उत्तराखंड में कहीं भाजपा उठा तो नहीं रही आत्मघाती कदम
देहरादून,26 मई। उत्तराखंड में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं जहाँ एक तरफ कांग्रेस अपनी खोयी हुई ताकत को समेटने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा अपने हथियारों (पुराने नेताओं) को दरकिनार कर आने वाले चुनाव को लड़ने की तैयारी में है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के इस कदम को लेकर प्रदेश भाजपा के भीतर कार्यकर्ताओं में उबाल है. कार्यकर्ताओं के अनुसार पार्टी आलाकमान के इस फतवे के चलते उसने कांग्रेस को पूरा मैदान खुद ही दे दिया है, इसे पार्टी का आत्मघाती कदम न कहा जाये तो क्या कहा जा सकता है। बात प्रदेश के पुराने नेताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को कोर कमेटी में शामिल किये जाने का है, लेकिन जिन नए चहरों को पार्टी ने कोर कमेटी में शामिल किया है उनपर भी पार्टी आलाकमान ने कोई खास विश्वास व्यक्त नहीं किया है। मामला भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अद्यक्ष अमित शाह के देहरादून दौरे से जुडा है पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि अमित शाह देहरादून आयेंगे और पार्टी में नयी जान फूंकेंगे लेकिन हुआ इसके विपरीत वे देहरादून भी आये लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में नयी जान फूंकने के बजाय वे कार्यकर्ताओं को ऐसी अँधेरी गुफा में धकेल गए जहाँ से वे वापस आने का रास्ता तलाश रहे हैं। मामला पार्टी सुप्रीमो अमित शाह द्वारा पुराने नेताओं जिनका जनाधार था उनको दरकिनार कर नए नेताओं को हाथ कमान देने की हो रही है। पिछले चार दशकों से उत्तराखंड की राजनीती में सक्रिय पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश चन्द्र पोखरियाल ‘’निशंक’’ सहित पार्टी के पूर्व अद्यक्ष पूरण चन्द्र शर्मा, मनोहरकांत ध्यानी,बच्ची सिंह रावत,बिशन सिंह चुफाल,धन सिंह रावत तक व संगठन में रहे पूर्व नेताओं भास्कर नैथानी, कैलाश पन्त, संजय कुमार, नरेष बंसल तक का है। जिन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने हासिये पर धकेल इनको कोर कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, लेकिन सबसे दीगर बात तो यह है जिनलोगों को इस मर्तवा कोर कमेटी में शामिल किया गया है उन पर भी विश्वास व्यक्त नहीं किया गया है. यानि त्रिवेन्द्र सिंह रावत, धन सिंह रावत, मदन कौशिक,अजय भट्ट सहित सतपाल महाराज को इस कोर कमेटी में शामिल तो किया गया है लेकिन इनको उनके द्वारा अपनी बैठक में कोई खास तवज्जो नहीं दिए जाने से भी पार्टी में गलत सन्देश गया है। बात पार्टी सुप्रीमो अमित शाह के देहरादून दौरे की हो रही है, कोर कमेटी पर विश्वास व्यक्त न किया जाने का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है जब अमित शाह पार्टी कार्यकर्ताओं की परिचय बैठक ले रहे थे उस वक्त वहां केवल तीन ही कुर्सी लगायी गयी थी जिसमें पार्टी अद्यक्ष महामंत्री संगठन व राष्ट्रीय अध्यक्ष ही विराजमान थे और सामने कर कमेटी में शामिल किये गए त्रिवेन्द्र रावत व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी मौजूद थे जबकि पार्टी के डेकोरम के अनुसार त्रिवेन्द्र रावत व अनिल बलूनी को मंच पर बैठाया जाना चाहिए था लेकिन इन दोनों को कुर्सी तक नहीं दी गयी जो चर्चा का विषय बन गया है, वैसे भी पूर्वमंत्री त्रिवेन्द्र रावत अमित शाह के साथ झारखण्ड व उत्तरप्रदेश में सह प्रभारी रहे हैं उस लिहाज से भी उनको मंच पर बैठाया जाना चाहिए था, अब यह पार्टी के प्रदेश नेतृत्व का षड्यंत्र रहा हो या कुछ और लेकिन इसके संकेत कुछ अच्छे नहीं गए. इतना ही नहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा इन नेताओं का मंच से नाम तक का न लिया जाना अपने आप में पार्टी के भीतर यह संदेह पैदा करता है कि पार्टी इन नेताओं को कितनी अहमियत देती है. साथ ही उनका अपने उद्बोधन में यह कहना कि ‘’जो नेता मेरे पीछे अपनी दुकान चला रहे हैं मैं उनसे सहमत नहीं हूँ’’ का क्या अर्थ लगाया जाय कि जिन नेताओं को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आगे कर रहे हैं उनपर उनका ही भरोसा नहीं। बात अब पूर्व मुख्यमंत्रियों व पूर्व पार्टी अध्यक्षों की जिनको पार्टी के आला नेता अमित शाह ने दूध की मक्खी की तरह किनारे कर दिया है लेकिन एक बात गौर करने वाली है कि क्या पार्टी अब इन नए नेताओं के दम पर आगामी चुनाव लडे़गी, और जिन नेताओं ने उत्तराखंड में भाजपा बीज रोपित कर आज उसको उस वृक्ष का स्वरूप प्रदान किया है जिसकी छाँव तले आज पार्टी प्रदेश की सत्ता तक अपनी पहुँच बना चुकी है. तो क्या अमित शाह यह समझते हैं कि पुराने नेताओं का आधार अब उत्तराखंड में समाप्त हो गया है जिन्होंने पार्टी को इस मुकाम तक