उत्तराखंड की विस्तृत खबर (27 मई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 27 मई 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (27 मई)

मंत्री की कुर्सी डोली तो छोड़ भागे देवताओं की ”डोली” कुछ खास नहीं था तो राजधानी क्यों आए मंत्रीजी
  • हुक्मउदूली पर हरदा ने अपनाया लिया था गंभीर रुख, दिल्ली बैठक की भनक मिलते ही मंत्री पहुंच गए दून

देहरादून,27 मई । मुख्यमंत्री हरीश रावत के राजधानी लौटने का आदेश मामने की बजाय बड़ी-बड़ी बातें करने वाले कैबिनेट मिनिस्टर बीती दून पहुंच गए। सवाय यह उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या बड़ी बात हो गई थी, जिसके चलते मंत्री प्रसाद नैथानी को राजधानी आना पड़ा। बताया जा रहा है कि हुक्मउदूली के चलते उन्हें लगा कि कुर्सी डोल रही है तो डोली को छोड़कर सीएम के दरबार में हाजिरी बजा दी। राजधानी समेत समूचे सूबे में पेयजल की किल्लत को देखकर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पेयजल महकमा संभाल रहे कैबिनेट मिनिस्टर मंत्री प्रसाद नैथानी को तत्काल देहरादून आने का फरमान सुनाया था। नैथानी इन दिनों देवी की डोली के साथ धार्मिक यात्रा पर हैं। ऐसे में उन्होंने दून आने की बजाय डोली यात्रा में ही ज्यादा रुचि दिखाई। इतना ही नहीं यहां तक कह दिया कि इस बार तो पेयजल संकट है ही नहीं। मंत्रीजी यहीं तक नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह राज्य राजधानी में बैठकर नहीं चल सकता। राज्य चलाने के लिए जनता के पास जाकर उसकी समस्या का समाधान करना होगा। यह बात करके मंत्री ने एक तरह से हरदा को ही नसीहत देने की कोशिश की थी। बताया जा रहा है कि हुक्मउदूली को लेकर पहले से ही गंभीर हो चुके हरदा इस नसीहत की वजह से और भी गंभीर हो गए। इस बीच मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के साथ सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष की बैठक में कैबिनेट की रिशफलिंग पर भी चर्चा हुई। इस बीच सियासी गलियारों में यह चर्चा भी तेज हो गई कि पीडीएफ कोटे के दो मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि काबीना अपनी डोली के साथ कुमाऊं में विचरण कर रहे मंत्री तक भी यहां की चर्चाएं पहुंची। ऐसे में नैथानी को लगा कि कहीं इस डोली के चक्कर में उनकी कुर्सी ही न डोल जाए। ऐसे में मंत्रीजी ने तत्काल ही राजधानी का रुख कर लिया। अहम बात यह है कि अपने बयान में नैथानी ने यह भी कहा था कि कोई बड़ी बात होगी तो देहरादून जाना ही पड़ेगा। सियासत में सत्ता की कुर्सी डोलने से बड़ी बात और भी क्या सकती है। शायद यही वजह रहा है कि मंत्रीजी की कुर्सी डोली तो वे देवी की डोली छोड़कर सत्ता के मुखिया के दरबार में हाजिरी बजाने आ गए। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या डोली छोड़कर आने से देवी नाराज नहीं हो गई होंगी।

नई फंडिंग पालिसी से सूबे को भारी नुकसान, उत्तराखंड के पैसे में साढ़े तीन हजार की कटौती :  सीएम
  • हिमालयी राज्यों से सरकार कर रही संपर्क, केंद्र सरकार से भी इस बारे में हो रही वार्ता

