाफे बतौर घूस दिए गए।
दूसरा मामला स्विस अधिकारियों की जांच से जुड़ा हुआ है। आगामी वर्ल्ड कप के लिए मेजबानी के मामले में कथित मनी लान्ड्रिंग और घूसखोरी के आरोपों से यह जांच जुड़ी हुई है। इस मामले में स्विस अधिकारियों ने 2018 और 2022 फुटबॉल वर्ल्ड कप की बिडिंग प्रक्रिया की जांच शुरू कर दी है। फीफा के ज्यूरिख स्थित हेडक्वार्टर से भी सबूत जुटाए जा रहे हैं। फीफा को अरबों डॉलर का रेवेन्यू मिलता है। हाल के सालों में फीफा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। खास तौर पर 2022 वर्ल्ड कप की मेजबानी कतर को देने को लेकर वह सवालों के घेरे में है। यह देश फीफा का घर है। संस्था का रजिस्ट्रेशन इसी देश में है। यहां टैक्स नियम आसान हैं, इसलिए उसे कम टैक्स पे करना पड़ता है। स्विट्जरलैंड ऐसा देश माना जाता है, जहां टैक्स कानूनों को लेकर नरमी बरती जाती है। हालांकि, अमेरिका के साथ इस देश की प्रत्यर्पण संधि है। इस वजह से बेहद तेज कार्रवाई हुई।
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