पहुँचाया है जहाँ पार्टी अद्यक्ष उस वृक्ष के छांव तले तो बैठ सकते हैं लेकिन जिन्होंने वह वृक्ष लगाया है उसकी देख रेख कर उनको खाद व पानी दिया आज वहां अपने लगाये वृक्ष के तले उनको ही बैठने के लिए कुर्सी न मिल पा रही हो. खैर यह विषय तो पार्टी के नेताओं के सोचने का है हमारा नहीं. लेकिन एक बात तो जरुर है इसको पार्टी का आत्मघाती कदम ही माना जायेगा जो वह पुराने नेताओं को दरकिनार कर रही है। बात उत्तराखंड के ही परिपेक्ष्य में हो रही है आला नेताओं के इस आत्मघाती कदम के प्रतिक्रियात्मक रूप में राज्य के भीतर भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश का लावा धधक रहा है इसकी पुष्टि कई पुराने व निष्ठावान कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान भी हुआ. उनका यहाँ तक कहना है कि पार्टी जिसको ताकतवर बनाकर पेश करना चाहती है बाकि सब उसके विरोध में आकर खड़े न हो जाएँ इसमें कोई संदेह नही! यहाँ एक और दीगर बात है कि इन दिनों भारतीय जनता पार्टी में हरीश रावत के निर्णयों को लेकर भगदड़ सी मची हुई है. 2012 में जब यहाँ विधान सभा चुनाव हुए थे उस समय यहाँ भाजपा विधायकों की संख्या 31 थी जो अब घटकर 27 रह गयी है और यों कहें कि अब 26 ही रह गयी है क्योंकि घनसाली के विधायक भीमलाल आर्य को पार्टी निलंबित कर चुकी है ऐसे में पुराने नेताओं को दरकिनार कर नेताओं और नए व जनाधारविहीन नेताओं पर तात्कालिक भरोसा कर पार्टी आत्मघाती कदम नहीं उठा रही है तो क्या उठा रही है यह समझ से परे है।
दागी कंपनी में मेहरबानी क्यों, पीपीपी मोड में स्वास्थ्य सेवा देने का खोखला दावा
- एक मामले में एफआईआर भी हो चुकी दर्ज, सरकार को लग रहा लाखों रुपये का चूना
- एक्शन की जगह और पैसा देने की तैयारी
देहरादून,26 मई (निस)। पीपीपी मोड में कथित रूप से स्वास्थ्य सेवा देने वाली एक निजी कंपनी पर सरकार की मेहरबानियां जमकर बरस रहीं हैं। एक्सपायरी किट से पैथलाजी टेस्ट करने का एक मामले का खुलासा होने के बाद भी विभाग इस कंपनी पर कोई सख्त एक्शन लेने की बजाय इसकी मदद करता दिख रहा है। बताया जा रहा है कि विभागीय मंत्री के दबाव में इस कंपनी को एक बार फिर से लाखों रुपये देने की तैयारी कर ली गई है।
भाजपा सरकार के समय में राजभ्रा नाम की एक कंपनी से पीपीपी मोड में सचल चिकित्सालय और रायपुर सामुदायिक केंद्र से स्वास्थ्य सेवाएं देने का करार किया गया था। बताया जा रहा है कि करार (एमओयू) के तहत इस कंपनी को कम से कम 12 चिकित्सकों की तैनाती करनी थी और अन्य तमाम सुविधाएं उपलब्ध करानी थी। शुरू में काम कुछ ठीक चला। लेकिन बाद में कंपनी ने मनमानी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि यह कंपनी महज तीन या चार डाक्टरों से ही काम चला रही है। लेकिन सरकार से पैसा 12 डाक्टरों का लिया जा रहा है। इसी तरह से यह कंपनी अपना बिल बढ़ाने के लिए जुकाम-बुखार से पीड़ित मरीजों के भी तमाम तरह के पैथलाजी टेस्ट करवा रही है। बताया जा रहा है कि पछले दिनों यह मामला शासन के एक बड़े अफसर के संज्ञान में भी आया था। अफसर ने कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की तैयारी भी कर ली। लेकिन ऊपर से दबाव आया तो अफसर ने इस मामले से अपने हाथ खींच लिए। नतीजा यह है कि इस कंपनी पर मेहरबानियां बरस रही हैं और सरकारी खजाने को लाखों रुपये का चूना लग रहा है। इस कंपनी के खिलाफ पिछले दिनों कुछ मरीजों के पैथलाजी टेस्ट एक्सपायरी किट से करने का आरोप भी लग चुका है। मामले में हो-हल्ला हुआ तो दिखावे के लिए कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई। लेकिन कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया। बताया जा रहा है कि इस मामले की जांच के दौरान ही कंपनी के तमाम फर्जीवाड़े का भी खुलासा हो गया था। लेकिन एफआईआर में इनका जिक्र तक नहीं किया गया। अब यह जांच रिपोर्ट कहां है, इस बारे में कोई भी अपनी जुबां खोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस कंपनी को और पैसा देने के लिए ऊपर से अफसरों पर एक बार फिर से दबाव बनाया गया है। इसी दबाव के चलते आज सचिवालय में अफसरों की एक बैठक भी होने वाली है। इसमें देखा जाएगा कि इस दागी कंपनी को किस तरह से और पैसा देने में कोई कानूनी अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आम मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने वाली इस कंपनी पर सरकार आखिर इतनी मेहरबान क्यों हो रही है। कायदे से तो एफआईआर दर्ज होने के साथ ही इस कंपनी के साथ किया गया एमओयू तत्काल रद करके सख्त एक्शन होना चाहिए था। लेकिन ऐसा करने की बजाय इस कंपनी को एक बार फिर से सरकारी खजाने का पैसा देने की तैयारी की जा रही है।
दो पीडीएफ और एक कांग्रेसी मंत्री के मंत्रिमंडल से बाहर होने की सियासी गलियारों में चर्चा तेज, कैबिनेट रिशफलिंग पर दिल्ली में मंथन
