ललित मोदी केस को लेकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग तेज होती जा रही है. गुरुवार को वसुंधरा ने खुद स्वीकार कर लिया कि उन्होंने ललित मोदी की मदद की थी. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कहा है कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
आरएसएस के अधिकारियों ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. संघ के सूत्रों की माने तो कभी भी वसुंधरा को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. नेशनल जनरल सेक्रेटरी से हाल ही में बीजेपी उपाध्यक्ष बने ओम प्रकाश माथुर को वसुंधरा की जगह राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. आरएसएस में भी ज्यादातर लोगों का मानना है कि वसुंधरा को इस्तीफा दे देना चाहिए. संघ के सीनियर नेताओं में इस बात पर चर्चा चल रही है कि वसुंधरा किस समय इस्तीफा दें, जिससे पार्टी को सबसे कम नुकसान हो. वसुंधरा शुक्रवार को नीति आयोग की बैठक के लिए दिल्ली पहुंच रही हैं. बताया जा रहा है कि वो दिल्ली में पार्टी के आलाकमान से मिलेंगी और पूरे मामले पर अपनी सफाई देंगी.
वसुंधरा की सफाई सुनने के बाद बीजेपी हाईकमान अपना रुख साफ करेगी. इस्तीफे का दबाव झेल रहीं राजस्थान की मुख्यमंत्री की तरफ से उनके मीडिया सलाहकार महेंद्र भारद्वाज ने गुरुवार को प्रेस रिलीज जारी की और टीवी चैनलों को खुद से जुड़ी खबरों के लिए कसूरवार बताया. इस प्रेस रिलीज में खुद के पक्ष में विधायकों के सामने आने, केंद्रीय नेतृत्व को इस्तीफे से इनकार करने और मान-मनौव्वल के लिए मंत्रियों के दिल्ली जाने जैसी खबरों को झूठा बताया गया है.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा के इस्तीफे के मुद्दे पर पार्टी दो गुटों में बंटी हुई है. एक गुट वसुंधरा की सफाई से संतुष्ट है जबकि दूसरा वसुंधरा को दोषी मानता है. सूत्रों का दावा है कि गडकरी और जेटली वसुंधरा राजे की पैरवी कर रहे हैं जबकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह उनकी भूमिका से खुश नहीं हैं. मीडिया के सामने आए जेटली ने गुरुवार को दो टूक कहा कि पार्टी में कोई दागी नहीं है. पूरे मामले पर वसुंधरा राजे अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं. गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान वो कैमरों के सामने तो आईं, लेकिन मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार नहीं हुई. मीडिया के सवाल पूछने पर उनकी सुरक्षा में तैनात लोगों ने मीडियाकर्मियों को पकड़ कर धकेलने तक की कोशिश की.
वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का रुख बेहद आक्रामक है. विपक्ष राजे के इस्तीफे की मांग पर अड़ा है. सूत्रों की मानें तो पार्टी के तमाम नेताओं को राहुल गांधी की तरफ से ये हिदायत दी गई है कि इस मामले को मानसून सत्र के शुरू होने तक ठंडा ना पड़ने दिया जाए, जिससे संसद में सरकार की राह मुश्किल बनाई जा सके.
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