uttrakhand news
देहरादून,27 मई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राज्यों के लिए फंडिंग पैर्टन में किए गए बदलाव का सबसे बड़ा नुकसान हिमालयी राज्यों को भारी नुकसान हो रहा है। इस नई व्यवस्था ने उत्तराखंड को साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। यहां बीजापुर गेस्ट हाउस में पत्रकारों से रूबरू हरीश ने कहा कि भाजपा के साथ सही बात कहने की बजाय झूठे आरोप लगाते रहते हैं। केंद्र सरकार ने केंद्र पोषित योजनाओं की फंडिंग में भारी बदलाव किया है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान हिमालयी राज्यों को ही हो रहा है। अगर केवल अपने उत्तराखंड राज्य की बात करें तो इस नए पैटर्न से 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। राज्य के मिलने वाली विशेष सुविधाओं में कटौती की जा रही है। अब तक विभिन्न योजनाओं में 90 10, 80-20 और 70-30 के अनुपात में पैसा मिलता था। अब केंद्र से हर योजना में यह अनुपात 50 50 का कर दिया है। इससे राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। सीएम ने कहा कि केंद्र ने पर्यटन समेत आठ योजनाओं को पूरी तरह से राज्य पोषित घोषित कर दिया है। अब तक इन योजनाओं के लिए राज्यों को पैसा दिया जाता था। सीएम ने कहा कि केंद्र करों में राज्य की हिस्सेदारी 32 से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दी है। इससे राज्य को कुछ फायदा होगा। लेकिन सबसे ज्यादा फायदा बड़े राज्यों के हिस्से में ही जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी हम घबरा नहीं रहे हैं। राज्य सरकार अपने संसाधनों से ही विकास कार्यों में किसी भी तरह की बाधा नहीं आने देगा। साथ ही अन्य हिमालयी राज्यों से भी इस बारे में बात की जा रही है। ताकि सभी राज्य एक साथ ही केंद्र सरकार ने वार्ता करके इस समस्या के समाधान की पहल कर सकें। सीएम ने कहा कि उनके कुछ मित्र कह रहे हैं कि राज्य सरकार की ओर से केंद्र के पास योजनाएं ही नहीं भेजी जा रही हैं। ऐसे में मंजूरी कहा से मिलेगी। सीएम ने कहा कि ऐसे मित्रों को पहले पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए। राज्य सरकार की ओर से भेजी गई नमामि गंगे योजना को केंद्र मंजूर कर चुकी है। इसी तरह अन्य योजनाओं के बारे में भी भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। पंतजलि योग पीठ की पुत्रजीवक दवा के बारे में पूछे गए एक सवाल पर सीएम हरीश ने कहा कि अभी तक इस बारे में उनके पास कोई तथ्य नहीं आए हैं। ऐसे में इस बारे में कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा। वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री के मीडिया को-आर्डिनेटर सुरेंद्र कुमार और मीडिया संयोजक राजीव जैन भी मौजूद रहे।

कौन होगा तब उस तबाही का जिम्मेदार, राजधानी में सात मंजिला इमारतों को मंजूरी देने की कवायद
  • नेताओं-अफसरों का एक धड़ा कर रहा इसकी पैरवी, सिडकुल में लागू नियम को बनाया जा रहा आधार
  • अभी तक चार मंजिला इमारत बनाने की ही मंजूरी, भूकंप के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील है राजधानी
  • नेपाल त्रासदी से भी नहीं लिया जा रहा कोई सबक