- हरीश और किशोर दोनों ही हाईकमान के पास, चार नए विधायकों को मिल सकता है मंत्री पद
देहरादून, 26 मई (निस)। सरकार और संगठन दोनों के ही मुखिया आज दिल्ली में हैं। इससे सूबे में सियासी पारा एक बार फिर से गर्म हो रहा है। माना जा रहा है कि हरीश और किशोर आज हाईकमान के साथ बातचीत करके कैबिनेट में फेरबदल को अंतिम रूप दे सकते है। सूत्रों की मानें तो पीडीएफ कोटे से दो और कांग्रेस कोटे से एक मंत्री को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। सूबे में कांग्रेस का गुटीय संतुलन साधने के इरादे से कैबिनेट में बहुगुणा गुट को तरजीह मिल सकती है। कैबिनेट में रिशफलिंग का मामला लंबे समय से चल रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ ही पूर्व सीएम विजय बहुगुणा दोनों ही मंत्रिमंडल में बदलाव के पक्षधर हैं। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत इस मांग को अपने अंदाज से टालते रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि हरीश ने अब इस मामले को मुकाम तक पहुंचाने का मन बना लिया है। यूं तो कहा जा रहा है कि सीएम हरीश रावत निजी काम से सोमवार की शाम दिल्ली गए है। लेकिन बताया जा रहा है कि सीएम कैबिनेट रिशफलिंग के मुद्दे पर हाईकमान से मंथन करके अंतिम रूप देना चाहते हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी दिल्ली चले गए हैं। दोनों के दिल्ली जाने से सूबे का सियासी माहौल गर्म हो गया है। सूत्रों का कहना है कि हरीश और किशोर की आज दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक होनी है। इसी बैठक में राहुल दोनों की बात सुनने के साथ ही अपने स्तर से मंगाए गए फीडबैक के आधार पर अपना फैसला सुनाएंगे। सियासी गलियारों में इस संभावित फेरबदल को लेकर अपने-अपने तरीके से कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस बार पीडीएफ कोटे के दो मंत्रियों का बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है तो एक कांग्रेसी मंत्री के पर भी कतरे जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि पीडीएफ कोटे के एक मंत्री की कार्यशैली से सीएम खुद भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है तो दूसरे मंत्री को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष किशोर पूरी तरह से दबाव बनाए हुए हैं। इस मामले में पूर्व सीएम बहुगुणा भी किशोर के सुर से सुर मिलाते रहे हैं। ऐसे में इन दोनों मंत्रियों के कैबिनेट से बाहर होने की चर्चा आम गई है। इसी तरह से कांग्रेस के एक काबीना मंत्री भी जमीन के कई मामलों को लेकर चर्चा में आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि ये मंत्री महोदय भी सीएम की बातों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं। इन मंत्री महोदय ने खुद को अपनी विधानसभा तक ही सीमित कर लिया है। माना जा रहा है कि इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि अगर तीन मंत्री बाहर होते हैं तो कैबिनेट में चार पद रिक्त हो जाएंगे, क्योंकि एक पद सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद से ही खाली पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि अगर चार नए विधायकों का एंट्री होती है तो एक विधायक कुमाऊं से निश्चित रूप से शामिल किया जाएगा। ये विधायक अभी एक बड़ी संस्था के अध्यक्ष हैं और लंबे समय से मंत्री पद की लाइन में हैं। इसी तरह बहुगुणा गुट के एक खास विधायक को भी एंट्री मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि चार नए मंत्री बनने की दशा में गढ़वाल के हिस्से में तीन मंत्री पद आ सकते हैं।
हुजूर का फरमान बे-असर, मंत्री ने डोली यात्रा से लौटने से किया साफ इंकार नैथानी उवाच
- राजधानी में बैठकर नहीं चलने वाला राज्य, पिछले साल जैसा नहीं है पेयजल का संकट
देहरादून,26 मई (निस)। पीडीएफ कोटे से मंत्री बने मंत्री प्रसाद नैथानी पर सरकार के मुखिया का देहरादून लौटने का फरमान बे-असर साबित हो रहा है। मंत्री ने साफ कर दिया है कि सीएम ने लौटने को नहीं कहा है। साथ ही उन्होंने मुखिया को नसीहत देते हुए यहां तक कह दिया कि राजधानी में बैठकर यह राज्य चलने वाला नहीं है। भीषण गर्मी में राज्यभर में पेयजल संकट को देखते हुए सरकार के मुखिया हरीश रावत ने डोली के साथ धार्मिक यात्रा पर चल रहे कैबिनेट मिनिस्टर मंत्री प्रसाद नैथानी को तत्काल ही राजधानी लौटने या फिर अपना काम किसी और को सौंपने का फरमान सुनाया था। हरदा ने यह बात मीडिया से भी शेयर की थी। इसके बाद भी काबीना मंत्री पर इसका कोई असर दिखाई नहीं दिया। उन्होंने यात्रा पूरी किए बगैर राजधानी लौटने से इंकार कर दिया। मामला केवल हुक्मउदूली तक ही सीमित नहीं है। पीडीएफ कोटे के इन मंत्री महोदय से अपने अंदाज में कई नसीहतें भी दे डाली हैं। मंत्री ने पहले तो इस बात से ही इंकार कर दिया कि सीएम ने ऐसा कुछ कहा है। फिर और आगे बढ़ते हुए कहा कि यह समझ लेना चाहिए कि राजधानी में बैठने से यह राज्य नहीं चलने वाला। गांव-गांव जाकर लोगों का समस्याओं को समझने और उन्हें दूर करने की जरूरत है। इस यात्रा के दौरान वे यही कर भी रहे हैं। धार्मिक यात्रा पर चल रहे काबीना मंत्री यह मानने को भी तैयार नहीं है कि इस बार पेयजल संकट ज्यादा है। मंत्री ने अपने अंदाज में कहा कि इस साल पिछले साल जैसा संकट नहीं है। विभाग ने बहुत काम किया है और इसी वजह से इस बार कहीं भी खच्चरों से पानी पहुंचाने की नौबत नहीं आई है।
