वैश्विक अर्थव्यवस्था आज उसी तरह की स्थिति की तरफ बढ़ रही है, जैसी स्थिति 1930 के दशक की महामंदी के दौरान थी। यह चेतावनी भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने दी है और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों से कहा है कि हाल के वैश्विक संकट की पुनरावृत्ति रोकने के लिए नए नियम बनाएं। राजन ने यहां लंदन बिजनेस स्कूल के एक सम्मेलन में गुरुवार शाम कहा, "मुझे चिंता हो रही है कि विकास के चक्कर में हम धीरे-धीरे 1930 के दशक जैसी समस्या की तरफ बढ़ रहे हैं।" राजन ने कहा, "बेहतर समाधान के लिए हमें खेल के नियम बनाने की जरूरत है। मेरे खयाल से यह तय करने की जरूरत है कि खेल के नियम क्या होंगे। मसलन केंद्रीय बैंकों को क्या-क्या कर सकने की इजाजत होनी चाहिए।"
राजन ने 2008 में अमेरिका में आए वित्तीय संकट की पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने कहा कि विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनाई जा रही ढीली मौद्रिक नीति के कारण हम संकट की तरफ बढ़ रहे हैं। राजन ने जब 2013 में रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी संभाली थी, उन्हीं दिनों अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने राहत कार्यक्रम समाप्त करने की मंशा की घोषणा की थी, जिसके बाद रुपये में डॉलर के मुकाबले भारी गिरावट दर्ज की गई थी। राजन ने कई सधे हुए कदमों के साथ रुपये के मूल्य में स्थिरता लाई और उसी के साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की भी भारत में वापसी हुई। ब्रिटेन की पत्रिका सेंट्रल बैंकिंग ने इस साल के शुरू में राजन को 2015 के लिए साल का सेंट्रल बैंकर पुरस्कार दिया है। राजन का इशारा फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड की तरफ है जो विकास दर में तेजी लाने के लिए अत्यधिक कम ब्याज दर की नीति पर चल रहे हैं।
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