देहरादून,27 मई (निस)। राजधानी में निजी बिल्डरों को पहले से ही मनमानी की छूट मिली हुई है। अब बिल्डरों को अरबों रुपये अतिरिक्त कमाने का मौका देने की कवायद शुरू की गई है। अहम बात यह भी है कि कुछ नेताओं और अफसरों का गठजोड़ इस बार सीधे तौर पर आम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि अगर कुछ खास लोगों की मुहिम परवान चढ़ी तो भूंकप के लिहाज से बेहद संवेदनशील इस देहरादून शहर में सात मंजिला इमारतों की बाढ़ आ जाएगी। इसके बाद अगर कुदरत ने अपना कहर भूकंप के रूप में बरपाया तो भारी तबाही की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। हिमालय की गोद में बसा यह उत्तराखंड राज्य भूकंपा के लिहाज से बेहद संवेदशील इलाकों में शुमार है। इसी वजह से यहां अधिकतम 21 मीटर ऊंचाई वाले भवनों के निमार्ण को ही मंजूरी दी जाती है। इस लिहाज से कोई भी भवन अधिकतम चार मंजिला ही बनाया जा सकता है। अब तक निजी क्षेत्र के बिल्डरों को आवासीय कालोनी के निर्मांण में इसी नियम का पालन करना होता है। राजधानी में पिछले कुछ सालों में फ्लैट कल्चर तेजी से बढ़ रहा है। देहरादून की आबादी में तेजी से हो रहे इजाफे और बाहरी लोगों के यहां निवेश की वजह पूरा शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है। बिल्डरों का सरकार पर इतना ज्यादा दबाव रहता है कि उनकी मर्जी के अनुसार ही काम होते रहते हैं। आलम यह है कि एक बिल्डर तो केवल आवदेन पत्रों की बिक्री से ही डेढ़ करोड़ से ज्यादा जनता की रकम को अपने खातों में जमा करवा चुका है। बिल्डर लाबी का सरकार पर लंबे समय से दबाव था कि इमारतों की ऊंचाई को बढ़ाने की मंजूरी दी जाए। ताकि ज्यादा फ्लैट बनाकर करोड़ों का अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सके। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र की भूकंप के लिहाज से संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रही थी। इसके बाद बिल्डरों ने सत्ता के एक ताकतवर नेता और वैसे ही ताकतवर नौकरशाह से संपर्क किया। बिल्डरों ने दोनों को समझाया कि जब सिडकुल की जमीन पर नौ मंजिला भवनों को मंजूरी दी जा सकती है तो देहरादून की ही दूसरी जमीनों पर क्यों नहीं। यहां बता दें कि सिडकुल के अंदर आने वाली जमीन पर बनने वाली आवासीय कालोनी का नक्शा यूपी के नियमों के तहत पास किया जाता है और वहां नौ मंजिला भवन बनाने की मंजूरी दी जाती है। सूत्रों ने बताया कि नेता और अफसर को बिल्डरों की इस बात में दम नजर आया। बताया जा रहा है कि अब इसी आधार पर देहरादून की जमीनों पर सात मंजिला भवनों के निर्माण की मंजूरी देने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि बिल्डरों के दबाव में पहले से चार मंजिला बन चुकी आवासीय कालोनियों को भी सात मंजिला तक बनाने की मंजूरी देने का भी तय किया गया है। अगर ऐसा हुआ तो नई कालोनियां बनाने वालों को तो अरबों रुपये का फायदा होगा ही, पुरानी कालोनी वाले बिल्डर भी करोड़ों के न्यार-वारे कर लेंगे। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या सात मंजिला भवनों की मंजूरी लोगों के जीवन से खिलवाड़ नहीं है। यह इलाका भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। इसके बाद भी सात मंजिला भवनों की मंजूरी देकर सरकार आखिर करना क्या चाहती है। कायदे से नेपाल में अभी हाल में ही आए भूकंप से हुई तबाही के बाद निर्माण के मानक और कड़े कर देने चाहिए थे। लेकिन यहां तो उल्टी गंगा बहाने की कोशिश की जा रही है। हो सकता है कि इस मंजूरी के बाद कुछ लोग अरबों रुपये कमा लें। लेकिन भविष्य में दुर्भाग्य से अगर कुदरत से अपना कहर भूकंप के रूप में दिखाया तो उससे होने वाली भीषण तबाही के लिए आखिर कौन जिम्मेदार होगा। 

वाहनों को जबरन छुड़ा ले गया खनन माफिया, कोसी नदी में अवैध तरीके से किया गया था खनन
  • पुलिस और खनन माफिया के बीच खासी गहमा-गहमी, बाद में कई थानों की फोर्स के साथ की गई छापामारी
  • रेता-बजरी से भरे 15 वाहनों को लिया गया कब्जे में

सुल्तानपुर पट्टी (ऊधमसिंह नगर),27 मई (निस)। सिस्टम की हीलाहवाली से अवैध खनन करने वालों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। कोसी नदी खनन क्षेत्र में पुलिस द्वारा पकड़े गए चार वाहनों को खनन माफिया जबरन छुड़ा ले गया। बताया जा रहा है कि इस दौरान पुलिस और माफिया के बीच गहमागहमी भी हुई। बाद में आसपास के थानों से फोर्स मंगाया कर छापामारी गई और 15 वाहन सीज किए गए। बताया जा रहा है कि मंगलवार देरशाम शाम दोराहा पुलिस चैकी इंचार्ज मनीष उपाध्याय ने पुलिस के साथ कोसी खनन क्षेत्र में छापामारी की और खनन से भरे तीन डंपर और एक ट्रैक्टर ट्राली को पकड़ लिया। वाहनों को पकड़े जाने की सूचना पर अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचे खनन माफिया ने हंगामा किया और दबंगई दिखाकर चारों वाहनों को छुड़ा लिया। पुलिस कर्मी मौन रहकर तमाशा देखते रहे। बताया जा रहा है कि इस मामले की सूचना मिलने पर कई थानों की फोर्स को वहां बुला लिया गया। बाद में देर शाम एसडीएम आशीष भटगाई, अपर पुलिस अधीक्षक कमलेश उपाध्याय, एसडीएम जसपुर विनीत कुमार, एआरटीओ द्वारिका प्रसाद, पूजा नयाल, खनन अधिकारी राजपाल लेघा आदि अफसरों की टीम ने पुलिस फोर्स के खनन क्षेत्र में छापामारी की। इस दौरान अवैध खनन के माल से भरे 15 वाहनों पकड़कर चैकी में खड़ा कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि सभी वाहनों को सीज कर दिया गया है।