कहीं इसमें भी नहीं कोई सियासत
अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर हरदा ने मंत्री प्रसाद को यात्रा से लौटने का फरमान नहीं सुनाया तो उन्होंने मीडिया से यह बात शेयर क्यों की। और अगर सीएम ने ऐसा आदेश दिया है तो क्या मंत्री उसे मानने को बाध्य नहीं है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर इस हुक्मउदूली के पीछे नैथानी की मंशा क्या है। सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो नैथानी ने ऐसा कैबिनेट के संभावित फेरबदल के चलते किया है। माना जा रहा है कि नैथानी को कहीं न कहीं यह आशंका पैदा हो गई है कि अगर सीएम कुछ मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करते हैं तो कहीं उनका नाम भी इस लिस्ट में शामिल न हो। शायद यही वजह है कि मंत्री ने सीएम की बात पर अमल करने की बजाय कई तरह की नसीहतें भी दे डालीं। अब देखने वाली बात यह भी होगी कि मुख्यमंत्री का इस मामले में क्या रुख रहता है। सूत्रों का कहना है कि हरदा सियासत के मंझे खिलाड़ी हैं और उनकी हर बात में सियासी निहितार्थ भी छुपा रहता है।
खनन बंद, अब केवल चुगान!, हाईकमान तक गूंजा राज्य में अवैध खनन का मुद्दा
- एक कांग्रेसी नेता ने दिल्ली दरबार में पेश की तस्वीरे, खनन पूरी तरह बंद करने को सरकार पर बढ़ा दबाव
- मसौदा तैयार करने में जुटी राज्य की सरकारी मशीनरी, एक-दो रोज में इस बारे में जारी हो सकता है आदेश
देहरादून,26 मई (निस)। राज्य में हो रहे अवैध खनन का मुद्दा दिल्ली दरबार में पुरजोर तरीके से उठाया गया। एक कांग्रेसी नेता ने तस्वीरों के हवाले से बताया कि अवैध खनन से सरकार की छवि किस कदर खराब हो रही है। बताया जा रहा है कि दिल्ली दरबार ने इसे गंभीरता से लिया और सरकार को इस बारे में सख्त कदम उठाने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि एक-दो रोज में राज्य में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। अलबत्ता पर्यवरणीय लिहाज से चुगान जारी रहेगा। राज्य में अवैध खनन का मामला लंबे समय से चर्चा में हैं। खनन माफिया अफसरों पर हमले कर रहे हैं और किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो रहा है। अभी हाल में ही एक महिला आईपीएस को भी खनन करने वालों के दबाव में ही विकासनगर से हटाने की खबर भी चर्चा में रही थी। हरिद्वार में खनन रोकने को लेकर संत तप कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस धंधे में कई सफेदपोश लोग भी शामिल हैं। यही वजह है कि इसे रोकने के लिए महज निर्देश ही जारी हो रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिल्ली में हाईकमान के सामने सूबे में हो रहे इस अवैध खनन की भयावह स्थिति तस्वीरों के माध्यम से बयां की। चर्चा तो यहां तक हो रही है कि पुलिस के आला अफसर की सत्ता में खासी पकड़ रखने वाले एक नेता के साथ रात में बाइक पर खनन का काम देखते हुए तस्वीर भी पेश की गई। अफसरों पर हुए हमलों का ब्योरा भी हाईकमान के सामने रखा गया। दिल्ली दरबार को बताया गया कि इस अवैध खनन की वजह से सरकार की छवि आम जनमानस के बीच बेहद खराब हो रही है। इसके बाद हाईकमान ने इस मामले में गंभीर रुख अपनाया है। सूत्रों ने बताया कि हाईकमान ने सरकार से कहा है कि नेशनल ग्रीन ट्रब्युलन के आदेशों के आधार पर सूबे में खनन को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। बताया जा रहा है कि हाईकमान की इस नसीहत के बाद सरकार ने अफसरों को भी इस बारे में अपनी मंशा से अवगत करा दिया है। अफसरों की टीम पूरा मसौदा तैयार कर रही है कि खनन को पूरी तरह से बंद करने पर राजस्व का कितना नुकसान और होगा इसकी भरपाई का रास्ता क्या हो सकता है। बताया जा रहा है कि राज्य में खनन को पूरी तरह से बंद तो किया जाएगा। लेकिन पर्यवरणीय लिहाज से चुगान का काम जारी रहेगा। यह चुगान का काम पहले की तरह कुमाऊं मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम के माध्यम से ही कराया जाएगा। अन्य कोई भी संस्था या फिर व्यक्ति को खनन के पट्टे नहीं दिए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि एक-दो रोज में इस बारे में सरकार की ओर से औपचारिक आदेश जारी हो जाएंगे।
