कोलकाता की एक अदालत ने पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा को गुरुवार को जमानत देने से इनकार कर दिया। मित्रा को शारदा घोटाला में कथित संलिप्तता के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया है। अलीपुर के प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मीकांत दास ने बचाव तथा अभियोजन पक्ष की दलील सुनने के बाद मित्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी।मित्रा के वकील मिलन मुखर्जी ने कहा कि मित्रा को बलि का बकरा बनाया गया है। वकील ने कहा, "सीबीआई ने यह दावा किया कि शारदा के लाखों जमाकर्ताओं की जिंदगी तबाह हुई है, लेकिन सिर्फ कुछ गवाहों के प्रमाण ही पेश किए गए। इनमें से किसी ने भी मित्रा का नाम नहीं लिया।"
उन्होंने एक गवाह के बयान पर नजर डालते हुए मुखर्जी ने कहा कि उसने तीन राजनीतिज्ञों के नाम लिए, जिनके शब्दों ने उन्हें कंपनी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। मुखर्जी ने दलील दी, "जब उन राजनीतिक हस्तियों को गिरफ्तार नहीं किया, तो फिर मित्रा को क्यों बलि का बकरा बनाया जा रहा है?" याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई के वकील के.राघवाचार्युलू ने दलील दी कि मित्रा बतौर प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते जमानत मिलने पर जांच प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मित्रा भले ही छह महीने से जेल में हों, लेकिन अभी भी मंत्री है।
सीबीआई के वकील ने कहा, "उनके प्रभाव के कारण ही उन्होंने अपने हिरासत का अच्छा खासा वक्त वीआईपी सुविधाओं का लाभ लेते हुए एसएसकेएम अस्पताल में बिताया।" सीबीआई ने करोड़ों रुपये के घोटाले में आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी तथा भरोसा तोड़ने जैसे विभिन्न अपराधों को लेकर उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। मित्रा 12 दिसंबर, 2014 से जेल में हैं।
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