किसके संरक्षण में हो रहा बाजपुर में खनन, प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन पर हाईकोर्ट का गंभीर रुख
  • यूएस नगर के एसएसपी और कुमाऊं के डीआईजी पेश, महाधिवक्ता हाईकोर्ट से मांगा पांच रोज का समय
  • बोले, अदालत से कुछ भी छुपाएगी नहीं सरकार, मामले की अगली सुनवाई अब होगी तीन जून को 

देहरादून,27 मई (निस)। ऊधमसिंह नगर जिले के बाजपुर में कोसी नदी के एक इलाके से प्रतिबंध के बाद भी खनन के मामले को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गंभीरता से लेते हुए सरकार जानना चाहा कि आखिर किसके संरक्षण में यह अवैध खनन किया जा रहा है। खंडपीठ के रुख को देखते हुए महाधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट से कुछ भी छुपाया नहीं जाएगा। पूरे मामले में कार्ययोजना पेश करने के लिए पांच रोज का वक्त दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए तीन जून की तारीख तय की है। इस मामले में हाईकोर्ट ने यूएस नगर के एसएसपी और कुमाऊं रेंज के डीआईजी को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। हाईकोर्ट में आज मुख्य न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति बीके बिष्ट की खंडपीठ ने इंदर सिंह की याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट के आदेश पर यूएस नगर के एसएसपी नीलेश भरणे और डीआईजी पुष्कर सिंह सैलाल खंडपीठ के सामने पेश हुए। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि आखिर किसके संरक्षण में बाजपुर क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है। एक महिला आईएफएस पर हमला करने वाले की गिरफ्तारी करने की बजाय उसे हाईकोर्ट तक आने का मौका दिया जाता है। कहा जा रहा है कि इस खनन को सियासी संरक्षण भी मिला हुआ है। खंडपीठ के रुख को देखते हुए महाधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट से कुछ भी छुपाया नहीं जाएगा। अवैध खनन कैसे हो रहा है और इसके लिए कौन-कौन किस हद तक दोषी है और इस पर कैसे नियंत्रण किया जाएगा, इस बारे में कार्ययोजना के लिए पांच दिन का वक्त दिया जाए। खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन जून की तारीख तय की है।

क्या है मामला
बाजपुर क्षेत्र में अवैध खनन से परेशान लोगों की ओर से इंदरराम नामक व्यक्ति ने एक जनहित याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बंजारा रोड से गोबराघाट तक खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। बताया जा रहा है कि इस बीच सरकार ने एक सियासी नेता के दबाव में इसी क्षेत्र में खनन के चार पट्टे जारी कर दिए थे। इन्हीं पट्टों की आड़ में प्रतिबंधित क्षेत्र में फिर से खनन शुरू कर दिया गया था। इसके बाद एक बार फिर से यह मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने ऊधमसिंह नगर के एसएसपी और डीएम के साथ ही कुमाऊं के डीआईजी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। बताया जा रहा है कि व्यक्तिगत पेशी से पहले ऊधमसिंह नगर के अफसरों ने अपनी जान बचाने के लिए पिछले दो रोज पहले प्रतिबंधित क्षेत्र में हो रहे खनन को रोकने लिए अभियान भी चलाया था। 

पतंजलि फूड पार्क कर्मियों व ग्रामीणों में भिड़त, एक की मौत
  • फायरिंग और पथराव के बाद तनाव