ये है खनन और चुगान में फर्क
खनन काम में नदियों से गहराई तक से रेता-बजरी निकाली जाती है। इसी की आड़ में अवैध तेजी से किया जाता है। इसके विपरीत चुगान में नदियों से उतनी ही रेता-बजरी निकालने का प्रावधान है, जितनी की बारिश के मौसम में पानी के साथ बहकर आती है। चुगान में नदियों की खुदाई नहीं की जा सकती।
अवैध खनन ने ली एक मजदूर की जान, काशीपुर के कुंडेश्वरी क्षेत्र में हुआ हादसा
- घटना के बाद शव और ट्रेक्टर को किया गायब, पुलिस कह रहा कोई तहरीर न मिलने की बात
- सीओ ने तत्काल ही बंद करा दिया अवैध खनन
काशीपुर (ऊधमसिंह नगर),26 मई (निस)। अवैध खनन के दानव ने एक मजदूर को निगल लिया। खनन माफिया से मजदूर के शव और ट्रेक्टर ट्राली को मौके से गायब कर दिया है। पुलिस का कहना है कि किसी भी पक्ष की ओर से इस मामले में कोई तहरीर नहीं दी गई है। अलबत्ता मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ ने उस क्षेत्र में तत्काल ही अवैध खनन को बंद करा दिया है। पास ही स्थित कुंडेश्वरी थाना क्षेत्र के ग्राम लक्ष्मीपुर में अवैध खनन किया जा रहा था। माल भरने के दौरान एक ढांग गिरने से एक ट्रेक्टर चालक उसमें दब गया। किसी तरह से उसे निकाला गया। लेकिन उस वक्त तक उसकी मौत हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि इस हादसे की जानकारी मिलते ही खनन माफिया ने मृतक चालक के शव और ट्रेक्टर ट्राली को मौके से गायब कर दिया। बताया जा रहा है कि यह ट्रेक्टर ट्राली रामजीवनपुर गांव के एक व्यक्ति की है। इस मामले में कुंडेश्वरी थाने के प्रभारी एके सिंह ने बताया कि ऐसी एक चर्चा उनके संज्ञान में आई थी। मौके पर जाकर देखा गया तो कुछ पता नहीं चल सका। इस मामले में किसी भी पक्ष की ओर से कोई तहरीर नहीं मिली है। ऐसे में कोई मुकदमा भी कायम नहीं किया गया है। अहम बात यह भी है कि इस हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस क्षेत्राधिकारी ने उस क्षेत्र में अवैध खनन को बंद करा दिया है।
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री पी. अशोक गजापति राजू को सीएम ने भेजा पत्र
- चण्डीगढ़ व अमृतसर से देहरादून के लिए हो हवाई सेवा: हरीष रावत
देहरादून,26 मई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री पी. अशोक गजापति राजू को पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि एक जून से प्रारम्भ हो रही हेमकुण्ठ साहिब यात्रा को देखते हुए चण्डीगढ़ व अमृतसर से देहरादून के लिए हवाई सेवाएं शीघ्र प्रारम्भ की जाएं। पंतनगर एयपोर्ट को निर्यात के लिए कार्गो हब के तौर पर विकसित किया जाए। दिल्ली से पंतनगर के लिए एयर इण्डिया की रोकी गई हवाई सेवा को पुनः प्रारम्भ किया जाए। सीएम ने जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट को एमआरओ विकसित किए जाने के लिए उपयुक्त बताने हुए कहा कि इसके लिए सिविल एवियेशन अथाॅरिटी के पास पर्याप्त भूमि भी उपलब्ध है। इससे जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट में अधिक पर्किंग बेज व अंर्तराष्ट्रीय उडानों के लिए नई टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जा सकती है। इससे एयरपोर्ट अथाॅरिटी आॅफ इंडिया की आय भी बढ़ेगी। उत्तराखण्ड में पर्यटन विकास के लिए हवाई सेवाओं के विस्तार पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिक गतिविधियों व स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए पर्यटन की अहम भूमिका है। पर्यटन विकास में हवाई सेवाएं सहायक होगी। राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए उत्तराखण्ड को भारत सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में सिविल एवियेशन डेवलपमेंट अथाॅरिटी बनाई गई है, जिसके अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्रों में तीन एयरफील्ड व लगभग 60 हेलीपेड विकसित किए जा रहे है। इसमें भारत सरकार प्राथमिकता से सहयोग करें। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट मंे 24 घंटे संचालन की सुविधाएं विकसित की जाएं। यहां रात्रिकालीन पार्किंग की व्यवस्था करने से देहरादून से दिल्ली के लिए सुबह की हवाई सेवा प्रारम्भ की जा सकती है। एयर नेवीगेशन सर्विसेज के तहत देहरादून व पंतनगर एयरपोर्ट स्तर-2 व स्तर-1 के रूप में अपग्रेड किया जाए। यहां आईएलएस सुविधाएं भी सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में मानकों के अनुरूप भूमि की अनुपलब्धता को देखते हुए यहा 3 वीएफआर फील्ड्स के लिए लाईसेंसिंग में छूट दी जाए। केन्द्रीय मंत्री को लिखे अपने पत्र में सीएम ने कहा है कि नेपाल व तिब्बत बार्डर के निकट के एयरपोर्ट व हैलीपेड पर नाईट लेंडिंग सुविधाएं विकसित किए जाने के लिए छत्तीसगढ़ की भांति ही केन्द्रीय मदद दी जाए। राज्य में एयर कनेक्टीवीटी को बढ़ावा देने के लिए गैर लाईसेंस वाले एयरपोर्ट पर 9 से 20 सीट के एयरक्राफट की अनुमति दी जाए। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री पी. अशोक गजापति राजू ने मुख्यमंत्री रावत को आश्वस्त किया है कि राज्य हित में सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा।
