विवेचन : श्री अविरुक सेन का पुस्तक - "आरुषि" - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 11 जुलाई 2015

विवेचन : श्री अविरुक सेन का पुस्तक - "आरुषि"

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दैनिक जागरण समाचार पत्र ने श्री अविरुक सेन की पुस्तक "आरुषि" में लेखक के तरफ से यह खुलासा किया है कि आरुषि के माता-पिता को आरुषि के मर्डर केस में फंसाया गया है । जिन प्वाइंट्स के आधार पर लेखक ने अपने पुस्तक में आरुषि के माता-पिता  तलबार दम्पति को क्लीनचिट देने का प्रयत्न किया है , उससे लगता है की श्री अविरुक सेन शायद क्रिमिनोलॉजी का ज्ञान नहीं रखते हैं । दैनिक जागरण ने "आरुषि" इस पुस्तक से  जिन दस प्वाइंट्स का खुलासा किया है, उसके   कुछ तह में भी जाने की आवश्यकता है , जैसे नौकरों ने नार्कोटेस्ट में यह कबूल किया की उस रात वे सभी तलबार दम्पति के घर में थे , साथ ही नौकरों ने अपने नार्को टेस्ट में यह भी खुलासा किया था कि उसने आरुषि की हत्या करने के बाद उसके मोबाईल को पत्थर मार मारकर  टुकड़े टुकड़े करके तोड़ दिया था , जो मोबाईल बाद में बिलकुल सही हालात में बरामद हुआ । 

साफ़ है नार्कोटेस्ट का डोज दिए बिना नार्कोटेस्ट किया गया था , और नौकरों से हत्या में सम्मिलित होने का झूठा कबूलनामा करवाया गया , जो इस तरह से खुद को हत्या जैसे मामले में फंसाने के लिए कोई भी व्यक्ति नार्कोटेस्ट के दौरान झूठी कहानी नहीं गढ़ता । स्पष्ट है , एम्स के फोरेंसिक विभाग के इसारे पर तालबारदम्पति को बचाने के लिए नार्कोटेस्ट स्पेशलिस्ट मालिनी रमानी ने जानबूझकर गलत टेस्ट की थी , जो अन्य मामलों में भी पकडे जाने के बाद सस्पेंड कर दी गई । श्री अविरुक सेन ने इस तथ्य को समझने का यत्न ही नहीं किया है । साथ ही क़त्ल के हथियार को डेस्ट्राय करने के लिए तथा सीन ऑफ़ क्राइम से सबूतों को नष्ट करने के लिए तलबार दम्पति के पास काफी समय था , और यह सभी जानते हैं की तलबार दम्पति ने सबूतों को नष्ट किये , ऐसी स्थिति तथा इस सरकमचांस  में हथियार की बरामदगी कोई विशेष मायने नहीं रखती है । 

गबाहों की खरीद-फरोख्त की क्षमता नौकरों में नहीं थी । जज ने कोई लापरवाही नहीं की , और इस स्ट्रांग सरकमचांस में जैसा निर्णय लेना चाहिए जज ने लिया । फोरेंसिक साक्ष्यों को सीनऑफक्राईम पर केवल तलबारदम्पति ने नष्ट किये । जो जरूरी दस्ताबेज तलबारदम्पति तथा उनके जानने वालों द्वारा फर्जी तरह से तैयार किये गए थे , उसका कोर्ट के सामने लाने का कोई अौचित्य नहीं था । तलबार दम्पति का प्रथम  प्रथम सीनऑफक्राईम पर   आचरण नेचुरल नहीं था । अपनी इकलौती बेटी को मृत अवस्था में देख उन्होंने उसको अपने गोद में लेने  या लिपटने की कोशिश नहीं की ,जिस कारण उनके शरीर पर खून नहीं पाया गया ,जबकि नेचुरल रिएक्शन में कोई भी माँ बाप अपनी इकलौती बेटी को अचानक इस अवस्था में देखता , तो उसको छूने\लिपटने\गोद में लेने की कोशिश अवश्य करता ,लेकिन तलबार दम्पति अपने शरीर पर खून का दाग इसलिए नहीं पड़ने देना चाहते थे कि आरुषि के खून लगने से वे सस्पेक्टेड हो जाएंगे । जो की नेचुरल सीनऑफक्राईम का रिएक्शन ऐसा नहीं होता है । 

जब हेमराज को सुबह तलबार दम्पति ने फोन किया , तो हेमराज का मोबाईल भी तलबार दम्पति के ही हाथ में था, इसीलिए दो सेकेण्ड के अंतराल मात्र में मोबाईल डिसकनेक्ट हो गया  ,इसीलिए मोबाईल का लोकेशन तलबारदम्पति के घर का आसपास ही रहा , जो हेमराज मारा जा चुका था उसके पीछे इस कॉल के माध्यम से पुलिस को लगा , तलबार दम्पति ने सीनऑफक्राईम से अन्य सबूत भी नष्ट करवा दिए और कर दिए । हेमराज के सर के पीछे तथा आरुषि के सर  के आगे एक एक हार्डब्लण्ट ओबजेक्ट् से बने जानलेवा चोट को भी सही से समझने की आवश्यकता है , साथ ही आरुषि के गुप्तांग को केमिकल  से कौन साफ़ कर सकता है , और क्यों कर सकता है , इसको भी समझने की आवश्यकता है , अन्यथा हेमराज की हत्या और आरुषि की हत्या की गुत्थी तभी सुलझ जाती । 

तत्कालीन सीबीआई की अरुण कुमार झा की टीम यह जानती थी की नौकरों को फंसाने के लिए मात्र नार्को टेस्ट का ड्रामा किया गया है , इसीलिए अरुण कुमार ने मामले को रहस्यमयी मात्र बना, नौकरों को सस्पेक्टेड बना , नौकरों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट फाइल नहीं किये थे । इस पूरे गोरखधंधे में सीबीआई की अरुण झा की टीम , एम्स के तत्कालीन फोरेंसिक विभाग के हेड टीडी डोगरा तथा नार्को टेस्ट स्पेशलिस्ट मालिनी रमानी सम्मिलित थी , जो सभी मिलकर मुख्य अभियुक्त तलबार दम्पति को बचाना चाहते थे । लेकिन आरुषि की मोबाईल सही सलामत मिलजाने से सभी ड्रामे से परदा उठता चला गया ।

इन सभी बातों को समझने में पुस्तक के लेखक श्री अविरुक सेन जी ने भारी भूल की है । 


आमोद शास्त्री,  
दिल्ली । 
मोब= 9818974495 & 9312017281 , 

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