उद्यानिकी अधिकारियों हेतु प्रषिक्षण सह कार्यषाला का आयोजन
सी. आर. डी. ई. कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनियाॅ, जिला सीहोर तथा उद्यानिकी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में उद्यान विस्तार अधिकारियों हेतु तीन दिवसीय प्रषिक्षण सह कार्यषाला का आयोजन किया जा रहा है। प्रषिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देष्य उद्यान विस्तार अधिकारियों को बागवानी फसलों की उन्नत प्रौद्योगिकी विषय पर प्रषिक्षित किया जा रहा है। कार्यशाला में श्री जे. के. कनौजिया, कार्यक्रत समन्वयक, कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर व श्री पुरूषोत्तम जोषी, सहायक संचालक, उद्यानिकी सीहोर, डाॅ. उपेष कुमार, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर, वरिष्ठ उद्यान अधिकारी, उद्यान अधिकारी, ग्रामीण उद्यान अधिकारी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के समस्त कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे। श्री जे. के. कनौजिया, कार्यक्रम समन्वयक, कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर द्वारा जिले की कृषि एवं उद्यानिकी फसलों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए अवगत कराया कि जिले में उद्यान का विस्तार एवं सम्भावनायें अपार है साथ ही साथ आप द्वारा उपस्थित अधिकारियों को बागवानी में उन्नत किस्मों आम, अमरूद, संतरा, पपीता, आॅवला, नींबू, सीताफल आदि के वृक्षारोपण, उत्पादन लागत आदि पर विस्तार पर चर्चा की गयी। श्री पुरूषोत्तम जोषी, सहायक संचालक, उद्यानिकी विभाग ने जिले में बागवानी हेतु (आम अमरूद, संतरा, आॅवला आदि) की खेती पर विचार व्यक्त किये। श्री अजित कृपाल साहू, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, सीहोर ने फल वृक्षों में होने वाले खरपतवार एवं उनके प्रबन्धन विषय पर विस्तार से उपस्थित अधिकारियों से चर्चा की तथा समन्वित खरपतवार प्रबन्धन तकनीक पर विषेष जोर दिया गया। कार्यक्रम के दौरान उद्यानिकी अधिकारियों को कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रक्षेत्र पर प्रदर्षित आम की नवीन किस्मों - दषहरी, दषहरी -51, मल्लिका, आम्रपाली आदि, अमरूद की नवीन किस्में - ललित, श्वेता, लखनऊ -49 आदि संतरा, सीताफल, आॅवला एवं पपीता आदि की प्रदर्षित नवीन प्रजातियों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी।
मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए बरते एहतियात
बारिश के मौसम में गलत खान-पान के कारण पेट से संबंधित विभिन्न तरह की बीमारियों होती है। हमें स्वस्थ्य रहने के लिये इस मौसम में सावधान रहने की आवश्यकता है। बारिश में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिये आम नागरिकों से आग्रह किया गया है कि इस मौसम में तालाब, नदी, नालों के पास या खुले मैदान में शौच क्रिया के लिये ना जायें। निवास के आस-पास फैली गंदगी, बारिश के पानी के बहाव मंे पानी के साथ घुल-मिलकर तालाबों, नदियों में मिल जाते है। इनसे जलजनित बीमारियां जैसे दस्त, हैजा, गेस्ट्रोइनटाइटिस तेजी से पनपती है। वहीं बारिश के मौसम में पानी के एक ही जगह जमा होने से मलेरिया, डेंगू के संक्रमण से पीडि़त होते हैं। उन्होंने कहा है जीवन शैली में बदलाव लाने और थोड़ी सी सावधानी बरतने से इन बीमारियों से बच सकते है।
हैजा एवं दस्त से बचने के उपाय
बारिश के दिनों में पाचन शक्ति सबसे कम होती जाती है। इसलिए जरूरी है कि अधिक तला-भुना खाना न खाये बल्कि ऐसा खाना खाये जो आसानी से पच जाए। जहां शुद्ध पेयजल न हो तो पानी उबाल कर पिएं। तीव्र दस्त होने की स्थिति में यथा शीघ्र ओ.आर.एस. घोल का इस्तेमाल करें। तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर अपना ईलाज कराएं।
साबुन से हाथ धोएं
खाना बनाने से पहले, खाना खाने से पहले, शौचालय जाने के पश्चात साबुन से हाथ धोएं। पीने के पानी को इस्तेमाल में लाने से पहले उबाले अथवा क्लोरीन से विसंक्रिमित करें। ताजे भोजन का सेवन करें। पानी के óोत के समीप शौच न करें। पक्के बने हुए शौचालय का उपयोग करें एवं उन्हें साफ रखें।
मलेरिया-डेंगू-टाईफाइड से बचाव
मलेरिया, डेंगू, टाईफाइड से बचाव के लिये घर के आस-पास के गढ्ढों को भर दे जिससे बारिश का पानी रूककर सड़ने न पाए। इससे मच्छर उत्पन्न नहीं होंगे। रात्रि में सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। सड़क के किनारे मिलने वाले चायनीज फूड, भेल, पानीपुरी एवं होटल के खाने से परहेज करें। बासी भोजन, पहले से कटे हुए फल तथा दूषित भोजन का सेवन न करें। हमेशा ताजे व स्वच्छ सब्जी, फल का सेवन करें। मालूम हो कि खाने से पहले फल, सब्जी को अच्छे से साफ पानी से धोकर साफ कर लें। खासकर हरी पŸोदार सब्जियां को आवश्यक रूप से साफ करें।
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