पांच दिन की जनजागरण यात्रा को सांसद निषंक ने झंडी दिखाकर किया रवाना
- यात्रा हरिद्वार से प्रारम्भ 30 मई को वाराणसी में होगी सम्पन्न
हरिद्वार, 26 मई(निस)। दिल्ली और मथुरा में दो सफल सफाई जनजागरूकता अभियानों के बाद नेशनल मीडिया क्लब एवं दिव्य प्रेम सेवा मिशन ने इस बार स्वच्छ भारत और सुन्दर भारत की अपनी मुहिम के तहत पाॅंच दिन की जनजागरण यात्रा के आयोजन का संकल्प लिया है। दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार में वन्दे गंगे स्वच्छता जनजागरण यात्रा की निर्विध्नता हेतु हवन पूजन किया गया। म.म. स्वामी वियोगानन्द जी महाराज (गंगोत्री), म.म. कैलाशानन्द ब्रम्हचारी हरिद्वार, डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक (सांसद हरिद्वार), आशीष गौतम (अध्यक्ष दिव्य प्रेम सेवा मिशन) ने यात्रा को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। स्वामी कैलाशानन्द ब्रम्हचारी ने कहा कि गंगोत्री से गंगा निकलकर ब्रम्हकुण्ड को स्पर्श कर सभी का कल्याण करते हुए समुद्र में समा जा जाती है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा हरि के द्वार से निकलकर भगवान विश्वनाथ की नगरी में विश्राम करेगी। हर व्यक्ति की यह भावना है कि हमारी गंगा निर्मव व अविरल हो यही कामना लेकर यह यात्रा निकली है जो निश्चित गंगा माॅं पूरी करेगी। स्वामी वियोगानन्द महाराज ने कहा कि परिवार की व्यवस्था परिवार का मुखिया देखता है देश की संवैधानिक व्यवस्था देश का मुखिया देखता है और पत्रकार का काम वाणी को भाषा देना, व्यवस्था देना और रचनात्मक रूप से आन्दोलन करना है। उन्होंने कहा कि हमारे पास साधन सामग्री तो बहुत हैं लेकिन हम उनका आंकलन नहीं कर पाते हैं। प्रकृति का नियम है कि संसार में जीव के जन्म लेने के पहले ही उसके खाने की व्यवस्था हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा अभियान में व्यक्तिगत सम्मान व स्वार्थ नहीं है गंगा की सेवा सामूहिक सेवा है। गंगा की अखंडता खंडित हुई तो निर्मलता-अविरलता बेमानी होगी। डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह यात्रा उस स्थान से प्रारम्भ हो रही है जो पूरे विश्व के लिए प्रेरणास्रोत है तथा यशस्वी व्यक्तित्व आशीष जी के स्थान से यह गंगा का मिशन हो शुरू हो रहा है निश्चित ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगी। मैं इस क्षेत्र का सांसद होने के नाते सभी का अभिनन्दन करता हॅू। आशीष गौतम ने कहा कि मनुष्य के मुख में अन्तिम समय जब तक गंगाजल की एक बूंद नहीं पड जाती है तब तक उसका कल्याण नहीं होता है। इसलिए हम इसकी स्वच्छता पवित्रता बरकरार रखने में पूर्ण सहयोग करें। नेशनल मीडिया क्लब के महामंत्री रमेश अवस्थी ने कहा कि यात्रा हरिद्वार से प्रारम्भ होकर गढ़मुक्तेश्वर, फर्रूखाबाद, कानपुर एवं इलाहाबाद होती हुई 30 मई को वाराणसी में सम्पन्न होगी। करीब 101 गाडियों की वाहन यात्रा के साथ नेशनल मीडिया क्लब के मिशन से जुड़े सदस्य रास्ते भर स्वच्छ भारत और सुन्दर भारत के लिए लोगों को जागृत करेंगे। इस यात्रा में भिन्न-भिन्न स्थानों पर वृक्षारोपण किया जायेगा। 30 मई पत्रकारिता दिवस पर वाराणसी में एक बड़े कार्यक्रम में यात्रा संस्मरण को लोगों के सामने वीडियो एवं फोटो के माध्यम से प्रस्तुत किया जायेगा, साथ ही स्वच्छता अभियान से जुडे लोगों एवं वरिष्ठ व ऊर्जावान पत्रकारों को सम्मानित भी किया जायेगा। इस अवसर पर संजय चतुर्वेदी, रजनी कांत, वैभववर्धन, वैराग, अनिरूद्ध भाटी, बृजभूषण विद्यार्थी, डाॅ. जितेन्द्र सिंह, डाॅ. अरविन्द नारायण मिश्र, बालकृष्ण शास्त्री, सतीश शास्त्री, प्रशांत खरे,उमेश निगम, प्रदीप शर्मा, जितेन्द्र सोमवंशी, विश्वास शर्मा, अर्पित मिश्रा, संतोष सिंह, आनन्द रिछारिया, अश्विनी पाल, कुलदीप गुप्ता, श्याम सिंह यादव, जुगल किशोर तिवारी, विरेन्द्र दुबे, प्रमोद तिवारी, प्रवीण शुक्ला, गोविन्दा तिवारी, प्रवेश चैधरी, ओ.पी. यादव, आदित्य द्विवेदी, अवनीश कुमार राय, विजय पाण्डेय, शशी पाण्डेय, राम अवतार उपाध्याय, ब्रजेश सिंह, राजकुमार दीक्षित, अरविन्द मिश्रा, अनुपम घोष, प्रताप नागर, निलेश सिंह, जय प्रकाश तोमर, प्रशांत सिंह, देव प्रकाश त्रिपाठी, ध्रुव सहगल सहित मिशन के कार्यकर्ता व बच्चे उपस्थित थे।
जनवरी 2016 तक तम्बाकू मुक्त होगा शहरः डीएम
