प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि स्मार्ट सिटी पर फैसला आम जनता और नगरपालिकाएं करेंगी तथा शहर के विकास पर केंद्र या राज्य सरकारें फैसले नहीं लेंगी। मोदी ने स्मार्ट सिटी को लेकर तीन अभियानों-अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन, अर्बन ट्रांसफोर्मेशन और हाउसिंग फॉर ऑल की शुरुआत करते हुए कहा, "पहली बार ऐसी पहल की जा रही है, जहां फैसला न केंद्र न राज्य लेगी। स्मार्ट सिटी का फैसला जनता तथा नगरपालिकाएं खुद करेंगी।" इन कार्यक्रमों का लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण शहरी जनजीवन में सुधार और आर्थिक विकास लाना है। केंद्र सरकार अगले छह साल में इन अभियानों के लिए चार लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी।
उन्होंने कहा, "भविष्य निर्माण को लेकर शहर का दृष्टिकोण किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए अनिवार्य है, अन्यथा यह उलझ जाएगी, जहां राज्य स्तरीय विकास कार्यो तथा एजेंसियों को केंद्र के निर्देश का इंतजार रहता है, जबकि शहर राज्य सरकार के फैसले का इंतजार रहता है।" मोदी ने कहा, "मानदंडों के अनुसार स्मार्ट सिटी की चयन प्रक्रिया रहेगी और इसके बाद केंद्र तथा राज्य इसमें मदद करेंगे। कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रतियोगिता महत्वपूर्ण कारक है।" उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के अभिलाषी का चयन सिटी चैलेंज कॉम्पीटीशन के जरिए होगा, जिसका मकसद अभियान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए वित्त को शहर की क्षमता के साथ जोड़ना है।
शहरों का चुनाव साफ सफाई, स्वच्छ जल, विद्युत, हरित भाग और आय तथा व्यय के बीच अनुपात की चुनौतियों पर खरा उतरना के बाद किया जाएगा। सरकार ने स्मार्ट सिटिज मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसके अंतर्गत 100 स्मार्ट सिटी बनाई जाएगी। प्रत्येक शहर को केंद्र सरकार की तरफ से अगले पांच साल की अवधि में हर साल 100 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की 40 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाए। मोदी ने कहा, "हम उन्हें उनके हाल पर नहीं छोड़ सकते।"
उन्होंने बढ़ती जनसंख्या की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि शहरी विकास के लिए सभी संभावित संसाधनों को तलाशा जाना चाहिए। गरीबों की जिंदगी में क्रांतिकारी परिवर्तन है, जो इंसान को बेहतर जिंदगी की तरफ ले जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास न सिर्फ आवास उपलब्ध कराना, बल्कि अच्छी जिंदगी के लिए बेहतर वातावरण भी उपलब्ध कराना है। उन्होंने मौजूदा समय में दो करोड़ मकानों की कमी को स्वीकारते हुए कहा कि भारत 2022 में आजादी के 75 साल पूरे कर लेगा और तब तक "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर किसी को मकान उपलब्ध कराएं।" मोदी ने तीन अभियानों के लिए लोगो और टैगलाइन जारी किया।
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