हरिद्वार/ देहरादून,27 मई (निस)। पंतजलि पदार्थ हर्बल फूड पार्क कर्मियों और ग्रामीणों के बीच विवाद में पथराव और फायरिंग हुई। इससे एक व्यक्ति की मौत हो गई व कई अन्य के घायल होने की खबर है। इस घटना के बाद से क्षेत्र में भारी तनाव का माहौल है। बताया जा रहा है कि पंतजलि फूड पार्क के प्रबंधन ने स्थापना के दौरान आसपास के ग्रामीणों से कहा था कि अगर वो लोग वाहन खरीद लेंगे तो उन्हें काम दिया जाएगा। प्रबंधन के इस आश्वासन पर लोगों ने वाहन खरीद लिए। लेकिन अधिकांश को प्रबंधन ने काम नहीं दिया। लोगों ने प्रबंधन से वार्ता करने की कई बार कोशिश की। लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। बताया जा रहा है कि आज ग्रामीण एकत्र होकर प्रबंधन से वार्ता करने जा रहे थे। लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। इसे लेकर दोनों के बीच तीखी झड़पें भी हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि विवाद के दौरान ही पार्क के अंदर से पथराव शुरू कर दिया गया। जवाब में ग्रामीणों की ओर से भी पथराव की खबर है। खबर है कि पार्क के अंदर से की गई फायरिंग से एक व्यक्ति की मौत हो गई है और पथराव में कई लोग घायल हुए है। समाचार लिखे जाने तक पुलिस मौके पर पहुंच चुकी थी और हालात बेहद तनावपूर्ण थे। इस घटना की वजह से लक्सर-हरिद्वार मार्ग पर लंबा जाम लगा था।

गर्खा वासियों का खाली बर्तनों के साथ डीएम कार्यालय पर प्रदर्षन, गर्खा लिफ्ट योजना के निर्माण की मांग
  • क्षेत्र के 11 ग्राम पंचायतों की 15 हजार की जनसंख्या पानी के लिए प्यासी, विधायक चुफाल ने कहा कांग्रेस सरकार कर रही है उपेक्षा

पिथौरागढ़, 27 मई(निस)। गर्खा क्षेत्र के 11 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने 60 किमी. की यात्रा करने के बाद आज जिलाधिकारी कार्यालय के आगे हाथ में पानी के खाली बर्तनों को लेकर प्रदर्षन किया। चार वर्श पूर्वं स्वीकृत गर्खा पेयजल लिफ्ट योजना के लिए अभी तक बजट जारी नहीं किया गया है। गर्खा क्षेत्र में पेयजल की जबरदस्त किल्लत चल रही है। भीशण गर्मी में 15 हजार की आबादी पानी की एक बूंद के लिए तरस रही है। प्रदेष की कांग्रेस सरकार के सौतेले व्यवहार के खिलाफ गर्खा वासियों ने मुख्यमन्त्री हरीष रावत के खिलाफ नारेबाजी की। भाजपा के पूर्व प्रदेष अध्यक्ष तथा डीडीहाट के विधायक विषन सिंह चुफाल के नेतृत्व में गर्खा के 11 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने आज जिलाधिकारी कार्यालय के आगे हाथ में पानी के खाली बर्तन थाम कर जोरदार प्रदर्षन किया। इस मौके पर कांग्रेस की प्रदेष सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया गया। विधायक चुफाल ने कहा कि गर्खा क्षेत्र के 11 ग्राम पंचायतों की 15 हजार की जनसंख्या के लिए चर्मा घाट से गर्खा लिफ्ट योजना 2011 में स्वीकृत की गयी। 15 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली इस योजना की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है और तकनीकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। उसके बावजूद जानबूझकर प्रदेष सरकार लिफ्ट योजना के लिए धन जारी नहीं कर रही है। जिस कारण योजना का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। विधायक चुफाल ने कहा कि गर्खा क्षेत्र के पेयजल योजनाऐं सूख चुकी है। नलों में पानी का एक बूंद भी नहीं टपक रहा है। भाजपा सरकार ने इस क्षेत्र की पेयजल की गम्भीर समस्या को देखते हुये लिफ्ट योजना स्वीकृत की गयी थी। उन्होंने प्रदेष की कांग्रेस सरकार पर गर्खा क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। कहा कि कांग्रेस तुच्छ राजनीति पर उतर आयी है। जनता की प्यास बुझाने की जगह उन्हें पेयजल से वंचित किया जा रहा है। गर्खा क्षेत्र वासियों ने विधायक चुफाल के साथ जिलाधिकारी सुषील कुमार को ज्ञापन सौपा। जिलाधिकारी ने जल निगम के उच्च अधिकारियों से वार्ता कर बताया कि तकनीकी स्वीकृति के बाद बजट जारी करने के लिए षासन स्तर पर निर्णय लिया जा रहा है। इस मौके पर गर्खा वासियों ने कहा कि 60 किमी. की दूरी तय करने के बाद उन्हें अपनी समस्याओं को लेकर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांगे्रस सरकार को इस उपेक्षा की कीमत चुकानी पडेगी। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह रावत, उपाध्यक्ष मोहन सिंह भण्डारी, चैसाल के ग्राम प्रधान दिवान सिंह ऐरी, नरेत के ग्राम प्रधान नैन सिंह बिश्ट, डांगरी के ग्राम प्रधान कृश्ण सिंह पोखरिया, डुंगरा के प्रधान पुश्कर राम, बहादुर सिंह सामन्त, सुनील भण्डारी, जगदीष चन्द, भीम सिंह, राकेष चन्द, भगवान सिंह, मनी चन्द, हरराज सिंह, जिला प्रवक्ता गेहराज पाण्डेय सहित दर्जनों भाजपा नेता भी मौजूद थे।