देहरादून, 26 मई(निस)। जनपद को आगामी गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2016 तक तम्बाकू मुक्त शहर बनाने के सकंल्प से कार्य करें यह बात जिलाधिकारी रविनाथ रमन की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में आयोजित तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन विषयक आयोजित बैठक में कही। उन्होने सभी कार्यालयाध्यक्षों को अपने-अपने कार्यालयों, सार्वजनिक स्थलों, होटल, लाज एवं पर्यटन स्थलों पर ’’धूम्रपान निषेध क्षेत्र-यहां धूम्रपान करना अपराध है’’ चेतावनी का बोर्ड लगाने के निर्देश सभी सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिये कि 26 जनवरी 2016 तक जनपद देहरादून को तम्बाकू मुक्त कराने का लक्ष्य पाने हेतु ठोस रणनीति के तहत कार्य करें। उन्होने कहा कि जो भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों एवं शासकीय कार्यालयों में धुम्रपान करता पाया जाता है, तो उससे 200 रू0 अर्थदण्ड के रूप में वसूला जाए, जिसके लिए प्रत्येक कार्यालय में चालान बुक रखने के निर्देश दिये। उन्होने शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये, कि वे डायट टी.ई.टी प्रशिक्षण के दौरान, तथा सभी पी.जी कालेज, मेडिकल कालेज एवं इंजिनियर कालेज तथा सभी शासकीय एवं गैर शासकीय विद्यालयों में धूम्रपान निषेध की चेतावनी लगाने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये तथा विद्यालयों में जन जागरूकता अभियान भी चलाने के निर्देश दिए। उन्होने निर्देश दिये कि सभी विद्यालयों तम्बाकू नियंत्रक समिति बनाई जाए जिसका अध्यक्ष सम्बन्धित विद्यालय का प्रधानाध्यापक को बनाए। उन्होने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिये कि प्रत्येक माह जिला स्टीयरिंग कमेटी व टास्क फोर्स की बैठक आयोजित करें। जिसमें प्रत्येक माह की प्रगति की समीक्षा कराएं, साथ ही धूम्रपान निषेध स्टीकर तैयार कर सम्भागीय परिवहन अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होने सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी को निर्देश दिये कि इन स्टीकरों को जनपद की परिवहन निगम की बसों एवं नगर बस सेवा तथा छोटे टैम्पों पर चस्पा कराना के निर्देश, जिससे आम जनमानस को धूम्रपान के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होने पुलिस प्रशासन को धूम्रपान रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही करने के लिए अपने स्तर से टीम गठन करके रणनीति तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होने निर्देश दिये कि दुकानों पर तम्बाकू उत्पादों का विज्ञापन करने वाले बोर्ड प्रदर्शित नही किये जाएं तथा शैक्षिक संस्थान के बाउन्ड्री वाॅल से 100 गज की दूरी पर तम्बाकू की बिक्री न करने दी जाए यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। तथा सामग्री को नष्ट किया जाय। उन्होने शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों में अभियान चलाकर धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को दण्डित के निर्देश दिये तथा घण्टाघर पर स्की्रन के माध्यम से तम्बाकू के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करने एवं सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिये। उन्होने जिला पंचायतराज अधिकारी को निर्देश दिये है इसका ग्रामीण स्तर पर ग्राम विकास अधिकारियों के माध्यम से ग्राम प्रधानों आदि से तम्बाकू को पूर्णतः प्रतिबन्ध के लिए अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करें। उन्होने गैर सरकारी संस्था एन.जी.ओ से अपेक्षा की वह आम जनमानस को तम्बाकू के दूष्प्रभाव से जागरूक करने हेतु कार्यक्रम संचालित करें तथा समय-2 सेमीनार व रैली कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास करें।बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ एस पी अग्रवाल, डाॅ डी.के चक्रपाणी, स्वास्थ्य अधिकारी, राज्य सलाहकार तम्बाकू नियंत्रक आदित्य अग्निहोत्री, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक पदमेन्द्र सकलानी, सहायक परिवहन अधिकारी संदीप सैनी, सी.ओ आर डिमरी सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।
गरीब आदमी को कुछ भी नहीं मिला एक साल मेंः हृदयेश
देहरादून, 26 मई(निस)। मोदी सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर भाजपा द्वारा जनता के सामने किये जा रहे गुणगान का पर्दाफाश भारतीय युवा कांग्रेस द्वारा मंगलवार को जनता के सामने किया गया। युवा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा एक विशाल रैली तथा झांकियों के प्रदर्शन से बाबा रामदेव के 90 दिन मंे कालाधन वापस लाने के दावे तथा आपदा से ग्रसित मजबूर किसानों की आत्महत्याओं का प्रदर्शन किया गया। गौरतलब है कि अब तक पूरे देश में लगभग 10 हजार से ज्यादा किसानों ने मोदी सरकार की बेरूखी को देखते हुए मौत को गले लगा लिया। वित्त मंत्री द्वारा मोदी सरकार के कालेधन के विदेशों से आये 15 लाख के चैक भी जनता में वितरीत किये, लेकिन ये चैक बैंकों मे जाकर बाउन्स हो गये। ताज चैराहे पर आयोजित कार्यक्रम मंे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता तथा सरकार में वित्त मंत्री डा0 इन्दिरा हृदयेश ने मोदी सरकार के दावों को खोखला करने वालियों को हरी झंडी दिखाकर शहर के लिए रवाना किया। इस अवसर पर युवा कंाग्रेसियों व अन्य जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए डा0 हृदयेश ने कहा कि 365 दिन की मोदी सरकार ने कोई भी तीन काम जनता के हित में नहीं किये। आज राजस्थान में हजारों गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर रेल की पटरियों पर पडे हैं, वहीं हमारे प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री विदेशों के दौरे पर हैं। उन्होनें कहा कि एक-एक, दो-दो रूपया डीजल पैट्रोल पर घटाकर मोदी सरकार ने देशवासियों के कलेजे ठण्डे करने की कोशिश की, लेकिन आज की तारीख में डीजल-पैट्रोल पर 3 से 4 रूपये प्रति लीटर बढ़ाकर देशवासियों को महंगाई की आग मंे झोक दिया है। सूट-बूट की मोदी सरकार ने दुनिया के सैकडों देशों की यात्रा तो कर ली हैं, लेकिन देश के 10 सूबों मे भी न जाकर उन्होनें गरीब जनता का हाल नहीं लिया। यहाँ तक की आत्महत्या करने वाले किसानों के एक भी परिवार के घर केन्द्र सरकार को एक भी मंत्री तक नहीं गया। डा0 हृदयेश ने अपने सम्बोधन में मोदी के अच्छे दिन आयेंगे, के ब्रह्म वाक्य की धज्जियां उडाते हुए कहा कि उनके द्वारा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कब्जा करने के लिए जो सपने दिखाये गये थे, वो एक वर्ष में चकनाचूर हो गये हैं। बडे-बडे दावे करने वाले मोदी ने उत्तराखण्ड के पांचों सांसदों को बेरोजगार बना रखा है, जो कि उत्तराखण्ड की जनता का सीधा अपमान है। पांचांे सांसद मुंह छिपाते फिर रहें है। यहाँ तक की सांसद ग्राम विकास योजना में चयनित गांवों में विकास की एक भी ईंट नहीं रखी है। उन्होनें नीति आयोग बनाकर देश के सभी राज्यों का बेडागर्क कर दिया है। छोटे राज्यों मंें वित्तीय संसाधनों की कटौती कर दी है, जिससे वह अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं। श्रीमती हृदयेश ने कहा कि भाजपा का दामन थामने वाले सतपाल महराज की वहाँ कोई इज्जत नहीं है। सतपाल महाराज व पांचों सांसद उत्तराखण्ड को एक नई रेल सेवा तक नहीं दिला सके। प्रदेश सरकार ने ईश्वर के आशीर्वाद एवं जनता के सहयोग से चारधाम यात्रा अपने बलबूते पर शुरू करा दी, जिसमें हजारों यात्री रोजाना आ रहे हैं। राहुल गांधी के बद्रीनाथ व केदारनाथ आने के बाद प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वे भी एक बार केदारनाथ आकर ईश्वर का सानिध्य प्राप्त कर लेते। चारधाम की यात्रा की तैयारियों को लेकर सालभर को भारतीय जनता पार्टी के नेता कौसते रहे, लेकिन भारतीय जनमानस की आस्था ने अफवाहों को रौंदतें हुए प्रदेश के चारधामों में बडी संख्या में आना प्रारम्भ कर दिया है जो हमारी सफलता का प्रतीक है। उन्होनें कहा कि आपदा से प्रभावित किसानों ने आत्महत्या जैसे प्राणघाती कदम उठाये। मोदी जी के कार्यकाल में जितने किसानों ने आत्महत्याएं की हैं वह एक रिकार्ड हैं। उत्तराखण्ड के किसानों की मदद के लिए भी भारत सरकार ने कुछ नहीं किया, लेकिन हरीश रावत सरकार ने प्रदेश के किसानों के दुःख में उनका साथ देते हुए उनको प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि को दोगुना कर दिया। वहीं किसानों को बेमौसमी सब्जी, फल, कीटनाशक दवाईयों के लिए दो हजार करोड की व्यवस्था भी करायी। डा0 हृदयेश ने कहा कि एक साल में सरकार का इतना नकारापन हैं, की आने वाले समय में भगवान ही इनका मालिक है। जनता तो वक्त आने पर जवाब देगी ही। इस कार्यक्रम में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह प्रिंस, प्रदेश सचिव युवा कांग्रेस बलजीत सिंह, गोविन्द बिष्ट, सुशील डुगराकोटी, लाल सिंह पंवार, खलील वारसी, विशाल भारती, समीर खां, पूरन बिष्ट, हेमन्त कुमार सूरज, विक्की नरूला, शालिम सिद्दकी, रिजवान हुसैन, रोहन कपकोटी, रवि सागर, सुमित कुमार, तरूण शाह, दीपू मेर, लीला काण्डपाल, मोहन पोखरिया, मयंक भट्ट, जसकरण सिंह, मनीष पाण्डे, सादाब हुसैन, प्रदीप नेगी, भारत भूषण, रोहित भट्ट, संदीप पाण्डे, ज्योन्टी नयाल, मोनू कपूर, नीरज कुमार, हर्षित जोशी, अरूण कुमार, जीवन बिष्ट, शराफत खां, शकील सलमानी, सुष्मिता पंत, संजय बिष्ट, राजा फरस्वान के अलावा में बडी संख्या में पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे। रैली का समापन एसडीएम कोर्ट में हुआ।
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