मल्ला जोहार और रालम में भुखमरी की स्थिति, माईग्रेषन गांव में राषन नहीं, पैदल मार्ग जानलेवा
  • भाजपा ने दी आन्दोलन की धमकी

पिथौरागढ़, 27 मई(निस)। मुख्यमन्त्री की विधान सभा के मुनस्यारी तहसील में मल्ला जोहार और रालम क्षेत्र में ग्रीश्म कालीन प्रवास (माईग्रेषन) के लिए जनता तो 14 गांव में पहंुच चुकी है। लेकिन अभी तक इन गांवों के लिए खाद्यान्न नहीं पहुंच पाया। पैदल रास्ते जर्जर स्थिति में है। इसके सुधार के लिए क्षेत्रीय विधायक और मुख्यमन्त्री को कोई चिन्ता नहीं है। भाजपा ने आज जिला मुख्यालय में जिलाधिकारी के सम्मुख इस मामले को उठाया। भाजपा ने कहा कि मुख्यमन्त्री अगर विधान सभा की पैरवी नहीं कर पा रहे है तो उन्हें विधायक के पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए। भाजपा के जिला सम्पर्क प्रमुख जगत मर्तोलिया ने आज राज्यपाल के नाम का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। उन्होंने जिलाधिकारी को मुख्यमन्त्री की विधान सभा की स्थिति के बारे में बताया। मर्तोलिया ने कहा कि मुनस्यारी तहसील के मल्ला जोहार के 14 गांव में माईग्रेषन के लिए सैकड़ों परिवार 20 दिन पूर्व जा चुके है। अभी तक इन परिवारों के लिए राषन की व्यवस्था नहीं की गयी है। मल्ला जोहार के लिए सरकारी सस्ते-गल्ले की दुकानों में उपलब्ध होने वाला खाद्य सामग्री नहीं भेजी गयी है। जिस कारण 14 गांव में गये लोग खाद्यान्न के अभाव में लौटने लगे है। मई माह से षुरू होने वाले माईग्रेषन को एक माह का समय बीत गया है। अभी तक राषन की व्यवस्था न होना क्षेत्रीय विधायक हरीष रावत की कार्यप्रणाली पर सवाल खडे कर रहा है। मल्ला जोहार और रालम के पैदल मार्ग जानलेवा बने हुये है। इन पैदल रास्तों से अभी तक एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है और एक व्यक्ति लापता है। जबकि एक अन्य व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल हो चुका है। पैदल मार्ग की स्थिति में सुधार के लिए क्षेत्रीय विधायक और मुख्यमन्त्री ने एक रूपया भी जारी नहीं किया है। तीन घटना घट जाने के बाद भी मुख्यमन्त्री ने पीडि़त परिवारों के लिए एक षब्द भी दुःख का व्यक्त नहीं किया। मर्तोलिया ने कहा कि धारचूला और मुनस्यारी विधान सभा लावारिस हो चुका है। मुख्यमन्त्री का कार्य केवल समारोह में आकर फूलों की माला पहनना और ठुमके लगाना ही रह गया है। मुख्यमन्त्री के पास इस इलाके की समस्याओं के समाधान के लिए वक्त नहीं है। पूरे क्षेत्र में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी बेलगाम होकर कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि मल्ला जोहार वासियों द्वारा 28 मई को किये जा रहे चक्का जाम का भाजपा समर्थन करेगी।

कोई टिप्पणी नहीं: